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चौथे दिन सत्तू, मूली का प्रसाद ग्रहण किया, आज लिट्टी-चोखा की तैयारी

पंचकोसी परिक्रमा . अंजनी सरोवर में स्नान करने से दरिद्रता का होता है नाश बक्सर : पंचकोसी परिक्रमा चौथे दिन भक्तिपूर्ण माहौल में नुआंव पहुंचने के साथ ही संपन्न हो गया. बड़का नुआंव पहुंच कर श्रद्धालुओं ने अंजनी सरोवर में डुबकी लगायी और उसके बाद संतों के साथ सरोवर का परिक्रमा किया. मंत्रोच्चार के साथ […]

पंचकोसी परिक्रमा . अंजनी सरोवर में स्नान करने से दरिद्रता का होता है नाश

बक्सर : पंचकोसी परिक्रमा चौथे दिन भक्तिपूर्ण माहौल में नुआंव पहुंचने के साथ ही संपन्न हो गया. बड़का नुआंव पहुंच कर श्रद्धालुओं ने अंजनी सरोवर में डुबकी लगायी और उसके बाद संतों के साथ सरोवर का परिक्रमा किया. मंत्रोच्चार के साथ अंजनी सरोवर की परिक्रमा पंचकोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष व बसांव पीठाधीश्वर अच्यूत प्रपन्नाचार्य जी महाराज के सान्निध्य में परिक्रमा में पहुंचे हजारों की संख्या में पुरुष व महिला भक्तों ने की. परिक्रमा के उपरांत श्रद्धालुओं ने चौथे पड़ाव पर सत्तू और मूली का प्रसाद ग्रहण किया.
इसमें विशेष योगदान बसांव मठ का रहा. अंजनी सरोवर में स्नान एवं पूजन-अर्चन से श्रद्धालुओं के मन में शांति व एकाग्रता कायम होती है. मान्यता के अनुसार भगवान राम अपने चौथे दिन की यात्रा में नगर से सटे उदालक ऋषि के आश्रम पहुंचे थे और भोजन के रूप में सत्तू और मूली खाये थे. उसी मान्यता के अनुसार आज तक चौथे पड़ाव पर लोग पंचकोसी में प्रसाद के रूप में सत्तू और मूली खाते हैं.
पंचकोसी परिक्रमा के सचिव डॉ रामनाथ ओझा ने बताया कि बड़का नुआंव में उदालक ने तपस्या कर विश्वामित्र सहित राम-लक्ष्मण का दर्शन किया था. ऐसा कहा जाता है कि उदालक ऋषि ने लक्ष्मी की बड़ी बहन दरिद्रता से शादी विष्णु भगवान के आग्रह पर किया था. इस स्थल पर उदालक ऋषि के यज्ञ ध्वनि, सत्संग का वातावरण दरिद्रा को रास नहीं आया और दरिद्रा ने उदालक का साथ छोड़ दिया और विष्णु के निर्देश पर पीपल में वास किया. वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार इस सरोवर पर बचपन में हनुमान जी अपनी माता अंजनी के साथ इस क्षेत्र के दर्शन को आये थे. खेले-कूदे और इसकी आध्यात्मिक परंपरा को सम्मान प्रदान किया.
संतों का विशेष योगदान है पंचकोसी परिक्रमा में
पंचकोसी परिक्रमा में धर्माचार्य व मठ के महंतों के द्वारा विशेष रूप से श्रद्धालुओं को सहयोग किया जाता है. समिति के अध्यक्ष व बसांव मठाधीश्वर अच्यूत प्रपन्नाचार्य जी महाराज के नेतृत्व में पंचकोसी परिक्रमा के उपाध्यक्ष राजाराम शरण, जनार्दन दास शास्त्री, प्रपन्नाचार्य भोला बाबा, कुल शेखर जी, अवधेश तिवारी, सूबेदार पांडेय,
सुरेश राय, मुरली राय, नारायण उपाध्याय, छविनाथ शास्त्री आदि संतों ने परिक्रमा को गौरव प्रदान कर रहे हैं. पंचकोसी परिक्रमा का पांचवां व अंतिम पड़ाव बक्सर के चरित्रवन में होगा. पांचवें व अंतिम पड़ाव में शामिल होने के लिए दूर-दराज से लोग शनिवार की रात से ही बक्सर पहुंचने लगे थे. अंतिम पड़ाव चरित्रवन में प्रसाद के रूप में श्रद्धालु लिट्टी-चोखा बनाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे.

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