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अवैध निर्माण के नाम पर फर्जी नोटिस से निगम में चल रहा वसूली का खेल !

गया : अतिक्रमण व अवैध निर्माण के नाम पर नोटिस जारी कर अवैध तरीके से शहर के लोगों से पैसों की वसूली किये जाने के मामले गाहे-बगाहे सामने आते ही रहे हैं. एक बार फिर ऐसा ही एक मामला सामने आया है. इस मामले में धामी टोला इलाके में हुए एक निर्माण को अवैध बता […]

गया : अतिक्रमण व अवैध निर्माण के नाम पर नोटिस जारी कर अवैध तरीके से शहर के लोगों से पैसों की वसूली किये जाने के मामले गाहे-बगाहे सामने आते ही रहे हैं. एक बार फिर ऐसा ही एक मामला सामने आया है. इस मामले में धामी टोला इलाके में हुए एक निर्माण को अवैध बता कर नोटिस जारी किया गया है.
मामला सामने आने पर दो पार्षदों ने इसकी जांच के लिए नगर आयुक्त के सामने अपनी मांग रखी है. यह भी कहा है कि अगर नगर आयुक्त जांच नहीं कराते, तो इस मामले को बोर्ड की बैठक में उठाया जायेगा, ताकि पार्षदों की कमेटी बना कर पूरे गोरखधंधे की जांच करायी जा सके.
ताजा मामला नगर निगम की तरफ से विगत 15 मई को शहर के एक कपड़ा व्यवसायी शिवकैलाश डालमिया और उनके परिजनों के नाम नोटिस जारी करने से जुड़ा है. नोटिस में कहा गया है कि धामीटोला इलाके में श्री डालमिया और उनके परिजनों द्वारा बनायी गयी एक बिल्डिंग के कुछ हिस्से अवैध तरीके से बनाये गये हैं. यह भी कि इस तरह का निर्माण बिहार नगरपालिका अधिनियम के विरुद्ध है. नोटिस में यह भी निर्देश दिया गया है कि निर्माणकर्ता तुरंत अपनी बिल्डिंग का काम बंद कर निगम को इसकी जानकारी भी दें.
इस मामले में सबसे मजेदार तथ्य यह है कि विगत 15 मई को निगम से जारी इस पत्र पर नगर आयुक्त ने तो 15 मई को ही हस्ताक्षर कर दिया है, पर विभागीय सहायक किरण कुमारी ने इसी पत्र पर नगर आयुक्त के दस्तखत के नीचे एक दिन बाद यानी 16 मई को हस्ताक्षर किया है. पत्र देख कर समझना मुश्किल कि निगम में नगर आयुक्त सीनियर होते हैं या उनकी सहायक किरण कुमारी. यह भी कि पत्र (नोटिस) सहायक ने तैयार कर नगर आयुक्त से हस्ताक्षर करवाया या पत्र तैयार करने का काम नगर आयुक्त ने स्वयं किया और बाद में सहायक से हस्ताक्षर करवाया?
इश्यू रजिस्टर में रखा जाता है फर्जीवाड़े का स्कोप
नगर निगम से अवैध निर्माण के नाम पर नोटिस जारी करा कर निर्माणकर्ताओं से पैसे ऐंठने के लिए अलग तरह की तैयारी रहती है. इसके लिए इश्यू रजिस्टर में भरपूर गुंजाईश रखी जाती है. मामले की पड़ताल के दौरान हाथ लगे डॉक्यूमेंट्स से पता चलता है कि नोटिस क्रमांक के सामने विवरण की जगह पहले से खाली रखी जाती है, ताकि जब जरूरत पड़े, बीते हुए किसी डेट में फर्जी तरीके से नोटिस दिखा कर रजिस्टर में विवरण भर दिया जाये और येन-केन-प्रकारेण नोटिस थमा कर संबंधित निर्माणकर्ता से पैसे वसूल लिये जायें.
पार्षदों ने उठायी जांच की मांग
अवैध निर्माण के मामले में अवैध नोटिस जारी करने के मसले पर वार्ड पार्षद ओमप्रकाश सिंह व धर्मेंद्र कुमार ने कहा है कि नक्शा शाखा में नोटिस के नाम पर कर्मचारियों द्वारा जबरदस्त तरीके से गोरखधंधा किया जा रहा है. इनका आरोप है कि पिछले एक वर्ष में इस तरह के कई नोटिस निकाले गये हैं. इन पार्षदों ने ऊपरोक्त व्यवसायी को भेजे गये नोटिस के बाबत कहा कि यह पूरी तरह से फर्जीवाड़े का मामला है. इस नोटिस पर नगर आयुक्त का सिग्नेचर तो नोटिस जारी होने वाले डेट को ही हुआ है, पर मजे की बात यह है कि सहायक महोदया का हस्ताक्षर नगर आयुक्त के हस्ताक्षर की तिथि से भी एक दिन बाद का है.

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