बेतिया : सदर अंचल के पिपरा पकड़ी मौजा में 91 एकड़ गैरमजरूआ सरकारी जमीन दशकों से मची लूट भंडाफोड़ हुआ है. खतियान में झील के रूप में दर्ज खाता 102 खेसरा 3577 रकबा 61 बिगहा 2 कट्ठा 18 धुर (करीब 91 एकड़) वाले के इस प्लॉट में से 30 एकड़ का हस्तांतरण 1986 में ही मतस्यपालन पालन विभाग को कर दिया गया, लेकिन करीब 33 साल गुजर जाने के बाद भी इतनी बड़ी सरकारी सम्पदा को देखने या खोजने की फुर्सत किसी पदाधिकारी को नहीं हुई.
जिलाधिकारी डॉ. निलेश रामचन्द्र देवरे द्वारा जिले के सभी जलस्रोतों की खोज खबर लेने के निर्देश के बाद दशकों से भू-माफियाओं के गिरफ्त में रहे करोड़ों मूल्य की इस सरकारी सम्पदा का भंडाफोड़ हुआ है. जिला मतस्यपालन पदाधिकारी मनीष श्रीवास्तव ने सम्बंधित जलकर की पड़ताल करते हुए इसमें बड़ी कार्रवाई व जांच की रिपोर्ट सौंपी है. डीएम के निर्देश पर कल 31 अगस्त से उक्त जमीन की पैमाइश शुरू की जा रही है. इसके बाद वें अपनी पूरी रिपोर्ट सौपेंगे. इसको लेकर हड़कंप मचा हुआ है.
डीएम ने गठित की सीओ की अगुवाई में कार्यबल : करीब 91 एकड़ रकबा वाले इस सरकारी जमीन की पूरी खोज खबर के लिए डीएम डॉ. देवरे ने सदर अंचल के सीओ रघुवीर प्रसाद के नेतृत्व में एक कार्यबल का गठन किया है. जिलाधिकारी से आदेशित होने के साथ ही इसकी पड़ताल तेज हो गई है. सीओ रघुवीर प्रसाद ने बताया कि प्रारंभिक जांच व जिला निबंधन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 1986 में मतस्यपालन पालन विभाग को आवंटित कुल 30 एकड़ जमीन में से 19.93 एकड़ जमीन की दबंग भू-माफियाओं ने खरीद बिक्री कर ली है. उन्होंने बताया कि उक्त जमीन पर कब्जा व हड़पने खेल दशकों से जारी है. माफियाओं ने आपस में दो गुट बना कर तत्कालीन मुंसफ कोर्ट में हक की दावेदारी कर दी. वहीं सरकारी अधिवक्ता द्वारा इसको गम्भीरता से नहीं लेने के कारण दोनों गुट ने षड्यंत्र पूर्वक आपस में ही सुलह कर लिया. इसके साथ ही मुंसफ कोर्ट द्वारा जलकर वाले सैरात भूमि का बंटवारा कर दिया गया.
सीओ ने कायम कर दी नौ साल पूर्व जमाबंदी : संबंधित अभिलेखों की पड़ताल से अनेक चौकाने वाले तथ्य उजागर हो रहे हैं. सीओ रघुवीर प्रसाद ने बताया कि माफियाओं के प्रभाव के कारण खरीद बिक्री वाली सरकारी जमीन की वर्ष 2010 से 2012 के बीज अनेक जमाबंदी कायम कर दी गई. तब खतियान में दर्ज उक्त जमीन की प्रकृति व सैरात पंजी तक की अनदेखी होने से ऐसी कारगुजारियों गति मिली है. जिसका वे विस्तृत अध्ययन प्रतिवेदन तैयार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उक्त भूखंड के करीब 10 एकड़ में अब भी झील के रूप में जलकर जिंदा लग रहा है.