आरा : गत एक अप्रैल से जैसे ही शराबबंदी लागू हुई. मुंहनोचवा की जगह मुंहसुंघवा से लोग डरने लगे. पियक्कड़ों ने तो रास्ता ही बदल दिया था, मगर अब मुंहसुंघवा यानी ब्रेथ एनालाइजर से बचाव का रास्ता न सिर्फ पियक्कड़ों ने ढूंढ़ निकाला बल्कि पीने के लिए धंधा भी करने लगे. पियक्कड़ शराब दूसरे स्थान पर जाकर आसानी से खरीद- बिक्री कर रहे हैं. ब्रेथ एनालाइजर मशीन में कई त्रुटियां होने की वजह से पियक्कड़ों को आसानी से बेल भी मिल जा रहा है.
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काट ढूंढ़ रहे हैं पियक्कड़ शराबबंदी . ब्रेथ एनालाइजर मशीन में हैं कई त्रुटियां
आरा : गत एक अप्रैल से जैसे ही शराबबंदी लागू हुई. मुंहनोचवा की जगह मुंहसुंघवा से लोग डरने लगे. पियक्कड़ों ने तो रास्ता ही बदल दिया था, मगर अब मुंहसुंघवा यानी ब्रेथ एनालाइजर से बचाव का रास्ता न सिर्फ पियक्कड़ों ने ढूंढ़ निकाला बल्कि पीने के लिए धंधा भी करने लगे. पियक्कड़ शराब दूसरे स्थान […]
शरीर में शराब की मात्रा तो बताती है, मगर फोटो नहीं खींच पाती है.
भले ही ब्रेथ एनालाइजर मशीन की चारों तरफ वाहवाही हो रही है, लेकिन पियक्कड़ों को पकड़ने में इस मशीन में कई तरह की त्रुटियां देखी जा रही हैं. जैसे जांच के दौरान ब्रेथ एनालाइजर मशीन यह जरूर बताती है कि आपके शरीर में कितना अल्कोहल है यानी आपने कितनी शराब पी है, कितनी नहीं. लेकिन यह मशीन मनुष्य की तसवीर नहीं निकाल पाती, जिसका फायदा उठा कर बाद में पियक्कड़ बेल के लिए कोर्ट में यह कह सकता है कि पुलिस ने जबरदस्ती की है और दूसरों की जगह मुझे फंसा दिया है. मशीन द्वारा तसवीरें नहीं निकाले जाने के कारण यह स्पष्ट नहीं होता कि आखिर किसने शराब पी है और शराब पीनेवाला यही व्यक्ति है.
लगता है अधिक समय
जांच के दौरान एक व्यक्ति में पुलिस को कम- से- कम 10 मिनट का समय लगता है, तब जाकर यह पता लगता है कि उक्त व्यक्ति ने शराब पी है या नहीं. ऐसे में देरी की वजह से कई पियक्कड़ रास्ता बदल कर निकल चुके होते हैं. एक पुलिसवाले ने बताया कि यदि तुरंत पता चल जाता कि किसने शराब पी है. मशीन तुरंत बता देती, तो शराब पर लगे प्रतिबंध का डर लोगों के दिल में दूसरा होता.
गलत नाम-पता बता रहे पियक्कड़
मशीन में फोटो खींचने का कोई उपाय नहीं होने के कारण पुलिस पूरी तरह से सामनेवाले पर निर्भर होती है, जिसकी जांच होती है. उसने पता जो बताया उसी के अनुसार पुलिस नाम और पता डालती है. सामनेवाला पुलिस से बचने के लिए नाम और पता अलग बता रहा है.
आसानी से मिल जा रही बेल
पियक्कड़ों को पकड़ कर पुलिस जेल भेज रही है और उन्हें आसानी से बेल मिल जा रही है. कई पियक्कड़ों ने यह बताया कि साहब मैंने शराब नहीं पी थी, बल्कि पुलिस ने दूसरे को मोहरा बना कर मुझे जेल भेज दिया और आसानी से मशीन द्वारा शराब पीने का साबित होने के बाद भी पियक्कड़ों को बेल मिल जा रही है. इतना ही नहीं पियक्कड़ों का हौसला पस्त भी नहीं हो रहा है.
आम के लिए कड़ा कानून और खास के लिए नया कानून
शराबियों को पकड़ने के लिए भोजपुर पुलिस के कप्तान क्षत्रनिल सिंह काफी गंभीर है. वह किसी भी हाल में सरकार द्वारा लागू किये गये नियम को शत-प्रतिशत लागू करने के लिए प्रयासरत है. सरकार की महत्वकांक्षी योजनाएं शराबियों के खिलाफ लागू हो उसके लिए उन्होंने कई तरह के दिशा- निर्देश अपने थानेदारों को दिया है लेकिन यह देखने को मिला है कि एक चिकित्सक नशे में धुत मिलता है और पुलिस जब उसे लेकर सदर अस्पताल में मेडिकल कराने पहुंचती है, तो वहां के चिकित्सकों की एक बोर्ड जांचोपरांत या लिखता है कि चिकित्सक ने होम्योपैथ की दवा खायी है.
उनका मेडिकल कराने में घंटाें लग जाता है. शाम सात बजे से सदर अस्पताल में मेडिकल कराने पहुंची नवादा पुलिस को 12 बजे जाता है. कई लोगों ने इस पर आपत्ति जताते हुए यह कहा कि साधारण परिवार का कोई व्यक्ति शराब पीते पकड़ा जाता है, तो उसका मेडिकल महज पांच मिनट में हो जाता है और उसे जेल भेज दिया जाता है.
मगर इस केस में ऐसा नहीं हुआ लोगों का आरोप है कि दोहरी तरह की नीति अपनायी जा रही है.
पांच थाना पुलिस को मिली है मात्र एक- एक मशीन
सरकार कहती है कि पियक्कड़ों के खिलाफ अभियान चलाइए मगर ब्रेथ एनालाइजर मशीन की कमी की वजह से या अभियान पूरी तरह सफल नहीं हो रहा है. अभी फिलहाल 2 महीना 12 दिन गुजर जाने के बाद भोजपुर पुलिस के हाथों में सिर्फ पांच मशीन दी गयी है. नगर थाना, नवादा थाना, पीरो थाना,
मुफस्सिल थाना और जगदीशपुर थाने को यह मशीन मिली है. इसके तहत भोजपुर पुलिस पियक्कड़ों को पकड़ने के लिए अभियान चला रही है. जबकि बाकी थाने की पुलिस शराबियों के खिलाफ अभियान मशीन की कमी की वजह से नहीं चला पा रही है, जिसके कारण पियक्कड़ अन्य थाना क्षेत्रों में आसानी से बच जा रहे.
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