पटना. साल 2021 में कोरोना की दूसरी लहर में मार्च से लेकर अब तक पटना जिले में 2197 लोगों के मृत होने की जानकारी जिला प्रशासन को मिल चुकी है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर तीन जून तक 1208 लोगों के ही मौत होने की पुष्टि की गयी है, जिसमें 756 लोगों के आश्रितों को भुगतान करने की प्रक्रिया चल रही है.
पिछले साल से लेकर अभी तक कोरोना से मृत होने वाले 268 लोगों के आश्रितों को मुआवजे की राशि दी जा चुकी है. जबकि 756 लोगों को देने के लिए प्रक्रिया जारी है. इसी 268 लोगों में 30 पिछले साल के हैं, जबकि जिन 756 लोगों को देने की प्रक्रिया की जा रही है, उसमें 42 मृत की सूची भी शामिल है.
खास बात यह है कि राज्य स्वास्थ्य समिति के पोर्टल पर पटना जिले में मरने वाले 1178 लोगों की सूची अपलोड की गयी थी, लेकिन जांच में दस की सूची गड़बड़ निकली. वे लोग जांच में जिंदा पाये गये. उनका नाम सूची से हटाने के बाद संख्या 1168 हो गयी, जबकि निजी अस्पतालों के माध्यम से अपलोड किये गये मृतकों की सूची व आये फोन कॉल के माध्यम से 1029 मृत लोगों की पहचान की गयी.
जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि सरकारी अस्पताल, निजी अस्पताल, घाट आदि से मिले मृत लोगों की सूची के आधार पर अभी तक 2197 मृत की पहचान की गयी है. इसमें 756 लोगों को मुआवजा देने की प्रक्रिया चल रही है. प्राइवेट अस्पतालों ने समय पर मृत लोगों की सूची को अपलोड नहीं की थी. होम आइसोलेशन वाले लोगों ने भी जानकारी शेयर नहीं की थी. प्रक्रिया जारी है.
निजी अस्पतालों व होम आइसोलेशन में इलाज कराने वाले पिछले साल 2020 में कोरोना से मृत हुए 72 लोगों को मुख्यमंत्री राहत कोष से मुआवजे की चार लाख की राशि नहीं मिल पायी थी. इसमें 30 मृतक के परिजनों को चार लाख की राशि दी गयी है, जबकि 42 को मुआवजा की राशि देने की प्रक्रिया चल रही है.
जानकारी के अनुसार, पिछले साल सितंबर माह में पटना जिले में 238 लोगों की मौत कोरोना से हुई थी. उनकी सूची भी स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर अपलोड कर दी गयी थी. इसके बाद जांच के बाद 238 मृत के आश्रितों को मुआवजे की राशि प्रदान कर दी गयी. लेकिन, निजी अस्पतालों व होम आइसोलेशन में रहने वाले 72 मृत लोगों के आश्रितों को चार लाख रुपये नहीं मिल पाये थे.
प्रशासनिक पदाधिकारियों के मुताबिक, पिछले साल कोरोना से मृत होने वाले में निजी अस्पताल की लापरवाही सामने आयी है. निजी अस्पतालों द्वारा अपने स्तर पर जानकारी नहीं दी गयी. इसके साथ ही होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे लोगों के आश्रितों ने मौत होने के बाद भी आवेदन नहीं दिया.
काफी बाद में आश्रितों ने आवेदन दिया, इसके बाद उनकी जांच करायी गयी और उसमें से 30 लोगों के आश्रितों को मुआवजे की राशि दे दी गयी है, जबकि 42 मृतकों के आश्रितों को देने की प्रक्रिया में है.
जानकारी के अनुसार, पिछले साल सितंबर माह में कोरोना का असर धीरे-धीरे काफी कम हो गया था. इसी बीच में विधानसभा चुनाव को लेकर जिला स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी गयी थीं. चुनाव की तैयारियों में प्रशासनिक महकमा जुट गया था और एक तरह से कोरोना से जुड़े कार्यों की गति धीमी हो गयी थी.
पिछले साल किसी भी व्यक्ति के कोरोना से मौत होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर जांच करायी जाती थी. इसके अलावे निजी अस्पतालों द्वारा भी कोरोना से मृत होने वालों की सूचना देने में लापरवाही बरती गयी. इसके कारण 72 लोगों को मुआवजे की राशि मिलने में परेशानी हुई.
Posted by Ashish Jha