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धोकराहां पहुंचे ”गांधी” भव्य स्वागत. 16 मई 1917 को यहां आये थे महात्मा गांधी

सरिसवा : पूरे सौ साल बाद महात्मा गांधी के प्रतिरूप जब धोकराहा होते हुए सरिसवा पहुंचे तो स्कूली छात्र एंव छात्राओं फूलों की बारिश कर स्वागत किया. स्थानीय लोग भी स्वागत के लिए उमड़ पड़े. गांधी के प्रतिरूप बने चनपटिया के शिक्षक संजीव कुमार जब धोकराहा पहुंचे तो स्थानीय मुखिया आशीष भट्ट माला पहनाकर कर […]

सरिसवा : पूरे सौ साल बाद महात्मा गांधी के प्रतिरूप जब धोकराहा होते हुए सरिसवा पहुंचे तो स्कूली छात्र एंव छात्राओं फूलों की बारिश कर स्वागत किया.

स्थानीय लोग भी स्वागत के लिए उमड़ पड़े.
गांधी के प्रतिरूप बने चनपटिया के शिक्षक संजीव कुमार जब धोकराहा पहुंचे तो स्थानीय मुखिया आशीष भट्ट माला पहनाकर कर स्वागत किया. वहीं सरिसवा मुखिया सोहन साह व प्रधानाध्यापक रामशंकर सिंह, अशोक पाण्डेय, विजय गुप्ता, मनोज उपाध्याय, अब्दुल सत्तार, स्वतंत्रता सेनानी पण्डित शिवनाथ तिवारी आदि ने गांधी का अगुवानी कर नारों के बीच सरिसवा माध्यमिक विद्यालय में बस स्टेशन चौक से ले गये. जहां से गांधी जी आये थे. वहा पर माल्यार्पण किया गया.
कार्यक्रम के दौरान मौके पर सीओ वीरेन्द्र मोहन, बीडीओ जितेन्द्र कुमार राम, बीइओ डा. नंदनी, जीपीएस दीपक वर्मा, ब्रजकिशोर सिंह, कांग्रेस नेता रविंद्र शर्मा, रवि कांत झा, दारोगा सुधीर कुमार, विनोद कुमार, जितेंद्र नाथ तिवारी, मुखिया आशीष भट्ट सुरेश हजरा शिक्षिका अफ़साना खातुन, अनीता देवी, लालबाबू बैठा समेत तमाम लोग मौजूद रहे.
स्वतंत्रता सेनानी पण्डित शिवनाथ तिवारी ने इस मौके पर बताया कि धोकराहा कोठी के हॉल्टन द्वारा अस्तबल जलाने को लेकर किसानों पर गलत तरीके से मुकदमा में फंसाया गया था. समस्या को जानने के लिये महात्मा गांधी 16 मई 1917 को पहुँचे थे. इस वर्ष सौ वर्ष पूरे हो जाने के उपलक्ष्य में चंपारण शताब्दी वर्ष बड़ी धूमधाम से मनायी जा रही है. जहा जहा पर गांधी का पदार्पण हुआ था. वहां-वहा पर यह कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं. जब निलहों की खेती से किसान त्रस्त थे.
तब पंडित राजकुमार शुक्ल ने लखनऊ अधिवेशन के दौरान गांधी से चम्पारण दौरे की गुजारिश की थी. यह सुन गांधी जी का चंपारण यात्रा कार्यक्रम तय हुआ. 16 मई 1917 को जब सरिसवा सरयुग उपाध्याय के शिव मंदिर परिसर में गांधी जी जब पहुंचे तो उस समय तीन सौ किसान सरयुग उपाध्याय के आम के बगीचे मे पहुंचकर निलहों के अत्याचार की बात किसान गांधी से कहे.

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