डुमरांव : शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र में कर्कलग्न में जब सूर्य पांच ग्रहों की शुभ दृष्टि के साथ मेष राशि पर विराजमान थे, तब भगवान श्रीराम का जन्म माता कौशल्या के गर्भ में हुआ था. श्री राम को सदाचार का आदर्श भारतीय संस्कृति में माना गया है. ऐसा कहा जाता है कि उनके समय में प्रजा हर प्रकार से सुखी संपन्न रहा करती थी. आजीवन मर्यादा का पालन करते हुए भगवान श्री राम मर्यादापुरुषोत्तम कहलाएं. ऐसा कहा जाता है कि हिंदू परंपरा के अनुसार राम नवमी के दिन मंदिर, मकान पर ध्वजा, पताका आदि से सजाने का विशेष महत्व है.
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रामनवमी में ध्वजा सजाने का है विशेष महत्व
डुमरांव : शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र में कर्कलग्न में जब सूर्य पांच ग्रहों की शुभ दृष्टि के साथ मेष राशि पर विराजमान थे, तब भगवान श्रीराम का जन्म माता कौशल्या के गर्भ में हुआ था. श्री राम को सदाचार का आदर्श भारतीय संस्कृति में माना गया है. ऐसा कहा जाता है […]
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