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राजनीतिक प्रयोग की तैयारी में पार्टियां
पूर्वी चंपारण में विधानसभा की कुल 12 सीटें हैं. छह सीटों की रिपोर्ट आप कल पढ़ चुके हैं. आज शेष छह सीटों की रिपोर्ट हम दे रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में जिले की 12 में से 11 सीटें जदयू-भाजपा गंठबंधन को मिली थीं. भाजपा के खाते में छह और जदयू के खाते में पांच […]
पूर्वी चंपारण में विधानसभा की कुल 12 सीटें हैं. छह सीटों की रिपोर्ट आप कल पढ़ चुके हैं. आज शेष छह सीटों की रिपोर्ट हम दे रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में जिले की 12 में से 11 सीटें जदयू-भाजपा गंठबंधन को मिली थीं. भाजपा के खाते में छह और जदयू के खाते में पांच सीटें गयी थीं.एक सीट निर्दलीय के खाते में गयी थी, जबकि बाकी दलों का खाता तक नहीं खुला था.
राजद सात, लोजपा तीन और भाकपा व जदयू एक-एक सीट पर दूसरे स्थान पर रहे थे. इस बार दलों के गंठबंधन में बड़ा उलट-फेर हुआ है. लिहाजा यहां चुनावी समीकरण भी बदल गया है. चूंकि चंपारण राजनीतिक प्रयोग की धरती रही है. इस लिहाज से नया समीकरण भी यहां के लिए प्रयोग ही है. इसका लाभ किसे मिलता है, यह देखना दिलचस्प होगा.
मोतिहारी
भाजपा को हैट्रिक की उम्मीद
यह सीट फिलवक्त भाजपा के पास है़. भाजपा ने राजद को हरा कर दूसरी बार इस सीट पर कब्जा किया. यहां से लगातार दूसरी बार भाजपा के प्रमोद कुमार चुनाव जीते. पिछले चुनाव में राजद के राजेश कुमार उर्फ बब्लू गुप्ता दूसरे स्थान पर रहे थे. गुप्ता राजद छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गये हैं. वह विधान परिषद का चुनाव जीते हैं. इसके कारण यहां का चुनावी समीकरण बदल गया है़
दूसरी ओ इस बार राजद, जदयू व कांग्रेस का महागंठबंधन है. इन तीनों दलों के स्थानीय नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश करनी शुरू कर दी है़ इन दलों के नेता क्षेत्र की समस्याओं को मुद्दा बना रहे हैं और इस का ठीकरा भाजपा विधायक के माथे फोड़ रहे हैं
हालांकि जदयू से अलग होने के बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा के वोट प्रतिशत में कमी आयी, जबकि राजद के वोट में करीब पांच
फीसदी की वृद्धि हुई. हालांकि बहुत कुछ इस पर भी निर्भर करेगा कि वह उम्मीदवार किसे बनाता है़
अब तक
भाजपा की बूथ कमेटी तैयार है. जदयू घर-घर दस्तक के बाद कार्यकर्ता सम्मेलन कर रही है. राजद भी संगठन चुनाव की तैयारी में जुटा.
प्रमुख मुद्दे
मोतीझील की जीणोद्धारत्नबंद चीनी मिलों को चालू कराना
शुद्घ पेयजल व नियमित बिजली आपूर्ति
कानून व्यवस्था में सुधार
किसानों की समस्याओं का समाधान रोजगार व तकनीकी शिक्षा के अवसर.
प्रत्याशी बनने की होड़
रक्सौल विधानसभा सीट पर 39 सालतक कांग्रेस का कब्जा रहा. 1977 के छात्र आंदोलन के दौरान जहां जिले की सभी सीटों से कांग्रेस का सफाया हो गया था, वहीं रक्सौल सीट से कांग्रेस के सगीर अहमद ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 1990 से अब तक कांग्रेस यहां से चुनाव नहीं जीत सकी है. भाजपा के डॉ अजय कुमार सिंह 2000 से अब तक चार बार यहां से चुनाव जीत चुके है.
पिछले चुनाव में उन्होंने लोजपा के राजनंदन राय को लगभग 11 प्रतिशत मतों के अंतर से हराया था. हालांकि राजनंदन राय 1990 से 2000 तक लगातार दो बार यहां से राजद के टिकट पर चुनाव जीते थे. रक्सौल से 1951 से 1972 तक कांग्रेस के राधा पांडेय विधायक रहे. बीच में 1967 से 1969 तक प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के विंध्याचल सिंह विधायक रहे थे. 1972 से 1990 तक सगीर अहमद चार बार विधायक रहे.
अहमद एक बार मंत्री भी रहे. इस बार भी इस सीट के भाजपा के खाते में रहने की उम्मीद है. महागंठबंधन में अभी सीट के बंटवारे पर इसके नेताओं की नजर है.
