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सब्जी मंडी में समा गया है ऐतिहासिक टीला

भागलपुर : सब्जी बेचनेवालों को क्या मालूम कि जिस टीले के ऊपर वे सब्जी की बोरियां रख देते हैं, ऐसा टीला देश में शायद ही कहीं बचा हो. इसे इस कदर वर्षों से उपेक्षित छोड़ दिया गया है कि इसे जाननेवाले लोगों की जेहन में भी यह नहीं रह गया है. समुद्र तल से इस […]

भागलपुर : सब्जी बेचनेवालों को क्या मालूम कि जिस टीले के ऊपर वे सब्जी की बोरियां रख देते हैं, ऐसा टीला देश में शायद ही कहीं बचा हो. इसे इस कदर वर्षों से उपेक्षित छोड़ दिया गया है कि इसे जाननेवाले लोगों की जेहन में भी यह नहीं रह गया है. समुद्र तल से इस जगह की कितनी ऊंचाई है,

वह इस टीले में दर्शायी गयी है. भागलपुर के कई इलाके के लोग तिलकामांझी में यहां सब्जी खरीदने के लिए रोज पहुंचते हैं. लेकिन इस ऐतिहासिक टीले पर किसी की नजर नहीं पड़ती. जिला प्रशासन भी इस जगह को संवारने की पहल नहीं करता.

इस शिलालेख में यह दर्शाया गया है कि समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 172.082 फीट है. अंगरेजों द्वारा इसे 1909 ई में स्थापित किया गया था. अंगरेजी में इस शिलालेख को प्रामाणिक टीला बताया गया है. ब्रिटिश शासनकाल में शिलालेख के माध्यम से इस जानकारी को सार्वजनिक किया गया था.
इसकी देखरेख की चिंता किसी संस्था को नहीं है. भागलपुर के विभिन्न महापुरुषों की प्रतिमा के स्थल की सफाई के लिए भागलपुर की विभिन्न संस्थाएं कभी-कभी आगे आती हैं. लेकिन इस शिलालेख के छोटे से परिसर की सफाई नहीं हो पाती. इस छोटे से परिसर में पेड़ की पत्तियां, हरी सब्जियों के टुकड़े, कचरे आदि यहां बिखरे रहते हैं. शिलापट्ट पर सब्जी की बोरियां रख दी जाती हैं. इसके आसपास भी कार्टून, बोरे आदि रखे होते हैं. सामने सड़क किनारे सब्जी बेची जाती है. इस कारण भी लोग इसे देख नहीं पाते और नजर जाती भी है, तो बदहाली देख इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है. समुद्रतल से ऊंचाई बतानेवाले टीले के बगल में एक और शिलापट्ट है. इसमें यह इस सड़क के नाम का उल्लेख है. अंगरेजी शासन काल के कलक्टर अगस्टस क्लिवलैंड के नाम से इस सड़क का नाम शिलालेख में क्लिवलैंड रोड लिखा हुआ है.

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