भागलपुर: उम्र चाहे कितनी भी हो अगर मन में सच्ची आस्था हो तो उम्र का कोई मायने नहीं रहता है. नारायणी देवी के चेहरे पर झुर्रियां हैं. 91 वर्ष उम्र है. इस उम्र में भी उनकी छठी मां के प्रति आस्था में कोई कमी नहीं है. उनकी निष्ठा को देख आसपास और दूर दराज से भी लोग भी उनसे ही छठ करवाते हैं.
छठ के दौरान घर के लोग भी उनका हाथ बंटाते हैं. अपने इस तप को लेकर नारायणी देवी के चेहरे पर सुकून का भाव देखा जा सकता है. वह 150 सूप करती हैं. छठ पूजा के बारे में नारायणी देवी कहती हैं, हमारे घर में 1952 से ही छठ की पूजा होती आ रही है. पहले मेरी सास किया करती थी. उसके बाद उन्होंने मुझे ये व्रत सौंप दिया. तब से आज तक मैं ही कर रही हूं. जब तक शरीर चलता रहेगा इसे करती रहूंगी.
छठ मां की कृपा से जो भी मनोकामना थी सब पूर्ण हो गयी. उनके पुत्र पवन मिश्र कहते हैं, 1952 में आये भूकंप के बाद घाट पर अफरा तफरी मच गयी थी तब से लेकर आज तक घर के आंगन में ही तालाब बना कर पूजा होती है. पूरा आंगन श्रद्धालुओं से भरा रहता है. कई लोग अपनी मनौतियों को पूर्ण होने के बाद इनके आंगन में मुंडन भी कराते हैं.