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मेंटनेंस पर लाखों खर्च, बावजूद हॉस्पिटल बल्डिगिं पर उग आये हैं बड़े-बड़े पेड़

मेंटनेंस पर लाखों खर्च, बावजूद हॉस्पिटल बिल्डिंग पर उग आये हैं बड़े-बड़े पेड़हाल जेएलएनएमसीएच काफाेटो- आशुतोष – आउटडोर बिल्डिंग के सर्जरी विभाग के दीवारों पर उग गये हैं बड़े-बड़े पेड़- इंडोर विभाग के गायनी, हड्डी व एेनेस्थेसिया विभाग की दीवारों पर भी उगे हैं पेड़ – डेंगू व गायनी वार्ड से लेकर इंडोर कई विभागों […]

मेंटनेंस पर लाखों खर्च, बावजूद हॉस्पिटल बिल्डिंग पर उग आये हैं बड़े-बड़े पेड़हाल जेएलएनएमसीएच काफाेटो- आशुतोष – आउटडोर बिल्डिंग के सर्जरी विभाग के दीवारों पर उग गये हैं बड़े-बड़े पेड़- इंडोर विभाग के गायनी, हड्डी व एेनेस्थेसिया विभाग की दीवारों पर भी उगे हैं पेड़ – डेंगू व गायनी वार्ड से लेकर इंडोर कई विभागों में जगह-जगह गंदगी – शौचालय की स्थिति बदतर, अस्पताल परिसर में आधा दर्जन चापानल पड़े हैं खराब संवाददाताभागलपुर : जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चाहे व आउटडोर विभाग का सर्जरी वार्ड हो या फिर इंडोर विभाग के गायनी, हड्डी व एेनेस्थेसिया वार्ड सभी बिल्डिंग की दीवारों पर बड़े-बड़े पेड़ उग आये हैं. प्रथम नजर में ही लगता है कि अस्पताल के इस भवन की साफ-सफाई कई सालों से नहीं करायी गयी है. पानी टंकी से पानी गिरने के कारण पूरे दीवार पर काई जम गयी है. इसके अलावा रंगाई-पुताई का काम भी सालों से नहीं किया गया है. घनी झाड़ी व बड़े-बड़े पेड़ उग जाने से हर समय मरीजों को सांप व बिच्छू का भय बना रहता है. दीवार पर उगे पेड़ बिल्डिंग को भी जर्जर कर रहा है. जबकि हॉस्पिटल बिल्डिंग के रख-रखाव के लिए प्रत्येक साल राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से लाखों रुपये का आवंटन किया जाता है. इमरजेंसी से लेकर गायनी वार्ड तक गंदगी का ढेर जेएलएनएमसीएच का इमरजेंसी वार्ड हो या गायनी वार्ड जगह-जगह गंदगी से अटा पड़ा रहता है. रविवार को जब विभिन्न विभागों का जायजा लिया तो पाया कि डेंगू वार्ड हो या इमरजेंसी वार्ड या फिर गायनी वार्ड जहां-तहां गंदगी थी. डस्टबीन से भी कूड़ा नहीं उठाया गया था. गंदे कपड़े इसी तरह बेड के नीचे रख दिये गये थे. कई जगहों पर कूड़ा इकट्ठा करके इसी तरह खुले में रख दिया गया था. शौचालय की स्थिति तो पूरी तरह नारकीय बनी हुई थी. मजबूर मरीज ही अस्पताल के शौचालय का इस्तेमाल करते हैं. अन्यथा लोग परिसर में बने प्राइवेट डीलक्स शौचालय का ही इस्तेमाल करना पसंद करते हैं. पानी के लिए परिसर के अंदर दर्जन भर चापाकल लगाये गये हैं, लेकिन करीब आधा दर्जन चापाकल महीनों से खराब पड़ा है. गायनी वार्ड में फर्श पर इलाज व बिजली बोर्ड के सहारे स्लाइनजेएलएनएमसीएच के गायनी वार्ड में दर्जनों मरीजों का फर्श पर ही इलाज हो रहा था. गंदगी भी सबसे ज्यादा गायनी वार्ड में ही रहता है. गंदगी इतनी कि गायनी वार्ड में अंदर जाकर मरीज से मिलना भी कम दुष्कर कार्य नहीं. शौचालय की स्थिति भी बदतर रहती है. इमरजेंसी वार्ड में मरीजों का इलाज तो बरामदे पर होता ही है, स्लाइन चढ़ाने के लिए स्टैंड के बदले बिजली बोर्ड का इस्तेमाल किया जाता है. बॉक्स में………………..हाइ मास्ट लाइट खराब जेएलएनएमसीएच के इंडोर विभाग के शिशु रोग वार्ड के पीछे चिल्ड्रन पार्क बना है. चिल्ड्रन पार्क और जीएनएम नर्स के लिए बने हॉस्टल के लिए बीच में एक हाइ मास्ट लाइट लगायी गयी है. हाइ मास्ट लाइट के खराब रहने से चिल्ड्रन पार्क व जीएनएम हॉस्टल के इर्द-गिर्द अंधेरा छा जाता है. शाम होते ही इस इलाके में असामाजिक तत्वों के लोग मंडराने लगते हैं. लाइट नहीं रहने से शाम होते ही हॉस्टल की लड़कियां पैक हो जाती हैं. चिल्ड्रन पार्क की स्थिति भी दयनीय बनी हुई है. पार्क में बैठने के शेड, झूला व अन्य सुविधाओं के बाद भी साफ-सफाई की स्थिति ठीक नहीं रहने से कूड़ा घर बन गया है.कहते हैं अधीक्षकजेएलएनएमसीएच के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल का कहना है कि पिछले साल बिल्डिंग का मेंटनेंस सिर्फ आगे भाग का किया गया था. पीछे भाग का मेंटनेंस नहीं होने से दीवारों पर पेड़ उग आये हैं. इस साल कार्यपालक अभियंता को स्कीम भेजी गयी है, उसमें बिल्डिंग की दीवार, खिड़की व रंग रोगन के बारे में लिखा गया है. इसके अलावा प्राथमिकता में पूरे हॉस्पिटल की बिल्डिंग के सभी डॉक्टर चेंबर से लेकर मरीज वार्ड सभी शौचालय को तोड़ कर नये सिरे से बनाने का डीपीआर बना कर बिल्डिंग विभाग को भेजा गया है. जहां तक हाइ मास्ट लाइट की बात है तो उसे भी जल्द ठीक करा दिया जायेगा.

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