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पूरे जिले में एक भी जगह नहीं है प्लेटलेट्स चढ़ाने की व्यवस्था
गया : इन दिनों जिले में डेंगू का प्रकोप बढ़ा हुआ है. वजीरगंज प्रखंड पूरी तरह से इसकी चपेट में है. सरकारी स्तर पर जांच और प्राइवेट क्लिनिक में इलाज से काम तो चल रहा है, लेकिन मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स कम होने की स्थिति में परिजनों की चिंता बढ़ जा रही है. दरअसल […]
गया : इन दिनों जिले में डेंगू का प्रकोप बढ़ा हुआ है. वजीरगंज प्रखंड पूरी तरह से इसकी चपेट में है. सरकारी स्तर पर जांच और प्राइवेट क्लिनिक में इलाज से काम तो चल रहा है, लेकिन मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स कम होने की स्थिति में परिजनों की चिंता बढ़ जा रही है. दरअसल जिले में सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों में कहीं भी शरीर में प्लेटलेट्स चढ़ाने की व्यवस्था नहीं है.
किसी भी अस्पताल में प्लेटलेट्स सेपरेटर मशीन नहीं है. ऐसे में मरीजों के लिए पटना जाने के अलावा कोई और उपाय नहीं है. जानकारी के मुताबिक, पटना में भी केवल दो ही अस्पताल पीएमसीएच और जय प्रभा अस्पताल में इसकी व्यवस्था है. पटना जाने में वक्त और पैसे दोनों ही अधिक लगते हैं. सरकारी स्तर पर जिले में इसके लिए कभी प्रयास नहीं हुआ. सेकरेटर मशीन की कीमत व लाइसेंस के लिए जरूरी नियमों की वजह से प्राइवेट अस्पताल प्रबंधन भी इस दिशा में प्रयास नहीं करते.
मेडिकल काॅलेज में नहीं है व्यवस्था : मगध मेडिकल काॅलेज व अस्पताल में डेंगू के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए कोई कारगर उपाय नहीं है. यहां प्लेटलेट्स चढ़ाने की सुविधा नहीं होने की वजह से मरीजों को पटना रेफर कर दिया जाता है. हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने इएनटी विभाग में अलग इलाज की व्यवस्था कर रखी है. अस्पताल में ब्लड सेपरेशन यूनिट नहीं होने की वजह से प्लेटलेट्स नहीं मिल पाता है .
अस्पताल के ब्लड बैंक में कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट नहीं है. ब्लड के कंपोनेंट को अलग-अलग नहीं किया जा सकता है. ऐसे में मरीज को प्लेटलेट्स नहीं मिल पाता है.
प्राइवेट अस्पताल में भी इंतजाम नहीं : जिले में किसी प्राइवेट अस्पताल में भी इसके लिए कोई इंतजाम नहीं है.प्राइवेट अस्पतालों में काम कर रहे चिकित्सकों के मुताबिक प्राइवेट अस्पतालों में ब्लड बैंक नहीं होने की वजह से प्लेटलेट्स की व्यवस्था नहीं हो पाती. शहर के बड़े प्राइवेट अस्पताल अभय नारायण इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंस में भी अभी इसकी कोई व्यवस्था नहीं है. यहां कार्यरत डाॅ मृत्युंजय कुमार ने बताया कि अभी पिछले साल ही यहां ब्लड बैंक की व्यवस्था की गयी है. प्लेटलेट सेपरेटर यूनिट के लिए अभी और भी प्रक्रियाएं पूरी करनी होगी. इसके बाद ही यूनिट शुरू किया जा सकेगा.
क्या कहते हैं फिजिशियन
चूंकि यूनिट को तैयार करने में बहुत प्रक्रियाओं से गुजरना होता है, इसमें खर्च भी अधिक है .इसलिए प्राइवेट नर्सिंग होम इसकी व्यवस्था नहीं करते. डाॅ कुमार ने कहा कि डेंगू के मामले अब गया में आने लगे हैं. ऐसे में हो सकता है कि भविष्य में कोई प्राइवेट अस्पताल यूनिट तैयार करने पर विचार कर सकता है.
डाॅ नीरज कुमार, फिजिशियन
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