दरभंगा : पुरस्कार के एलान के साथ ही साहित्य अकादमी में मैथिली के प्रतिनिधि डॉ प्रेम मोहन मिश्र ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने पुरस्कार दिये जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए संस्था के सचिव पर गंभीर आरोप भी लगाया है.
अकादमी के सचिव के श्रीनिवासन राव को मेल के माध्यम से भेजे गये अपने इस्तीफे में उन्होंने कहा है कि उन्हें परामर्श मंडल के संयोजक पद से मुक्ति दी जाये. इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर डॉ मिश्र ने कहा कि पुरस्कार के चयन में पूरा रैकेट सक्रिय है. पुस्तक का चयन व उसका निर्णय गुप्त प्रक्रिया के तहत होना चाहिए. जूरी के नाम भी गुप्त रखे जाते हैं. इस बार जूरी के नाम पहले ही सार्वजनिक हो गये. यहां तक कि अवार्ड किसे मिलेगा, यह भी पहले ही सामने आ गया था. इसे लेकर उन्होंने मैथिली के पुरस्कार को स्थगित करने के लिए 10 दिसंबर को सचिव को लिखा था. इसे स्थगित न कर बुधवार को पुरस्कार की घोषणा कर दी गयी.
डॉ मिश्र ने कहा कि पिछले साल भी गड़बड़ी हुई थी. पुरस्कार के लिए चयनित पुस्तक के प्रकाशक, जूरी मंडल में शामिल थे. उन्होंने सचिव से उन्हें हटाने के लिए कहा था, लेकिन उस समय भी इसे तवज्जो नहीं दिया गया. कहा कि दरअसल पुरस्कार की मानक व्यवस्था को संस्था के कार्यालय ने पूरी तरह छिन्न-भिन्न कर रखा है. डॉ मिश्र ने कहा कि जब बतौर प्रतिनिधि वे कुछ कर ही नहीं सकते, तो रहकर क्या करें?
डॉ मिश्र के इस्तीफे के मामले को बोर्ड के समक्ष रखा जायेगा. जो आरोप लगाया जा रहा है, उस पर अकादमी के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष ही कुछ बता सकते हैं.
के. श्रीनिवासन राव, सचिव