अब तक
आठ बार कांग्रेस, एक बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, दो बार राजद और चार बार भाजपा जीती. कांग्रेस के सगीर अहमद एक बार मंत्री भी रह चुके है.
इन दिनों
भाजपा का परिवर्तन रथ गांव-गांव घूम रहा है. जदयू का हर घर दस्तक कार्यक्रम पूरा हो चुका है. राजद कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर रहा है.
प्रमुख मुद्दे
शहर को जाम से मुक्ति दिलाने की व्यवस्था
बिजली आपूर्ति में सुधार
रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण
नगर परिषद् क्षेत्र में जलनिकासी की व्यवस्था
पेयजल का समस्या का समधान
अपराध व भ्रष्टाचार पर नियंत्रण
स्वास्थ्य सेवा में सुधार.
दावेदारों की सूची लंबी
केसरिया विधानाभा सीट पर 1980 तक सीपीआइ का कब्जा था. केसरिया, कल्याणपुर व संग्रामपुर प्रखंडों की 36 पंचायतों को मिलाकर बने इस विधानसभा क्षेत्र से सीपीआइ के पितांबर सिंह व कमला मिश्र मधुकर प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
पिछले चुनाव में उसका प्रदर्शन अच्छा रहा. हालांकि जीत भाकपा प्रत्याशी सचिंद प्रसाद सिंह को मिली थी. भाकपा के रामाशरण प्रसाद यादव दूसरे स्थान पर रहे थे.
दोनों के बीच करीब 12 फीसदी वोट का अंतर था. लोजपा के महेश्वर सिंह तीसरे स्थान पर थे, जबकि चौथा स्थान निर्दलीय प्रत्याशी के खाते में गया था. महेश्वर सिंह लोजपा छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गये हैं और इस सीट पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं.
जदयू से अलग होने के बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा के वोट में करीब 12 फीसदी बढ़ेतरी हुई. भाजपा से राजद को करीब 25 फीसदी और जदयू को करीब 30 फीसदी कम वोट मिले थे. इस बार महागंठबंधन में इस सीट के राजद में जाने के उम्मीद इसके कार्यकर्ता कर रहे हैं.
अब तक
पूर्व विधायक महेश्वर सिंह लोजपा छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं. लोकसभा चुनाव में भाजपा के वोट में करीब 12 फीसदी बढ़ेतरी हुई.
इन दिनों
जदयू कार्यकर्ता सरकार की उपलब्धियों से जनता को अवगत करा रहे हैं भाजपा परिवर्तन रैली के तहत सभाएं कर रही है़
प्रमुख मुद्दे
केसरिया को बौद्घ सर्किट से जोड़ना
बौद्घ स्तूप की खुदाई व स्थल का विकास त्न केसरिया को रेलवे लाइन से जोड़ना
केसरिया को अनुमंडल का दर्जा
पर्यटन विकास
युवाओं के लिए राजगार की व्यवस्था
उद्योगों की स्थापना
उच्च शिक्षा व्यवस्था का विस्तार
सिंचाई की सुविधा.
पिपरा
टिकट के लिए घमसान
पिपरा विधानसभा सरट 2010 के चुनाव में सामान्य हो गयी. अभी यह सीट जदयू के खाते में है. पिछले चुनाव में यहां से निर्वाचित हुए अवधेश कुशवाहा राज्य सरकार में मंत्री हैं.
उन्होंने राजद के सुबोध यादव को हराकर जीत हासिल की थी़ तीन प्रखंडों चकिया, मेहसी व तेतरिया को मिला कर बने इस विधानसभा क्षेत्र पर कई दिग्गजों की नजर है. महागंठबंधन समेत एनडीए के कई नेता टिकट के दावेदार हैं हालांकि इस सीट के जदयू के खाते में रहने की उम्मीद ज्यादा है.
ऐसा माना जा रहा है कि इस बार मंत्री कुशवाहा के बदले उनके पुत्र कृष्णा अजरुन कुशवाहा मैदान में उतर सकते हैं. टिकट के लिए सेटिंग-गेटिंग शुरू हो गयी है. भाजपा के श्यामबाबु यादव, अरुण गुप्ता मौर्य, अरुण कुशवाहा, हरजीत सिंह राजू, अरूण गुप्ता, राधेश्याम यादव, सुभाष कुशवाहा तथा लोजपा से डॉ विपुल कुमार राय के नाम की चर्चा है़
अब तक
किसी दल में बड़ा फेरबदल नहीं. विधायक अवधेश कुशवाहा के पुत्र कुष्णा अजरुन कुशवाहा के चुनाव लड़ने की संभावना है.
