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छापेमारी के दौरान होता है बैक डोर सेटलमेंट

बक्सर : बिजली विभाग अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए जहां लगातार छापेमारी कर रहा है और उपभोक्ताओं को बिजली चोरी के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के साथ-साथ जुर्माना वसूलने में सक्रिय दिख रहा है, तो वहीं, सेटलमेंट का काम भी जोरों पर चल रहा है. विगत दो माह में 22 लोग बिजली चोरी […]

बक्सर : बिजली विभाग अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए जहां लगातार छापेमारी कर रहा है और उपभोक्ताओं को बिजली चोरी के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के साथ-साथ जुर्माना वसूलने में सक्रिय दिख रहा है, तो वहीं, सेटलमेंट का काम भी जोरों पर चल रहा है. विगत दो माह में 22 लोग बिजली चोरी में पकड़े गये हैं. छापामारी में कई उपभोक्ताओं पर मानक के अनुरूप जुर्माना न करके गलत प्राथमिकी व जुर्माना लगाने का आरोप विभाग के अधिकारियों पर लगाये जा रहे हैं.

पवनी निवासी रमेश कुमार सिंह ने विभाग पर गलत तरीके से प्राथमिकी दर्ज करने का आरोप लगाते हुए बताया कि विभाग ने उन पर बेल्डिंग मशीन चोरी की बिजली से चलाने का मुकदमा दर्ज कराया है, जबकि बेल्डिंग मशीन उनके घर के किरायेदार जेनेरेटर से चलाते हैं. मौके पर रमेश कुमार मौजूद नहीं थे. रमेश कुमार ने बताया कि किरायेदार बेल्डिंग मशीन को जेनेरेटर से चलाता है. किरायेदार ने बिजली कनेक्शन नहीं लिया था. बावजूद इसके बिना साक्ष्य के विभाग ने भारी भरकम राशि वसूलने के चक्कर में लाखों रुपये का जुर्माना लगाया है, जिससे रमेश कुमार सिंह आर्थिक उत्पीड़न की मार झेल रहे हैं. इसके अलावा ऐसे दर्जनों लोगों ने विभाग की मनमानी और बैक डोर सेटलमेंट का राज खोला.

* केस-1 : राजेंद्र कटरा निवासी मो. नसीम पर तीन अगस्त 2014 को विभाग ने छापेमारी कर प्राथमिकी व जुर्माना लगाया था. जबकि दुकानदार मो नसीम ने बताया कि छापामारी के दौरान उनके दुकान पर 10 वर्षीय उनका पुत्र मौजूद था. विभाग ने मनमाने ढंग से प्राथमिकी दर्ज कर दी. जबकि अपनी सफाई में कुछ कहने का मौका तक दुकानदार को नहीं दिया गया. दुकानदार मो नसीम ने बताया कि छापेमारी में कुल पांच लोग पकड़े गये थे, लेकिन विभाग ने सिर्फ तीन लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करायी. दो लोगों से बैक डोर सेटलमेंट कर छोड़ दिया गया. उन्होंने बताया कि प्राथमिकी के बाद विभाग के कुछ कर्मी उनसे कानून की पेच में उलझा कर पैसे लेने में लगे हुए थे.

* केस-2 : दुकानदार बड़े कुरैशी पर विभाग ने छापेमारी कर प्राथमिकी व जुर्माना लगाया था. दुकानदार बड़े कुरैशी ने बताया कि छापेमारी के तुरंत बाद विभाग के कुछ कर्मी उनके पास आकर बैक डोर सेटलमेंट का प्रस्ताव रखा और कहा कि ऊपर से कुछ पैसे दे दो, तो तुम पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की जायेगी. इसके बाद छापेमारी में पकडे़ गये कुछ उपभोक्ताओं पर विभाग ने बैक डोर सेटलमेंट के बाद जुर्माना व प्राथमिकी दर्ज नहीं कराया.

– छापेमारी में पारदर्शिता नहीं

भारत की जनवादी नौजवान सभा के जिला सचिव धीरेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि विभाग छापेमारी के नाम पर गरीब व असहाय उपभोक्ताओं पर मनमाना जुर्माना लगा कर राजस्व को बढ़ाने में बिजली विभाग लगा है, लेकिन वहीं, राइस मिलरों और पैसेवालों से बैक डोर सेटलमेंट कर अपनी जेब गरम करने में अधिकारी लगे हुए हैं. श्री चौधरी ने बताया कि छापेमारी के मूल मानक क्या है इसकी जानकारी लेना चाहा, तो अधिकारी गोपनीयता का हवाला देते नजर आते हैं. ऐसे में लोगों में विभाग के प्रति गुस्सा व्याप्त है. साथ ही छापेमारी में उपभोक्ताओं पर किस आधार पर जुर्माना लगाया गया है. इसकी पारदर्शिता होनी चाहिए. श्री चौधरी ने छापेमारी में पारदर्शिता बरतने की मांग की है और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ आंदोलन करने की चेतावनी दी.

* छापेमारी का क्या है मानक नहीं बताते अधिकारी

विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता राजीव कुमार से जब छापेमारी के मानक के संबंध में जानकारी मांगी गयी, तो कार्यपालक अभियंता ने बताया कि छापेमारी में किस उपभोक्ता पर कितना जुर्माना लगाया गया और क्यों इस बात को गोपनीय रखा जाता है. इस संबंध में उपभोक्ताओं को नहीं बताया जा सकता और न मीडिया के लोगों को.

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