कैमूर : 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सूबे में करारी हार हुई थी. लेकिन, इकलौता कैमूर ही ऐसा जिला था, जहां पार्टी का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा था. यहां की सभी चारों सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज कर क्लीन स्वीप किया था.
इस बार भाजपा का पुराना सहयोगी जदयू साथ है . जिले की सभी सीटें इस बार भाजपा के खाते में ही हैं. भाजपा ने अपने उम्मीदवारों को बदला नहीं है और सीटिंग विधायकों पर ही दांव लगाया है. जिले में दो सीटों को सबसे हॉट माना गया है.
इनमें एक चैनपुर है, तो दूसरा रामगढ़ है. चैनपुर से मंत्री बृजकिशोर बिंद की प्रतिष्ठा दांव पर है, तो रामगढ़ से राजद प्रदेश अध्यक्ष के बेटे मैदान में हैं. इन सबके बीच बसपा भी मुकाबले को रोचक बना रही है.
भभुआ विधानसभा क्षेत्र से कुल 14 उम्मीदवार मैदान में हैं. लेकिन, यहां मुकाबला चातुर्थकोणीय माना जा रहा है. पति के निधन के बाद विधानसभा तक पहुंचीं भाजपा विधायक रिंकी रानी पांडेय मैदान में हैं. वहीं, जदयू से बागी हुए और तीन बार विधायक बन चुके डॉ प्रमोद कुमार सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.
वहीं, बसपा को छोड़ कर राजद में आये महागठबंधन के उम्मीदवार भरत बिंद व बसपा समर्थित रालोसपा उम्मीदवार वीरेंद्र कुशवाहा भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं. भाजपा को जहां पिछले दो चुनावों से जीत हासिल हो रही है और इस जीत को बरकरार रखने की चुनौती है.
वहीं, प्रमोद सिंह, राजद के भरत बिंद और रालोसपा के वीरेंद्र कुशवाहा सीट को भाजपा से छीन अपने-अपने खाते में करने के लिए पूरी ताकत से जुटे हुए हैं.
जिले के अधिकतर नक्सलग्रस्त इलाकों को समेटे चैनपुर विधानसभा क्षेत्र से इस बार 19 प्रत्याशी मैदान में हैं. इसमें तीन बार विधायक चुने गये और मंत्री पद पर काबिज भाजपा के बृजकिशोर बिंद की प्रतिष्ठा दांव पर है. वहीं, उन्हें कांटे की लड़ाई देने वाले बसपा के जमा खां को इस बार रालोसपा का साथ मिला है.
पिछले चुनाव में महज 600 वोटों से पराजित हुए जमा खां इस बार बृजकिशोर बिंद के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी माने जा रहे हैं. नीतीश सरकार में खनन मंत्री रहे बृजकिशोर बिंद को अपनी सीट चौथी बार बचाने की जहां बड़ी चुनौती मिल रही है, वहीं महागठबंधन भी भाजपा-बसपा की लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में पूरी ताकत से जुटा हुआ है.
जिले के सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से इस बार 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. भारतीय जनता पार्टी ने अपने पुराने व विगत विधानसभा चुनाव में जीते निरंजन राम को ही मैदान में उतारा है. इनके मुकाबले में राष्ट्रीय जनता दल की संगीता कुमारी व बहुजन समाज पार्टी की सुमन कुमारी मैदान में हैं.
हालांकि, भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे निरंजन राम की छवि बहुत विवादों के बीच नहीं रही है, जिसका उन्हें लाभ मिलने की उम्मीद है. लेकिन, मोहनिया विधानसभा क्षेत्र के रास्ते ही उत्तर प्रदेश के बॉर्डर क्षेत्र से कैमूर में घुसी बसपा की पकड़ भी इस क्षेत्र में हमेशा से मजबूत रही है.
वहीं, राजद ने भी अपनी पूरी ताकत लगाकर सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र की सीट अपने खाते में करने की कोशिश कर रहा है. राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का प्रभाव भी इस क्षेत्र में काफी है.
जिले में समाजवाद की रीढ़ माने जाने वाले रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से इस बार कुल 12 प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर है. इस विधानसभा क्षेत्र का नेतृत्व छह बार कर चुके राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की प्रतिष्ठा अपरोक्ष रूप से दांव पर लगी है, क्योंकि उनके पुत्र सुधाकर सिंह उनके दल के टिकट पर मैदान में हैं.
उनका निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपनी दबदबा कायम कर भाजपा का टिकट लेकर विधायक बने अशोक कुमार सिंह से मुकाबला है. इस कड़ी टक्कर के बीच राजद छोड़ कर बसपा का दामन थामे अंबिका सिंह यादव लड़ाई को रोचक बना रहे हैं.
अंबिका सिंह यादव इस क्षेत्र की बागडोर दो बार संभाल चुके हैं और इस बार बसपा के परांपरागत वोटों के साथ उनको रालोसपा का भी समर्थन हासिल है. मिलाजुला कर यहां स्पष्ट तौर पर त्रिकोणीय मुकाबला है.
Posted by Ashish Jha