शहर को संक्रमित व बीमार कर रहा मेडिकल कचराफोटो- सुरेंद्र – नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक वाले शहर में जहां-तहां फेंक रहे हैं मेडिकल कचरा – मेडिकल कचरा के निस्तारण के लिए शहर में सिनर्जी डंपिंग प्लांट – 50 फीसदी नर्सिंग होम व निजी क्लिनिक नहीं कराते हैं मेडिकल कचरे की डंपिंग – जेएलएनएमसीएच व सदर अस्पताल समेत भागलपुर में 200 नर्सिंग होम व निजी क्लिनिकसंवाददाता, भागलपुर भागलपुर शहर में मेडिकल कचरा का समुचित निस्तारण नहीं होना लोगाें के लिए खतरा पैदा कर रहा है. शहर में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल व सदर अस्पताल समेत 200 से अधिक नर्सिंग होम और निजी क्लिनिक हैं, जहां से रोज कई क्विंटल मेडिकल कचरा निकलता है. मेडिकल कचरा के निस्तारण के लिए सिनर्जी वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से डंपिंग प्लांट लगाया गया है. एक सर्वे के मुताबिक इस प्लांट में शहर के 50 प्रतिशत हॉस्पिटल, नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक ही अपने मेडिकल कचरे को डंपिंग कराते हैं. बाकी 50 प्रतिशत नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक इसी तरह चौक-चौराहे पर मेडिकल कचरा फेंक देते हैं. ऐसे में बिना ट्रीटमेंट व डिस्पोजल के इतनी मात्रा में मेडिकल कचरा चौक-चौराहों और मैदानों में फेंक देने के कारण लोगों के स्वास्थ्य को संक्रमित व बीमार कर रहा है.क्या है मेडिकल कचरा मेडिकल कचरा लोगों के लिए खतरा बना हुआ है. मेडिकल कचरे में मुख्यत: सीरिंज, कांच की बोतलें, ब्लेड्स, प्लास्टिक की बोतलें, यूरिन बैग, ब्लड बैग, गलब्ज, प्लास्टर, गंदी पट्टियां, रुई, मानव शरीर के कटे भाग, मानव ऊतक, दवाओं के वायल्स एवं एम्प्यूल, आईवी सेट, टियूबिंग, केथेटर आदि शामिल हैं. कहां फेंकते हैं कचराशहर में करीब 200 हॉस्पिटल, नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक हैं. इसमें मात्र 94 नर्सिंग होम व क्लिनिक ही अपने मेडिकल कचरा को डंपिंग के लिए सिनर्जी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को देते हैं. बाकी करीब 100 नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिकों का मेडिकल कचरा का निस्तारण कैसे होता है, इसकी किसी को जानकारी नहीं है. राेजाना नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक से इतनी बड़ी मात्रा में निकले मेडिकल कचरा को किसी चौक चौराहे के कूड़ा स्थल जैसे- तिलकामांझी हटिया रोड, मोक्षदा गर्ल्स हाई स्कूल के पास के अलावा गहरे गड्ढे व नालों में फेंका जाता है. इसके अलावा नाथनगर, बरारी, सबौर, जगदीशपुर इलाके के मैदानी भाग में मेडिकल कचरा को यूं ही खुले में फेंक दिया जाता है. किस तरह की हो सकती हैं बीमारियांडॉक्टरों का कहना है कि मेडिकल कचरा खुले कूड़े में, पानी में या धूप में पड़े रहने से संक्रमण फैलाता है. इसके अलावा मेडिकल कचरा जलने पर निकलने वाला जहरीला धुआं भी कई गंभीर बीमारियों का कारण बनता है. संक्रमित सूई के चुभने से एड्स हो सकता है. इसके अलावा हेपेटाइटिस-बी और टिटनेस जैसे गंभीर बीमारियों के साथ-साथ संक्रमण से फैलने वाली बीमारी हो जाती है. नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक दिखा रहे कानून को ठेंगामेडिकल कचरा का उचित निस्तारण न करना कानूनन अपराध है. बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट ऑफ हैंडलिंग रूल्स-98 के मुताबिक मेडिकल कचरा को इधर-उधर फेंकना गैर कानूनी है. इसके अलावा म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट, पुलिस एक्ट 69 की धारा-34, इनवायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट 86 की धारा-15 का भी उल्लंघन है. इस अपराध के लिए दोषी पाये जाने पर आरोपति को पांच साल तक की सजा का भी प्रावधान है. इन सबके बावजूद नर्सिंग होम व निजी क्लिनिक कानून को ताख पर रख कर काम कर रहा है. अब जले मेडिकल कचरे की भी होगी जांच हाल में केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि अस्पतालों से फेंके गये मेडिकल कचरे के साथ ही अब इंसीरेटर में जले मेडिकल कचरे की भी जांच की जायेगी. इसमें यह पता किया जायेगा कि जले कचरे से किसी प्रकार की बीमारी हो रही है या हो सकती है. इसके लिए बोर्ड ने स्वास्थ्य विभाग को एक गाइडलाइन भी भेजी है. बोर्ड को आशंका है कि मेडिकल कचरा जलने के बाद उसका सही निबटान नहीं होने से उससे बिमारी फैल सकती है. इसके लिए राज्य प्रदूषण बोर्ड सभी मेडिकल कॉलेज व निजी अस्पतालों में प्रतिदिन निकलने वाले कचरे व उसके निबटान की पूरी रिपोर्ट बना कर केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड दिल्ली को भेजेगी. बॉक्स में…………हर रोज शहर से 20 क्विंटल निकलता है मेडिकल कचरासिनर्जी वेस्ट मेनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा कराये गये सर्वेक्षण से पता चला है कि शहर में हर दिन करीब 20 क्विंटल मेडिकल कचरा हॉस्पिटल, नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक से निकलता है. 20 क्विंटल मेडिकल कचरा में से मात्र आठ क्विंटल मेडिकल कचरा को ही इंसीरेटर में पहुंचाया जाता है. इसी प्रकार सूबे में हर रोज 120 क्विंटल मेडिकल कचरा निकलता है, जिसमें से मात्र 22 क्विंटल मेडिकल कचरा को ही इंसीरेटर में पहुंचाया जाता है.
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