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दिल्ली मोड़ बस स्टैंड चालू, निगम को लगेगी प्रति वर्ष “40 लाख की चपत

डीएम ने नवनिर्मित बस स्टैंड संचालन का निगम को भेजा था प्रस्ताव नि:शुल्क स्वीकृति मिलने के बाद सशुल्क हस्तांतरण पर नहीं बनी बात दरभंगा : वर्तमान में कादिराबाद स्थित लनामिवि के डब्ल्यूआइटी की जमीन पर चल रहे बस स्टैंड का मालिकाना हक निगम के हाथ से निकलना तय हो गया है. जिला प्रशासन की ओर […]

डीएम ने नवनिर्मित बस स्टैंड संचालन का निगम को भेजा था प्रस्ताव

नि:शुल्क स्वीकृति मिलने के बाद सशुल्क हस्तांतरण पर नहीं बनी बात
दरभंगा : वर्तमान में कादिराबाद स्थित लनामिवि के डब्ल्यूआइटी की जमीन पर चल रहे बस स्टैंड का मालिकाना हक निगम के हाथ से निकलना तय हो गया है. जिला प्रशासन की ओर से दिल्ली मोड़ बस पड़ाव से गाड़ियों का संचालन शुरू कर दिये जाने के बाद कादिराबाद स्थित निजी बस पड़ाव को बंद कर दिया गया है. गत 17 जनवरी से निगम ने वसूली बंद कर दिया है. लिहाजा स्टैंड संचालन हाथ से निकलने से जहां निगम की आय प्रभावित हो गयी है, वहीं प्राधिकार से आये पांच कर्मियों के वेतन भुगतान का अतिरिक्त बोझ निगम को झेलना पड़ेगा. इससे निगम को प्रति वर्ष करीब 40 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा. वर्ष 2007 में क्षेत्रीय विकास प्राधिकार के भंग किये जाने के बाद से वर्तमान में नगर निगम द्वारा बस स्टैंड का संचालन किया जा रहा था.
दिल्ली मोड़ स्थित वाससुदेवपुर में करीब आठ एकड़ में बने नये बस स्टैंड से बसों का परिचालन शुरू होने से ग्रामीण इलाके के कारण राह में आ रही तकनीकी समस्या से निगम को आय का एक प्रमुख स्रोत बंद हो गया है. वहीं नवनिर्मित स्टैंड का संचालन के लिये निगम को डीएम के भेजे गये प्रस्ताव को बीते वर्ष 2016 में निगम बोर्ड से नि:शुल्क हस्तांतरण की स्वीकृति दिये जाने के बाद आयुक्त के सचिव के भेजे पत्र में मोटी रकम की मांग किये जाने के बाद मामला अटक गया. इसलिए जिला प्रशासन ने अपने स्तर से स्टैंड का संचालन शुरू कर दिया है. इससे निगम पर वित्तीय संकट मंडराने लगा है. वहीं निगम में डीआरडीए के विलय होने के बाद स्टैंड से प्राप्त होने वाली राशि से पांच कर्मियों को हो रहे वेतन भुगतान पर भी सवाल खड़ा हो गया है.
एक दशक से निगम कर
रहा स्टैंड का संचालन
एक फरवरी 2007 को प्राधिकार का अस्तित्व समाप्त होने के बाद डीआरडीए का नगर निगम में विलय किये जाने का पत्र नगर विकास एवं आवास विभाग ने जारी किया था. विलय के बाद करीब 10 वर्षों से निगम के स्वामित्व में आने के बाद स्टैंड का संचालन करता आ रहा था. मई 2008 से प्राधिकार के पांच कर्मी निगम में विभिन्न पदों पर अपनी सेवा दे रहे हैं. इसमें जेइ अनिल कुमार चौधरी, उदयनाथ झा, संजय शरण सिंह व किरानी के पर पर पुरुषोत्तम दास एवं मो. शहाबुद्दीन काम कर रहे हैं.
निगम की ओर से नव निर्मित बस स्टैंड संचालन के लिए नि:शुल्क हस्तांतरण का अनुरोध किया गया था, लेकिन स:शुल्क हस्तांतरण में मोटी रकम की मांग की गयी थी. निगम वर्तामान में इतनी बड़ी राशि देने में सक्षम नहीं है. विलय के बाद निगम में काम कर रहे कर्मियों के भुगतान बावत विलय पत्र को बोर्ड की बैठक में लाकर नीतिगत निर्णय लिया जायेगा. खर्च हुई राशि को वापस करने का प्रस्ताव बोर्ड में रखा जायेगा.
– नागेंद्र कुमार सिंह, नगर आयुक्त
स्टैंड से प्रतिदिन निगम की आय 12 हजार
निगम को वर्तामान में कादिराबाद स्टैंड के संचालन से करीब 12 हजार रुपये प्रतिदिन आय हो रही थी. माह में लगभग साढ़े तीन लाख रुपये यानी वर्ष का 40 से 42 लाख रुपये की आमद होती थी. इस आय से विलय के बाद निगम में काम कर रहे प्राधिकार के पांच कर्मियों का वेतन करीब 2.50 लाख रुपये प्रति माह भुगतान किया जाता रहा है. अब स्टैंड संचालन का काम निगम से छिन जाने की स्थिति में इन कर्मियों के भुगतान की समस्या खड़ी हो गयी है.
विलय के बाद निगम को मिले थे सात करोड़
प्राधिकार विलय के समय खाते में पड़े करीब सात करोड़ रुपये निगम को हस्तांतरित किये गये थे. विभाग द्वारा दो जनवरी 2008 के जारी पत्र में दिये गये पैसे का उपयोग न्यायिक प्रतिबद्धता, प्राधिकार के कर्मचारी के वेतन व प्राधिकार द्वारा स्वीकृत योजनाओं पर खर्च करने की बात कही गयी थी. जानकारी के अनुसार प्राप्त राशि का बोर्ड से स्वीकृति के बाद निगम क्षेत्रों में नाला, सड़क आदि में खर्च कर दी गयी.

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