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जाम में रोज फंसते हैं 13 हजार छात्र

भागलपुर : तिलकामांझी चौक से लेकर सबौर तक पढ़ने के लिए जाने वाले 13000 छात्रों का औसतन एक घंटा समय जाम में फंस कर बरबाद हो जाता है. जाम के कारण इन छात्रों की न केवल पढ़ाई बरबाद हो रही है बल्कि सेहत भी बिगड़ रहा है. शहर से सबौर तक करीब आधा दर्जन प्रतिष्ठित […]

भागलपुर : तिलकामांझी चौक से लेकर सबौर तक पढ़ने के लिए जाने वाले 13000 छात्रों का औसतन एक घंटा समय जाम में फंस कर बरबाद हो जाता है. जाम के कारण इन छात्रों की न केवल पढ़ाई बरबाद हो रही है बल्कि सेहत भी बिगड़ रहा है. शहर से सबौर तक करीब आधा दर्जन प्रतिष्ठित स्कूलों में करीब 13 हजार छात्र पढ़ाई के लिए आते-जाते हैं.

सप्ताह में औसतन दो से तीन दिन ऐसा होता है जब विक्रमशिला पुल से लेकर जीरोमाइल एवं तिलकामांझी से लेकर बाबूपुर मोड़ तक वाहनों की लंबी कतार लगी होती है. यह जाम ऐसा होता है जब बच्चों को या तो पैदल निकल कर अपने घर या फिर स्कूल जाना पड़ता है. या फिर डेढ़ से दो घंटे जाम में फंसना पड़ता है. सबसे ज्यादा मुसीबत तो बरसात के दिनों में होती है. जब मुख्य मार्ग को छोड़ कर हर लिंक मार्ग पर जलजमाव रहता है. नौकरीपेशा अभिभावक जो अपने बच्चों को स्कूल पहुंचाते हैं वो भी आये दिन जाम में फंस कर ड्यूटी में लेट पहुंचते हैं.

बच्चों की सेहत पर असर : जाम में फंसने के कारण बच्चे एक तो स्कूल लेट हो जाते हैं. अगर बच्चा आधा घंटा लेट हुआ तो उसका प्रेयर(प्रार्थना) और पहली क्लास छूटना तय है. बोर्ड के स्टूडेंट की तैयारी प्रभावित हो जाती है. इसके अलावा जाम में फंसने के कारण उसकी श्वसन नलिका प्रदूषित हो रही है और सड़क पर उड़ रहे धूल के कारण उनकी आंखों में परेशानी होने लगती है. जाम में फंसने के कारण वे थक जाते हैं जिससे उनकी दिनचर्या प्रभावित होती है. यहां तक कि वे अपना टॉस्क तक समय से पूरा नहीं कर पा रहे हैं. बिहार कृषि विश्वविद्यालय व इंजीनियरिंग काॅलेज के वे स्टूडेंट जो शहर में रह कर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं, उनकी पढ़ाई व सेहत पर भी असर पड़ता है.

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