भागलपुर: देश भले ही महंगाई से त्रस्त हो, लेकिन इसकी आंच भी तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में महसूस नहीं होती. दो साल पहले जिन उत्तरपुस्तिका की खरीद विश्वविद्यालय प्रशासन ने 12 रुपये की दर से की थी, आज वही उत्तरपुस्तिका सात रुपये में यहां तैयार हो रही है. एक तरफ कागज के भाव आसमान छूते जा रहे हैं और दूसरी ओर कॉपी की कीमत में कमी आ जाना बड़ा सवाल खड़ा करता है. सवाल उठना लाजिमी है कि कहीं विश्वविद्यालय में दो साल पहले कार्यरत अधिकारियों ने विवि के पैसे को पानी की तरह तो नहीं बहा दिया.
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में हर साल लगभग एक लाख विद्यार्थी परीक्षाओं में शामिल होते हैं. सूत्रों के मुताबिक हर साल यहां परीक्षा में ढ़ाई लाख कॉपियों का इस्तेमाल परीक्षार्थी करते हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी अधिक राशि कॉपियों के बदले अदा कर बहा दी गयी. वर्तमान कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे व प्रतिकुलपति प्रो एके राय वर्ष 2014 में यहां नियुक्त किये गये. दोनों अधिकारियों ने निर्णय लिया कि वर्षों से बंद विश्वविद्यालय के प्रेस को चालू कराया जायेगा और विभिन्न छपाई यहीं से होगी. उत्तरपुस्तिकाओं की छपाई भी यहीं से शुरू कर दी गयी. अभी भी पूर्व की खरीदी हुई 30 हजार कॉपियों का इस्तेमाल नहीं हो पाया है.
अब 32 पेज की होगी उत्तरपुस्तिका
छात्रों को परीक्षा में अब 32 पेज की उत्तरपुस्तिका ही मिलेगी. पहले 40 पेज की उत्तरपुस्तिका मिला करती थी. विश्वविद्यालय ने पाया है कि 40 पेज की उत्तरपुस्तिका में काफी पेज छात्र सादा ही छोड़ दिया करते हैं. इस कारण कागजों की बरबादी हो जाती है. प्रैक्टिकल के लिए छात्रों को 10 पेज की अतिरिक्त उत्तरपुस्तिका मिलेगी. आगामी 26 नवंबर से होनेवाली पार्ट वन की परीक्षा से नयी उत्तरपुस्तिका ही मिलेगी.
प्रेस में लगेगी कलर ऑफसेट प्रिंटिंग मशीन
विवि प्रवक्ता डॉ इकबाल अहमद ने बताया कि विश्वविद्यालय में छात्रों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है. परीक्षा में उत्तरपुस्तिकाओं की संख्या भी बढ़ रही है. इस कारण विवि प्रेस पर छपाई का दबाव बढ़ गया है. लिहाजा विश्वविद्यालय ने निर्णय लिया कि कलर ऑफसेट प्रिटिंग मशीन इंस्टॉल की जाये. इसकी खरीदारी की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इसमें कई आधुनिक सुविधाएं होंगी, जिससे कम मैनपावर के बावजूद अधिक काम हो पायेगा. यह मशीन एक घंटे में सात हजार कॉपी छाप सकती है.
हमलोगों के आने से पहले कॉपियां बाहर से छपा कर मंगायी जाती थी. अब अपने ही प्रेस में छपाई करायी जा रही है. इस कारण छपाई का काफी खर्च बच जा रहा है. प्रेस को आधुनिक बनाने के लिए कलर ऑफसेट प्रिंटिंग मशीन लगायी जायेगी.
प्रो एके राय, प्रोवीसी, टीएमबीयू