सुरक्षा व्यवस्था चौपट. बक्सर सेंट्रल जेल की खिड़की तोड़ पांच कैदी हुए फरार
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होती रही जांच, भाग निकले बदमाश
सुरक्षा व्यवस्था चौपट. बक्सर सेंट्रल जेल की खिड़की तोड़ पांच कैदी हुए फरार बक्सर : बक्सर में जेल से फरार होने की यह पहली कोई घटना नहीं है. इसके पहले भी कारा प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए बंदी फरार हुए हैं. 24 घंटे पहले भारी पैमाने पर जेल में छापेमारी की गयी […]
बक्सर : बक्सर में जेल से फरार होने की यह पहली कोई घटना नहीं है. इसके पहले भी कारा प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए बंदी फरार हुए हैं. 24 घंटे पहले भारी पैमाने पर जेल में छापेमारी की गयी थी. एक-एक कर सभी वार्डों को खंगाला गया था. हालांकि प्रशासन को कुछ भी बरामद नहीं हुआ था. जेल प्रशासन की मानें तो पांचों कैदी खतरनाक हैं. उनका बाहर रहना प्रशासन के लिये बहुत बड़ा खतरा है. बक्सर जेल सुरक्षा के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है. सदर एसडीओ गौतम कुमार के नेतृत्व में छापेमारी की गयी थी. तीन घंटे तक चली इस छापेमारी में एक-एक कर सभी वार्डों को खंगाला गया था. इस दौरान पुलिस को कोई कामयाबी हाथ नहीं लगी थी. हालांकि कई आपत्ति जनक सामान बरामद हुए थे. छापेमारी टीम में आधा दर्जन थानों की पुलिस लगायी गयी थी.
जानिये कितने कुख्यात थे फरार होने वाले बंदी : फरार होने वाले बंदियों में सभी पर कई संगीन मामले दर्ज हैं. किसी को उम्र कैद की सजा सुनायी गयी थी तो किसी पर 25 हजार का रुपये का इनाम घोषित किया गया था. आरा के सोनू और उपेंद्र साह पर अपहरण और हत्या के मामले दर्ज हैं.जबकि छपरा के बंदी देवधारी राय पर बलात्कार कर हत्या करने का मामला दर्ज है. जबकि मोतिहारी के प्रांजीत सिंह पर हत्या का मामला दर्ज है. इस मामले में इसे आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी थी. वहीं सोनू पर अपहरण, हत्या का मामला दर्ज है. विदित हो कि प्रांजीत सिंह और देवधारी राय को 14 जून 2015 को बक्सर सेंट्रल जेल लाया गया था. सोनू पांडेय को 9 अक्तूबर 2014 बक्सर सेंट्रल जेल लाया गया था. उपेंद्र साह को 10 नवंबर 2013 को बक्सर सेंट्रल जेल लाया गया था. वहीं सोनू सिंह को 20 फरवरी 2016 को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. सोनू सिंह ने दो दिन पहले देवव्रत को धमकी दिया था.
2011 में भी भागे थे दो कुख्यात नक्सली : केंद्रीय जेल से कैदियों के भागने का सिलसिला लगातार जारी है. इससे पहले जिले का कुख्यात अपराधी संतोष पासवान ग्राम महदह, थाना मुफस्सिल व राजू राम ग्राम रसुलपुर, थाना राजपुर भागे थे. 18 दिसंबर 2011 की रात इन दोनों ने बांस के सहारे इस कारनामे को अंजाम दिया. राजू राम तो एक सप्ताह के अंदर ही पकड़ लिया गया. लेकिन संतोष पासवान लगभग दो वर्ष बाद राजपुर थाना के अकबरपुर गांव से पकड़ा गया. फिलहाल संतोष तीसरी बार पकड़ा गया है. वह नया बस स्टैंड के पास हरेंद्र सिंह की हत्या में जेल भेजा गया है.
सब जेल से भागे थे चार हत्या आरोपित : जेल के अलावा पुराने सदर अस्पताल के पास स्थित सब जेल से एक ही साथ चार हत्यारोपित भाग निकले थे. यह घटना 14 जून 2014 को हुई थी. कोर्ट परिसर में कमलेश सिंह की हत्या करने वाले अमन सिंह, बोतल चौधरी, विशाल श्रीवास्तव एवं अरमान अंसारी दस बजे दिन में ही फरार हो गये. इस मामले में सब जेल के उपाधीक्षक समेत आठ को सस्पेंड किया गया था.
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