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अगले साल बिहार में बाढ़ से होने वाली तबाही रोकने विभाग सक्रिय, बागमती पर बना बांध होगा मजबूत
पटना : अगले साल बिहार में बाढ़ से होने वाली तबाही रोकने के लिए प्रदेश सरकार का जल संसाधन विभाग अभी से सक्रिय हो गया है. सभी बांधों की समीक्षा की जा रही है. इस दौरान फिलहाल बागमती पर बने बांध को मजबूत करने का निर्णय लिया गया है. इसके अलावा पानी के हल्के दबाव […]
पटना : अगले साल बिहार में बाढ़ से होने वाली तबाही रोकने के लिए प्रदेश सरकार का जल संसाधन विभाग अभी से सक्रिय हो गया है. सभी बांधों की समीक्षा की जा रही है. इस दौरान फिलहाल बागमती पर बने बांध को मजबूत करने का निर्णय लिया गया है. इसके अलावा पानी के हल्के दबाव से भी जिन तटबंधों को नुकसान पहुंचता है, वहां इसे और मजबूत करने की योजना है.
इसके साथ ही इस साल आठ नई सिंचाई परियोजनाएं और 11 पुरानी ह्रासित सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य है. इससे करीब 75 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो पाएगी. सूत्रों की मानें तो बागमती नदी नेपाल से बिहार में प्रवेश करने के बाद हर साल भारी बाढ़ लाती है. पिछले कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि कई स्थानों पर नदी का पानी बाढ़ के दौरान तटबंध के ऊपर से बहने लगता है.
इससे तटबंध निर्माण का उद्देश्य असफल हो जाता है और बड़े हिस्से में बाढ़ का पानी फैल जाता है. इस साल भी अगस्त महीने में ऐसा ही हुआ. समस्तीपुर प्रखंड के अकबरपुर (दुमदुमा) के पास बूढ़ी गंडक नदी के तटबंध पर बने स्लूस गेट से अचानक जलधारा फूटने के बाद अफरातफरी मच गई. समय रहते इस पर काबू पा लिया गया नहीं तो बागमती का बांध टूट सकता था.
कई जगह ऊंचे होंगे तटबंध
राज्य सरकार ने जहां तटबंध नहीं हैं, वहां तटबंध बनाने और जहां बाढ़ का पानी तटबंध को पार कर जाता है, वहां उसे और ऊंचा करने का निर्णय लिया है. इस समय बागमती नदी पर 478 किलोमीटर लंबा तटबंध पहले से बना हुआ है. वहीं बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना के चार फेज को विभिन्न स्तरों पर स्वीकृति दी गई. साथ ही फेज-5 का डीपीआर तैयार करने की कार्रवाई शुरू हो गयी है.
क्या कहते हैं मंत्री
जल संसाधन विभाग के मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि हर साल की तरह इस साल भी सभी तटबंधों की हालत पर समीक्षा की जा रही है. फिलहाल बागमती के तटबंध को मजबूत करने की जरूरत महसूस हुई है. खासकर मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और हायाघाट इलाके में विशेष रूप से इसका सर्वे कराया जा रहा है क्योंकि पानी का दबाव वहां इस बार ज्यादा देखा गया. विभाग अभी सिंचाई परियोजनाओं पर भी खास काम कर रहा है. जहां भूमि अधिग्रहण की जरूरत नहीं है वहां के काम को प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है.
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