भागलपुर: सबौर ग्रिड के कारण शहर में गड़बड़ायी बिजली व्यवस्था को लेकर शहरवासियों ने तीन दिन व दो रात भीषण बिजली संकट का सामना किया. इस दौरान लोग पानी के लिए तड़पते रहे. शहर में न तो जलापूर्ति हो सकी और न ही मोटर से टंकी में पानी चढ़ाया जा सका. टंकी सूखी रह गयी.
दूर-दराज से पानी की व्यवस्था कर काम चलाया गया. दूसरी ओर बिजली नहीं मिलने से एटीएम फेल रहा. मोबाइल टावर को बैटरी का बैकअप तक नहीं मिल सका. इसके कारण शहर में नेटवर्क की समस्या बनी रही. लोगों को मोबाइल चार्ज करने तक बिजली नहीं मिल सकी. इनवर्टर भी जवाब दे गया था. थोड़ी देर के लिए मिलनेवाली बिजली से इनवर्टर तक चार्ज नहीं हो सका था.
फिर से हो सकता है बिजली संकट : सबौर ग्रिड के कारण एक बार फिर से दो दिनों तक शहर को बिजली संकट ङोलना पड़ सकता है. यह स्थिति उपकरण बदलने को लेकर बनेगी. हालांकि अभी तक दिन निर्धारित नहीं हो सका है. जब कभी भी मौका मिलेगा, ट्रांसमिशन विभाग दो दिनों तक शहर की बिजली बंद रखने की घोषणा कर देगा. दरअसल, सबौर ग्रिड का रख-रखाव व आधुनिकीकरण पर छह करोड़ खर्च किया जा रहा है. अब तक में चार करोड़ से अधिक राशि खर्च की जा चुकी है. इस योजना में सीटी (करंट ट्रांसफॉर्मर) व पीटी सहित हाइलेबल आइसोलेटर बदलने का प्रोविजन नहीं है.
इस उपकरण को ही बदलने के लिए बिजली बंद की जा सकती है. इधर, ट्रांसमिशन विभाग ने स्थानीय स्तर पर समान बदलने के लिए विभाग को अग्रसारित किया है.
निर्धारित समय 36 घंटे में ही कंट्रोल पैनल बदल दिया गया था, लेकिन इसके रिले में खराबी आने से पावर ट्रांसफॉर्मर चालू नहीं हो सका था. ट्रांसफॉर्मर पर बिजली का लोड देने पर होल्ड नहीं कर रहा था. अन्यथा शहर की की बिजली 22 घंटे पहले ही निर्धारित समय पर सुचारु रुप से मिलने लगती. बेंगलुरु, पटना व भागलपुर के इंजीनियरों का योगदान है कि शहर की बिजली सुचारु हो सकी है.
गोपाल सिंह परमार
सुपरिटेंडेंट इंजीनियर (ट्रांसमिशन)