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मेडिकल छात्राएं अपने ही कैंपस में असुरक्षित

दरभंगा : डीएमसीएच परिसर का रास्ता खास था, अब यह आम हो गया है. नतीजा सामने है. आये दिन दुर्घटना, हंगामा, छेड़खानी आदि यहां आम बात हो गयी है. इधर 21 नवंबर को एक छात्रा के साथ हुई छेड़खानी ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है. छात्र-छात्राओं ने उसके विरोध में कर्पूरी चौक को पिछले […]

दरभंगा : डीएमसीएच परिसर का रास्ता खास था, अब यह आम हो गया है. नतीजा सामने है. आये दिन दुर्घटना, हंगामा, छेड़खानी आदि यहां आम बात हो गयी है. इधर 21 नवंबर को एक छात्रा के साथ हुई छेड़खानी ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है. छात्र-छात्राओं ने उसके विरोध में कर्पूरी चौक को पिछले दिनों जाम किया. दो-तीन दिन में कई बाइक सवार की परिसर में पिटाई की गयी. ऐसी घटनाओं पर रोक के लिए यहां कई तंत्र हैं, पर वर्तमान में सभी फेल है. छात्राएं अपने ही कैंपस में असुरक्षित महसूस कर रही है.

गेट पर गार्ड नदारद: डीएमसीएच के परिसरों की सुरक्षा को लेकर 150 गार्डों की तैनाती की गयी है. महिला छात्रावास हो या वार्ड सभी जगह गार्ड की तैनाती रहती है. वैसे कुछ वार्ड को छोड़कर अधिकांश के गेट से गार्ड नदारद रहते हैं. महिला छात्रावास का नजारा यह है कि गार्ड गेट पर नहीं सड़क के किनारे कुर्सी पर बैठता है. गेट खुला रहता है. पुरुष को आने-जाने की छूट रहती है. एक छात्रा के साथ कथित घटना के 24 घंटों के बाद गार्ड सतर्क नहीं दिख रहा. नये पीजी छात्रावास के मुख्य गेट पर गार्ड नजर नहीं आया.
अावारा कुत्तों ने दो छात्राअों को काटा
महिला छात्रावास के मुख्य गेट के भीतर आवारा कुत्तों का जमावड़ा रहता है. दो माह के भीतर चार छात्राओं को कुत्तों ने काट लिया. यह सभी कुत्ते मेस के भीतर तक चले आते हैं.
महिला छात्रावास में महिला कर्मी नहीं :महिला छात्रावासों की संख्या तीन है. तीनों छात्रावासों के मेन गेट के भीतर खाना बनाने वाले कर्मी पुरुष हैं. कर्मियों का यहां जमघट लगा रहता है.
रखी जा रही है विशेष नजर
प्राचार्य डॉ आरके सिन्हा ने बताया कि गार्डों को हरेक जगह तैनात रहने का निर्देश दिया गया है. खासकर छात्राओं के साथ कोई दुर्घटना नहीं हो, इस पर विशेष नजर रखी जा रही है.
घट चुकीं कईं घटनाएं
परिसर में छात्र-छात्राओं और डाॅक्टरों के साथ कई घटनाएं घट चुकी है. दो साल पूर्व एक तेज वाहन से फॉर्माकोलॉजी के डॉ महथा और एक छात्र घायल हो गये थे. इसके पहले सड़क दुर्घटना में एक डेंटल छात्र की मौत हो गयी थी. छात्राओं के साथ छेड़खानी की घटना की शिकायत पहले भी आती रही है.
यातायात पर पाबंदी नहीं
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया(एमसीआइ) ने डीएमसीएच को शोरगुल मुक्त घोषित कर रखा है. बावजूद इसके परिसर से बड़े एवं छोटे वाहनों का परिचालन दिन-रात होता है. शोरगुल से छात्र-छात्राएं की पढ़ाई और मरीजों का उपचार प्रभावित होता है. टेंपो और दो चक्का वाहनेां से परिसर पटा रहता है.

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