डोयन डायग्नोस्टिक रिसर्च फाउंडेशन द्वारा पीपीपी मोड पर संचालित अल्ट्रा माडर्न डायग्नोस्टिक सेंटर को किसी भी पैथोलॉजिस्ट को नहीं रखने, बाहर से जांच रिपोर्ट तैयार कराने एवं कई जांच रिपोर्ट पर पैथोलॉजिस्ट का हस्ताक्षर अंकित नहीं रहने जैसी त्रुटियों के कारण 30 नवंबर 2015 को तत्कालीन अधीक्षक द्वारा तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश जारी किया था. बाद में मुख्यमंत्री के सचिवालय के पत्र के कारण तीन नवंबर 2015 को अधीक्षक जेएलएनएमसीएच को अपना आदेश वापस लेना पड़ा. बाद में सीएम सचिवालय द्वारा जारी पत्र जाली पाया गया, जिसकी सूचना तत्कालीन डीएम को दे दी गयी.
इस मामले की जांच करते हुए बीते आठ अप्रैल 2016 को जेएलएनएमसीएच के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने कार्यपालक निदेशक स्टेट हेल्थ सोसाइटी बिहार को अपनी रिपोर्ट भेजी, जिसमें डोयन द्वारा फर्जीवाड़ा किया जाना बताते हुए उनसे मागदर्शन मांगा गया था. तब से लेकर अब तक मागदर्शन के अभाव में डोयन फाउंडेशन को भुगतान किया जाता रहा. बीते 17 सितंबर को जेएलएनएमसीएच के अधीक्षक ने यह भी जानकारी दी कि वे पैथोलाजी का काम अपने उपलब्ध संसाधन से करा लेते हैं. 17 सितंबर को हुई सुनवाई में तत्कालीन इडी एसएचएस बिहार से टेलीफोन पर बात हुई थी. इडी द्वारा आश्वासन दिया गया था कि वे जल्द ही मागदर्शन दे देंगे. लेकिन 24 सितंबर की सुनवाई तक कोई मागदर्शन नहीं प्राप्त हुआ. 29 को परिवादी मिथिलेश कुमार द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए कमिश्नर सह अपीलीय प्राधिकार भागलपुर प्रमंडल अजय कुमार चौधरी ने जेएलएनएमसीएच के अधीक्षक को आदेश दिया कि जब तक राज्य स्वास्थ्य समिति से मागदर्शन प्राप्त नहीं हो जाता है, तब तक डोयन डायग्नोस्टिक रिसर्च फाउंडेशन से काम लेना बंद करें. साथ ही कार्य नहीं भुगतान नहीं के सिद्धांत के तहत संस्था को भुगतान न करें. यह तत्काल लागू होगा. इस आदेश की एक कॉपी स्टेट हेल्थ सोसाइटी के इडी को भी भेज दिया और यथाशीघ्र निर्णय लेने का अनुरोध किया गया.