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गया में हुई पासिंग अाउट परेड, देश की रक्षा काे मिले 83 सैन्य अफसर

गया : यह बड़ी खुशी की बात है कि इंडियन आर्मी में युवा आ रहे हैं. देश की अखंडता बनाये रखने में इंडियन आर्मी जुटी है. भारतीय सेना के सामने सबसे बड़ी चुनाैती देश की क्षेत्रीय एकता (टेरीटाेरियल इंटेग्रिटी) काे सेफ गार्ड करना है. हमें यह यकीन करना है कि हम ऐसे हालात पैदा कर […]

गया : यह बड़ी खुशी की बात है कि इंडियन आर्मी में युवा आ रहे हैं. देश की अखंडता बनाये रखने में इंडियन आर्मी जुटी है. भारतीय सेना के सामने सबसे बड़ी चुनाैती देश की क्षेत्रीय एकता (टेरीटाेरियल इंटेग्रिटी) काे सेफ गार्ड करना है. हमें यह यकीन करना है कि हम ऐसे हालात पैदा कर सकें कि न सिर्फ बॉर्डर पर बल्कि देश के अंदर भी जब जरूरत पड़े तो हम मददगार साबित हाें, जिससे कि देश की उन्नति और विकास हाे सके. देश की रक्षा करने में इंडियन आर्मी हर संभव सक्षम है. ये बातें अफसर प्रशिक्षण अकादमी (आेटीए) में शनिवार काे 13वीं पासिंग आउट परेड के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में भारतीय सशस्त्र बलाें के स्टाफ कमेटी के चीफ अॉफ इंट्रीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ कमेटी लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ (पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एसएम, वीएसएम) ने कहीं.

उन्हाेंने बताया 13वीं पासिंग आउट परेड में देश सेवा के लिए आेटीए, गया ने शनिवार काे देश की सेवा की खातिर 83 जांबाज सैन्य अफसर साैंपे, जाे गाैरव की बात है. इनमें स्पेशल कमीशन अफसर (एससीआे)-40 के 22 व टेक्निकल इंट्री स्कीम (टीईएस)-37 के 61 हैं, जाे एक वर्ष की बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त कर देश के अंदर दूसरे आर्मी इंजीनियरिंग कॉलेजाें में तीन साल की पढ़ाई करने जायेंगे. सीआइएससी चीफ सतीश दुआ ने कहा कि आज से ये अफसर देश की सुरक्षा में भागीदार हाेंगे. ऐसे कारनामे करेंगे जिससे देश काे फख्र हाेगा. इंडियन आर्मी बिल्कुल सेक्यूलर व गैर राजनीतिक है.

उन्हाेंने कहा आज के युवा के लिए इंडियन आर्मी काे ज्वाइन करने से अच्छा व बेहतर आैर कहीं नहीं. यहां कई प्रकार के काेर्सेज व पाेस्ट हैं. युवाआें के अलावा लड़कियां भी इंडियन आर्मी ज्वाइन कर सकती हैं. आज युवाआें में अनुशासन गिरता देख पुरानी पीढ़ी के लाेगाें काे निराशा महसूस हाेती है. लेकिन, ऐसा नहीं है. हर पीढ़ी का नजरिया व तरीका अलग हाेता है.

देश की क्षेत्रीय एकता काे सेफ गार्ड देना सेना के लिए बड़ी चुनाैती : सतीश दुआ
उन्हाेंने कहा हम 20 साल पहले कहा करते थे, युवा पीढ़ी अनुशासनहीन है, पर करगिल के युद्ध में यही युवा पीढ़ी ऐसे कारनामे कर दिखाये, कि दुश्मनाें के दांत खट्टे हाे गये. मनाेज पांडेय, विक्रम बत्रा जैसाें ने ताे ‘दिल मांगे माेर’ का स्लाेगन दिया जाे देश का नारा बन गया. यह कहना कतई ठीक नहीं कि युवा पीढ़ी कुछ नहीं कर सकती है. खासकर आर्मी में ताे आैर भी नहीं. श्री दुआ ने कहा इंडियन आर्मी संसाधन संपन्न है लेकिन, जरूरत है इसे आैर मॉर्डनाइज (अत्याधुनिक) करने का. इस रास्ते में भी हम आगे बढ़ रहे हैं. वह हम ठीक तरीके से कर भी रहे हैं क्याेंकि आज की तकनीक के मुताबिक जाे नये-नये असलहा (अत्याधुनिक शस्त्र) हैं, प्लेटफॉर्म हैं. वह लेने में एक मॉर्डनाइजेशन, एक चेन चल रहा है.

हालांकि, इस आेर हम अग्रसर हैं. लेकिन, इतना यकीन दिलाता हूं कि संसाधन की तरफ से देश की रक्षा करने में हम पूरी तरह सक्षम हैं आैर सशक्त भी. इस माैके पर आेटीए के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल वीएस श्रीनिवास (वीएसएम एवं बार) माैजूद थे.

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