खाद्यान्न उत्पादन में विश्व में अव्वल है भारत
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उत्पादन वृद्धि में क्षमता आधारित सुधार अच्छा विकल्प : राधामोहन
खाद्यान्न उत्पादन में विश्व में अव्वल है भारत बर्लिन में विभिन्न देशों के कृषि मंत्रियों के सम्मेलन को किया संबोधित मोतिहारी : केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि अनुशंधान कार्यक्रमों में किसानों के हितों को सर्वोच्य स्थान पर रखते हुए संसाधन उपयोग कुशलता को अधिक से अधिक उपयोग करने की […]
बर्लिन में विभिन्न देशों के कृषि मंत्रियों के सम्मेलन को किया संबोधित
मोतिहारी : केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि अनुशंधान कार्यक्रमों में किसानों के हितों को सर्वोच्य स्थान पर रखते हुए संसाधन उपयोग कुशलता को अधिक से अधिक उपयोग करने की जरूरत है. श्री सिंह बर्लिन जर्मनी में विभिन्न देशों के कृषि मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए उक्त् बातें कहीं. उन्होंने कहा कि जल कृषि के लिए अन्य महत्वपूर्ण आदानों जैसे मृदा से भी अधिक महत्वपूर्ण संसाधन है. कृषि और गैर कृषि परियोजना के लिए जल से अधिक प्रयोग अकुशल सिंचाई पद्धति, कीटनाशकों के अनुचित उपयोग, खराब संरक्षण और संरचना तथा अभिशासन के आभाव में पूरे विश्व में जल की कमी और प्रदूषण पर प्रभाव डाला है. उन्होंने कहा कि भारत के विस्तृत क्षेत्र में जल संसाधनों का वितरण असमान्य है.
प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष जल उपलब्धता 1700 घन मीटर और एक हजार घन मीटर से कम हो जाती है तो अंतराष्ट्रीय मानकों के अनुसार देश को जल के दबाव एवं विरल जल वाले क्षेत्र में वर्गीकृत किया जाता है. उन्होंने जानकारी दी कि 1544 घन मीटर प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष जल उपलब्धता के साथ भारत पहले से ही जल के दबाव वाला देश है और जल विरल वाले क्षेत्र में यह परिवर्तित हो रहा है. यद्यपि भारत विश्व में खाद्यान्न के अग्रणी उत्पादकों में से एक है. सिंचाई के बावत उन्होंने कहा कि जल के कुशल उपयोग के लिए यह आवश्यक है कि जल को उचित समय और पर्याप्त मात्रा में फसल में उपयोग किया जाये.
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