गया : कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी रविवार काे अक्षय नवमी मनायी जायेगी. इस दिन भतुआ (भूरा) में गुप्तदान किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि अक्षय नवमी काे किया गया गुप्तदान का क्षय नहीं हाेता व दानदाता काे यह स्वर्ग का द्वार खाेलने में सहायक सिद्ध हाेता है. इस त्याेहार काे लेकर छठ व्रत के समाप्त हाेते ही बाजार में भतुआ की बिक्री बढ़ गयी.
मंडी के अलावा जगह-जगह भतुआ रखकर बेचे जा रहे हैं. 20 रुपये से लेकर 60 रुपये प्रति पीस भतुआ बाजार में साइज के हिसाब से उपलब्ध है. यह त्याेहार आंवला के पाैधे के नीचे किया जाता है. आंवले के पाैधे में परिक्रमा कर सूत बांधा जाता है. ब्राह्मण से कथा सुनी जाती है आैर फिर उसी वृक्ष के नीचे खाना पका कर लाेग सपरिवार सगे-संबंधियाें के साथ खाना खाते हैं.
या फिर घर से बनाकर लाते हैं आैर आंवला के पाैधा के नीचे बैठ कर लाेग खाते हैं. भतुआ में साेना-चांदी, द्रव्य, रुपये रखकर वस्त्र के साथ ब्राह्मण काे दान दिया जाता है. शृंगार के सामान भी दान में दिये जाते हैं. आंवला का पाैधा आैषधीय है. इसलिए इस दिन आंवला के नीचे खाना पकाने व खाने से आैषधीय व वैज्ञानिक लाभ मिलता है.