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तोमर कर सकते हैं टीएमबीयू पर केस

फर्जी डिग्री मामला. दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री की डिग्री की जा चुकी है रद्द भागलपुर : दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री की फर्जी लॉ डिग्री को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने रद्द कर दिया है. अब विश्वविद्यालय प्रशासन तोमर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के मूड में है. दूसरी ओर यह चर्चा है कि विश्वविद्यालय […]

फर्जी डिग्री मामला. दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री की डिग्री की जा चुकी है रद्द
भागलपुर : दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री की फर्जी लॉ डिग्री को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने रद्द कर दिया है. अब विश्वविद्यालय प्रशासन तोमर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के मूड में है. दूसरी ओर यह चर्चा है कि विश्वविद्यालय पर भी तोमर मुकदमा करने की तैयारी में है. कभी भी मुकदमा कर सकता है.
विवि में इस बात की चर्चा हो रही थी कि तोमर ने मुकदमा करने की सूचना भेज दी है. तोमर यह आधार बना सकता है कि विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान, मुंगेर ने तोमर का नामांकन लिया. विश्वविद्यालय ने अन्य छात्रों के साथ उनकी भी समय-समय पर परीक्षा ली. परीक्षा के आधार पर रिजल्ट और फिर प्रमाणपत्र जारी किया. तोमर द्वारा विवि को दो बार भेजे गये स्पष्टीकरण को भी मुकदमे का आधार बनाया जा सकता है.
कर्मचारी पर कार्रवाई, बख्स दिये गये वीसी : तोमर की डिग्री रद्द करने के निर्णय बाद गत दिसंबर में अनुशासनात्मक कमेटी ने 14 कर्मचारियों के विरुद्ध दंड तय कर दिया. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने 17 लोगों के खिलाफ चार्जशीट भी अदालत में कर दिया.
लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह कि इन तमाम आरोपित लोगों में वे कहीं नहीं हैं, जिनके हस्ताक्षर से तोमर को मूल प्रमाणपत्र जारी किया गया. दरअसल तोमर को पूर्व कुलपति विमल कुमार के हस्ताक्षर से मूल प्रमाणपत्र जारी किया गया था. आरोपित बनाये जाने के दौरान विवि व दिल्ली पुलिस को परीक्षा नियंत्रक से लेकर कर्मचारी तक तो याद रहे, पर कुलपति बख्स दिये गये. टेबलेटिंग रजिस्टर पर हस्ताक्षर के आधार पर चार लोगों को आरोपित किया गया. ऑरिजनल सर्टिफिकेट पर कुलपति सहित तीन लोगों के हस्ताक्षर हैं. लेकिन कुलपति आरोपित नहीं किये गये. इसी तरह अन्य लोगों को भी आरोपित किया गया है.
भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गया है. अभी दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर का फर्जी डिग्री प्रकरण चल ही रहा है. अब बीएसएससी की परीक्षा में सेंटिंग व पेपर लिक मामले के आरोपित से टीएमबीयू के लिंक होने की बात सामने आ रही है. दरअसल बीएसएससी की परीक्षा में सेटिंग व पेपर लिक में अनंत प्रीत सिंह बरार की संलिप्तता का खुलासा हुआ है. बरार को टीएमबीयू के पूर्व कुलपति प्रो अरुण कुमार द्वारा कॉपी व मार्क्सशीट की छपाई का ठेका दिया गया था. इस लिंक को देखते हुए एसआइटी बरार व प्रो कुमार के बीच संबंध को खंगालने टीएमबीयू आ सकती है. विश्वविद्यालय में कोई पदाधिकारी आधिकारिक तौर पर कुछ तो बोलने को तैयार नहीं हैं, लेकिन यह चर्चा है कि हो सकता है कि पूर्व कुलपति प्रो अरुण कुमार के बरार के साथ अच्छे संबंध रहे हों, तभी कॉपी छपाई के लिए उन्हें मौका दिया गया हो. