ऑटोमोबाइल क्षेत्र से जुड़े कारोबारियों की मानें, तो इसमें केवल टू-व्हीलर के कारोबार पर अधिक असर पड़ा है. चूंकि फोर-व्हीलर की गाड़ियां पहले भी चेक व कार्ड पेमेंट होता था. बाइक लेने के लिए किसी तरीके का उपयोग करेंगे, हरेक जगह कुछ न कुछ पैसा लगेगा ही. इतना पैसा भी लोगों को तुरंत प्राप्त नहीं हो पा रहा है. अब तो बाइक सामान्य व निम्न मध्यवर्गीय लोग ही अधिकतर खरीद रहे हैं. हीरो शोरूम के जीएम कन्हैया ने बताया कि उनके यहां 10 दिन बीत जाने के बाद भी स्थिति खास्ता ही है.
थोड़ी बिक्री बढ़ी, लेकिन इससे शोरूम का खर्च निकलना भी मुश्किल है. पहले 90 प्रतिशत तक कारोबार प्रभावित था, अब 80 प्रतिशत तक है. उन्होंने बताया कि सामान्य दिन में 20 लाख रुपये का रोजाना कारोबार हो जाता था, जिसमें 40 गाड़ियां बिक जाती थी. अभी एक दिन में पांच लाख रुपये की भी गाड़ी नहीं बिक रही है. उन्होंने अलग-अलग कंपनी की बाइक के कारोबार के बारे में बताया कि रोजाना आंकड़े के अनुसार भागलपुर बाजार से 100 बाइक की बिक्री होती थी, जो घट कर 20 गाड़ियों पर सिमट गयी है. रामेश्वरम् टीवीएस शोरूम के संचालक राजेश सिंहानिया ने बताया कि नोटबंदी के पहले सात लाख रुपये का कारोबार होता था, अभी डेढ़ से दो लाख रुपये का कारोबार हो पा रहा है. वह भी अधिकतर ग्राहक चेक से पेमेंट कर रहे हैं.