इन दिनों
कार्यकर्ता सम्मेलन कर रही है और नीतीश सरकार की उपलब्धियों से जनता को अवगत करा रहे हैं भाजपा बूथ स्तर पर सभाएं कर रही है़
प्रमुख मुद्दे
बंद पड़ी चकिया चीनी मिल
मेहसी को तेतरिया से जोड़ने के लिए गंडक पर पुल
जजर्र सड़क, बिजली व शुद्घ पेयजल की समस्या का समाधान
कल्याणपुर
क्षेत्र में पकड़ जताने में जुटे
कल्याणपुर विधानसभा सीट अभी जदयू के खाते में है़ 2008 में नये परिसीमन के आधार पर केसरिया और पिपरा क्षेत्र को काट यह विधानसभा क्षेत्र बना था. इसमें कोटवा एवं कल्याणपुर प्रखंड की 34 पंचायतें समाहित हैं.
2010 में पूर्व विधायक मो ओबैदुल्लाह की पत्नी रजिया खातुन यहां से जदयू के टिकट पर जीती थीं. उन्होंने राजद के मनोज कुमार यादव को हराया था़ हालांकि इस बार के चुनाव में दोनों दल एक ही गंठबंधन में होंगे और भाजपा से अलग होने के बाद लोकसभा चुनाव में जदयू के वोट में करीब 24 फीसदी की गिरावट आयी थी, जबकि राजद के वोट में करीब तीन प्रतिशत की कमी हुई थी.
लिहाजा इस सीट को लेकर राजद के नेता भी उम्मीद पाले हुए हैं. उधर भाजपा को इस सीट पर अपना प्रत्याशी देने का मौका मिला है. लोकसभा चुनाव में इसके वोट में करीब पांच फीसदी की बढ़त हुई थी. लिहाजा इसके टिकट को लेकर पार्टी नेताओं में खींचतान का दौर चल रहा है.
अब तक
राजद और जदयू में सीट के बंटबारे को लेकर तसवीर अभी साफ नहीं है. भाजपा को वोट प्रतिशत में लोकसभा चुनाव में बढ़त मिली थी.
इन दिनों
जदयू कार्यकर्ता सम्मेलन कर रही है और नीतीश सरकार की उपलब्धियों से जनता को अवगत करा रहे हैं भाजपा बूथ स्तर पर संगठन बना रही है़
राजद भी संगठन चुनाव के लिए तैयार कर रहा है़
प्रमुख मुद्दे
केसरिया-कल्याणपुर सड़क का चौड़ीकरण
चीनी मिल की स्थापना
सड़कों की हाल में सुधार
नियमित बिजल आपूर्ति
गन्ना किसानों की समस्याओं का समाधान
महिलाओं के स्वालंबन की व्यवस्था.
सुगौली
राजनीतिक प्रयोग पर नजर
सुगौली विधानसभा सीट अभी भाजपा के खाते में है और गुरुजी के रूप में चर्चित सेवानिवृत्त शिक्षक रामचंद्र सहनी यहां के विधायक हैं़ सहनी लागातार दूसरी बार विधायक बने हैं 2010 के चुनाव में उन्होंने राजद के विजय गुप्ता को हराया था. हालांकि गुप्ता भी अब भाजपा में हैं.
पुराने परिसीमन में इस सीट ने कभी सीपीआइ को प्रतिनिधित्व का मौका दिया था, तो कभी क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी को. यहां से निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं, लेकिन 2008 में नये परिसीमन लागू होने के बाद यहां का राजनीतिक समीकरण काफी बदल गया और उसका लाभ भाजपा को मिला़ हालांकि भाजपा को पिछले चुनाव में टिकट को लेकर आंतरिक विरोध ङोलना पड़ा था.
पुराने रामचंद्र सहनी को टिकट मिलने से पुराने नेताओं ने अपनी उपेक्षा का मामला उठाया था. इस बार भी इसके पुराने नेता रामगोपाल खंडवाल टिकट को लेकर दावेदारी पेश कर सकते हैं. यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि पार्टी से टिकअ नहीं मिलने पर वह बागी रुख अपना सकते हैं. उम्मीदवार बनने की घोषणा पहले कर चुके हैं.
अब तक
पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे विजय गुप्ता राजद छोड़ भाजपा में आ गये हैं. रामगोपाल खंडवाल टिकट नहीं मिलने पर बागी हो सकते हैं.
इन दिनों
भाजपा की बूथ कमेटी तैयार. परिवर्तन रैली चल रही है. ज़दयू कार्यकर्ता सम्मेलन कर रहा है. राजद का संगठनात्मक विस्तार जारी. भी संगठन चुनाव की तैयारी में जुटा है़
प्रमुख मुद्दे
सुगौली चीनी मिल की व्यवस्था में सुधार त्नरिंग बांध की मजबूती
बाढ़ की समस्या का ठोस निदान त्नकिसानों की समस्याओं का समाधान
युवाओं के लिए रोजगार के अवसर
सिंचाई की सुविधा
कृषि उपज की सही कीमत का व्यवस्था
ग्रामीण सड़क.
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