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में कुलपति के तौर पर प्रो अरुण कुमार का कार्यकाल 20.2.2013 से 14.3.2013 तक रहा था. महज 23 दिन के कार्यकाल में वे कुछ ही दिन टीएमबीयू में रहे.
उनके द्वारा भागलपुर विवि के बीएड, प्री-पीएचडी व स्नातक की कॉपियां जांचने के लिए मुजफ्फरपुर भेज दी गयी थी. इस बात की उन्होंने किसी को जानकारी नहीं दी और फाइलों में भी उल्लेख नहीं किया. उनके जाने के तीन-चार महीने के बाद काफी मेहनत के बाद कॉपियों का पता लगाया गया और फिर कॉपियां मंगायी गयी. दूसरा उन्होंने जाते-जाते मगध विवि के लेटर पैड पर भागलपुर विवि के परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति कर दी थी.
प्रथम महिला डाॅक्टर दिया था, अब नर्सिंग की पढ़ाई बंद
एशिया की प्रथम महिला डाॅक्टर देनेवाले मोक्षदा बालिका इंटर विद्यालय में नर्सिंग की पढ़ाई बंद हो चुकी है. कादंबिनी गांगुली इसी स्कूल में पढ़ीं थीं. वह एशिया की पहली महिला डाक्टर बनीं थीं. अभी स्थिति यह है कि विद्यालय में तीन वोकेशनल कोर्स में शामिल नर्सिंग की पढ़ाई इंस्ट्रक्टर न होने के कारण बंद हो चुकी है. ब्यूटीशियन व ड्रेस डिजाइनिंग कोर्स भी बंद हैं.
शिक्षकों की कमी : यह अति प्रतिष्ठित बालिका विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है. मोक्षदा बालिका इंटर स्कूल में 750 छात्राएं हैं. नौंवी में 300, 10वीं कक्षा में 300 और ग्यारहवीं व बारहवीं में 150 छात्राएं हैं. इन्हें पढ़ाने के लिए 36 शिक्षक हैं. माध्यमिक में अंगरेजी, गणित, भौतिकी व संस्कृत के शिक्षकों की कमी है, जबकि बारहवीं में अंगरेजी, गणित, अर्थशास्त्र के शिक्षकों की कमी है. इससे पढ़ायी व्यवस्था प्रभावित हो रही है.
कैसे होगा कंप्यूटर का ज्ञान : कंप्यूटर की पढ़ायी भी बंद ही हो चुकी है. स्कूल में कंप्यूटर टीचर तो हाल में नियुक्त किये गये हैं पर लंबे अर्से से बंद होने के कारण 11 कंप्यूटर खराब हो चुके हैं.
जर्जर हो रहे भवन, बेंच डेस्क की कमी : स्कूल के भवन भी जर्जर हो चुके हैं. स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या को देखते हुए कमरे भी छोटे पड़ने लगे हैं. बेंच व डेस्क की भी कमी है. मजबूरन एक बेंच पर चार छात्राओं को बैठाना पड़ रहा है.
खारा पानी पीकर बुझा रहे प्यास : स्कूल में खारा पानी पीकर शिक्षक व छात्राएं प्यास बुझा रहे हैं. बोरिंग खराब है. पानी पीने लायक नहीं है. स्कूल में शिक्षिकाओं के लिए अलग से शौचालय नहीं है. जेनरेटर भी खराब है. जरूरत पड़ने पर किराये पर जेनरेटर लेना पड़ता है. जेनरेटर ठीक करवाने के लिए स्कूल के पास पैसे नहीं हैं.
महर्षि अरविंद घोष के पिता स्कूल के संस्थापक : मोक्षदा बालिका विद्यालय का इतिहास समृद्ध है. महर्षि अरविंद घोष के पिता केडी घोष इस स्कूल के संस्थापक थे. 1868 से यह स्कूल चल रहा है.

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