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सामने आया पुलिस का मानवीय चेहरा

सामने आया पुलिस का मानवीय चेहरा परिजनों से मिला आठ साल से लापता युवकसूरत से भटककर आ गया था दरभंगामरनासन्न स्थिति में पुलिस ने उठाया, उपचार कराने के बाद ढूंढ निकाला परिजनों कोफोटो. 26परिचय. बिछड़े परिजन को पा खिल उठे चेहरे.दरभंगा. आमतौर पुलिस की छवि आमजन में अच्छी नहीं रहती. लोग पुलिस को कठोर ही […]

सामने आया पुलिस का मानवीय चेहरा परिजनों से मिला आठ साल से लापता युवकसूरत से भटककर आ गया था दरभंगामरनासन्न स्थिति में पुलिस ने उठाया, उपचार कराने के बाद ढूंढ निकाला परिजनों कोफोटो. 26परिचय. बिछड़े परिजन को पा खिल उठे चेहरे.दरभंगा. आमतौर पुलिस की छवि आमजन में अच्छी नहीं रहती. लोग पुलिस को कठोर ही समझती है, लेकिन दरभंगा की पुलिस ने ऐसा मानने वालों को अपनी सोच बदलने पर मजबूर कर दिया है. जिले के मब्बी थाने के प्रभारी के सत्प्रयास से पुलिस का मानवीय चेहरा लोगों के सामने आया है. इससे न केवल प्रभारी महादेव कामत ने लोगों के मन पर अपनी गहरी छाप छोड़ी है, बल्कि महकमा का सिर भी गर्व से उन्नत कर दिया है. दरअसल, प्रभारी ने मानवीय संवेदना का परिचय देते हुए आठ साल से घर से भटके एक युवक को परिजनों से मिला दिया. पहले उसकी जान बचायी और फिर व्यक्तिगत प्रयास कर उसके परिजनों को ढूंढ निकाला. सोमवार को जब उसके परिजन आये तो उनकी आंखें खुशी से छलछला उठी. इस कहानी की शुरुआत पिछले 4 दिसंबर को उस समय हुई जब प्रभारी श्री कामति ने एक 45 वर्षीय युवक को ओपी क्षेत्र के सोहवन पुल के नीचे मरनासन्न स्थिति में देखा. घास काटने वाले एक क्षेत्रवासी की सूचना पर वे वहां पहुंचे. उनके हृदय की संवेदना छलक उठी. उन्होंने उसे उठाया. पुलिसिया जीप में लाद डीएमसीएच लेकर पहुंच गये. उपचार कराया. बीच-बीच में उसका हाल जानने जाते रहे. सही उपचार से वह धीरे-धीरे ठीक होने लगा. प्रभारी को उम्मीद थी कि स्वस्थ होने के बाद वह अपने बारे में बतायेगा और उसे वे उसके ठिकाने पहुंचवा देंगे, लेकिन जैसे ही उससे पूछताछ शुरू की, दूसरी समस्या सामने आ गयी. वह अपनी क्षेत्रीय बोली में बोलने लगा, जो इनके सिर के उपर से गुजर गया. कुछ भी पल्ले नहीं पड़ा. वह ठीक से बता भी नहीं पा रहा था, लेकिन वे निराश नहीं हुए. कोशिश जारी रखी. इसी बीच उसने सूरत शहर का नाम लिया. आनन-फानन में श्री कामति ने सूरत पुलिस से संपर्क साधा. व्हाट्स ऐप पर उसकी तस्वीर भेजी. आखिरकार उसके गृह थाने का पता लगा लिया. प्रयास रंग लाया. परिजनों की भी पहचान हो गयी. बस क्या था. सूचना पाते ही उसके भाई गुजरात के सूरतवासी जिले के उमरपाड़ा थाना क्षेत्र अंतर्गत बेलवन गांव निवासी नटवर भाई ग्रामीण संजय भाई के साथ पहुंच गये. अपने भाई को सही सलामत देख एक बार तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ. कु छ देर तक वह एकटक चुपचाप देखता रहा, जब यकीन हुआ तो अपने भाई से लिपट गया. कारण आठ साल पहले नटवर का भाई जयंती गुम हो गया था. वह मानसिक रूप से बीमार भी था. उन लोगों ने काफी खोजबीन की, लेकिन कोई पता नहीं चल सका. नटवर के अनुसार उन लोगों ने उसे मृत तक मान लिया था, लेकिन दरभंगा पुलिस की मानवीयता ने उन्हें फिर से मिला दिया. नटवर ने पुलिस को साधुवाद देते हुए कहा कि यह तो मेरे भाई का पुर्नजन्म है. उसने बताया कि स्थिति ऐसी हो गयी कि जयंती की पत्नी सोना बेन निराश होकर अपने दो पुत्र व दो पुिात्रयों के साथ मायके चली गयी. आज भी वह वहीं है. जब पति के जीवित व सकुशल होने की सोना को जानकारी मिली तो वह भी खुशी से झूम उठी और अपने ससुराल के लिए निकल पड़ी है. यहां की पुलिस ने जो इलाज करवाया उससे मेरे भाई की मानसिक स्थिति में सुधार दिख रहा है. इधर इस काम के लिए मब्बी ओपी प्रभारी की पीठ थपथपाते हुए एसएसपी दिलनवाज अहमद ने कहा कि इससे महकमा की साख बढ़ी है. उन्होंने अन्य अधिकारियों को इससे सीख लेने की सलाह दी है.

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