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चार लाख की सड़क 35 दिनों में टूट गयी

अनियमितता. गिट्टी और बालू हो गये अलग-अलग, सड़क पर उड़ने लगी धूल नवंबर, 2016 में चार लाख रुपये की लागत से बनी वार्ड नंबर 27 की सड़क महज एक माह में टूट गयी़ यूं कहें तो सड़क पर यात्रियों का आवागमन भी शुरू नहीं हुआ था कि इसकी हालत खराब हो गयी. इसके टूट जाने […]

अनियमितता. गिट्टी और बालू हो गये अलग-अलग, सड़क पर उड़ने लगी धूल

नवंबर, 2016 में चार लाख रुपये की लागत से बनी वार्ड नंबर 27 की सड़क महज एक माह में टूट गयी़ यूं कहें तो सड़क पर यात्रियों का आवागमन भी शुरू नहीं हुआ था कि इसकी हालत खराब हो गयी. इसके टूट जाने से वार्ड के लोगों में काफी आक्रोश है.
बक्सर : नगर के बीचो-बीच पुस्तकालय रोड वार्ड नंबर 27 में बनी सड़क महज 35 दिनों में ही टूट गयी. सिमेंट, गिट्टी और बालू तीनों इस सड़क पर अलग-अलग हो गये. बालू के कारण सड़क मिट्टी में तब्दील हो रही है.
बनने के साथ ही खराब हो रही सड़क को लेकर ठेकेदार और जेइइ पर सवालिया निशान खड़ा हो गया था. आखिरकार सड़क बनाते वक्त विभाग के जेइइ इसकी जांच कैसे की थी. स्थानीय लोगों ने सड़क बनते वक्त इसकी मौखिक शिकायत विभाग से थी, लेकिन लोगों की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि योजनाओं के नाम पर नगर पर्षद के पैसे का बंदरबाट हो रहा है. लोग बताते हैं कि सड़क बनने के पांच दिनों बाद ही टूटने लगी थी, लेकिन पैसे का भुगतान कराना था. ऐसे में कई जगहों पर इसे सीमेंट लगाकर ठीक किया गया. सड़क पर ऊपर से सीमेंट के दाग भी दिखते हैं, जिससे इस बात की तस्दीक होती है कि ऊखड़ी सड़क को छिपाने की कोशिश की गयी है. बहरहाल लोगों में टूट रही सड़क को लेकर काफी आक्रोश है.
सड़क के ऊपर ही बना दी सड़क
जितनी जल्दी सड़क टूट रही है, इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इसके बनाने में काफी अनियमितता बरती गयी है. सरकारी मानक को ध्यान में रखकर इसे नहीं बनाया गया है. इतना ही नहीं हाइ कोर्ट के आदेश का उल्लंघन भी हुआ है. कोर्ट के अनुसार पुरानी टूटी सड़क को पहले पूर्ण रूप से तोड़ कर निकाल लेना है. फिर उस पर नयी सड़क को ढालना है, लेकिन इस निर्माण में ऐसा नहीं हुआ.
यह है मानक
सड़क बनाने का सरकारी मानक के अनुसार किसी भी सड़क को बनाने के लिए सीमेंट, बालू और गिट्टी क्रमश: एक, दो और चार का मसाल लगता है. यदि सड़क लिंक रोड रहे, तो यह अनुपात एक, दो और तीन का होगा. जबकि मोटाई पांच या छह इंच होती है. वहीं, ठेकेदार को निर्माण काल से तीन साल तक रख-रखाव करते रहना है.
वार्ड नंबर 27 की सड़क
600 फुट लंबी है सड़क
वार्ड नंबर 26 और 27 की यह संयुक्त सड़क करीब छह सौ फुट लंबी है. सड़क को बनाने के लिए चार लाख 31 हजार पांच सौ रुपये की लागत आया था. पहले इस सड़क में जलजमाव और कीचड़ पसरा रहता था. जब सड़क बनने की जानकारी यहां के लोगों को मिली, तो लोग काफी खुश हुए. लेकिन, इसके बनने के महज पांच दिनों में सड़क की जो स्थिति देखी गयी. उससे लोग काफी दुखी हुए. मुहल्ले के अजय कुमार, संजीव, संतोष कुमार आदि ने बताया कि इसकी मौखिक शिकायत विभाग के पदाधिकारियों से की गयी थी, पर कुछ भी नहीं हुआ.
सड़क महज कुछ ही दिनों में टूट गयी. यह काफी शर्मनाक है. आखिर नगर पर्षद कैसे किसी काम को कराता है. समझ से परे है. इसकी जांच होनी चाहिए़
मो. नसीम, मुहल्लावासी
नप को नहीं है जानकारी
सड़क टूट गयी और इसकी जानकारी नगर पर्षद को नहीं है. सड़क बनाने में काफी अनियमितता बरती गयी है. सब कमीशन के खेल के कारण हुआ है.
राम जी सिंह, छात्र नेता
दिख रही लापरवाही
नगर पर्षद की योजनाओं में काफी लापरवाही दिख रही है. इस सड़क के अलावा भी अभी कई सड़कें ऐसी हैं, जहां घोर अनियमितता हुई है. जांच होनी चाहिए.
राजेश शर्मा, छात्र नेता
नप में लूट मची है
नगर पर्षद में लूट मची है. हर कोई मनमानी कर रहा है. जनता के पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है. इसके खिलाफ जनता को एकजुट होना चाहिए. यह लोकतंत्र के लिए अच्छी बात होगी. नगर पर्षद में देखनेवाला कोई नहीं है़ सभी अपने चक्कर में लगे हैं.
मीना सिंह, पूर्व चेयरमैन, नप
इतनी जल्दी सड़क को नहीं टूटना चाहिए
इतनी जल्दी सड़क को नहीं टूटना चाहिए. इसे मैं स्वयं भी देखूंग और जांच का निर्देश दिया जायेगा. ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेट किया जायेगा. ठेकेदार पुन: इस सड़क को बनायेगा. ऐसा नहीं है कि सड़क खराब बनाकर कोई बच जायेगा. ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
अनिल कुमार, कार्यपालक पदधिकारी नप, बक्सर

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