भागलपुर: भागलपुर व बांका जिले में अब ट्रांसफारमर जलने पर उसे तत्काल नहीं बदला जा सकता है. अब जले ट्रांसफारमर को बदलने का अधिकार साउथ बिहार स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के एमडी ने अपने हाथों में ले लिया है. पहले यह अधिकार मेन पावर विद्युत आपूर्ति क्षेत्र, भागलपुर के अधिकारियों के पास था. इससे इस बात की आशंका बढ़ी है कि अब भागलपुर में ट्रांसफारमर जलने पर लोगों को अंधेरे में रहना पड़ेगा. याद रहे कि अभी यह पावर भागलपुर के पास होने के बाद भी कई-कई दिन लग जाते हैं ट्रांफारमर बदलने या मरम्मत करने में. नयी व्यवस्था में ट्रांसफारमर जलने की सूचना पहले एमडी तक सूचना पहुंचायी जायेगी.
इसके बाद वहां से निर्देश मिलने पर आगे की कार्रवाई होगी. इसमें एक दिन लग सकता है या फिर 10 दिन से ज्यादा. यानी, उपभोक्ताओं को इंतजार करना ही पड़ेगा. इस आशय की सूचना देते हुए अधिकारियों ने बताया कि खंजरपुर (बरगाछ) व इशाकचक में ट्रांसफारमर खराब हो गया था. उन्हें समय सीमा के अंदर नहीं बदला जा सका था. इसका कारण एमडी से निर्देश का नहीं मिलना था. उन दोनों ट्रांसफारमरों को लेकर काफी हंगामा हुआ था. इसके बाद निर्देश दिया गया, फिर ट्रांसफारमर बदला गया.
तो समयसीमा 24 घंटे का नहीं रहेगी
साउथ बिहार स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड को मुख्यमंत्री का निर्देश है कि जले ट्रांसफारमर को शहरी क्षेत्र में 24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्र में 72 घंटे के अंदर बदला जाये. इस नियम का पहले भी पूरी तरह पालन नहीं होता था. अब इस व्यवस्था को एमडी द्वारा खुद अपने हाथों में लेने के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या 24 घंटे के अंदर जले ट्रांसफारमर को बदलना संभव हो सकेगा.
क्यों लिया ऐसा निर्णय
ट्रांसफारमर जलने की घटनाओं में वृद्धि पर यह निर्णय लिया गया है. बताया जाता है कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल भागलपुर-बांका जिले में सबसे ज्यादा ट्रांसफारमर जले हैं. इससे साउथ बिहार स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है. अधिकारियों के मुताबिक इस साल जनवरी से जून के बीच भागलपुर में 150 एवं बांका में 28 ट्रांसफारमर जल चुके हैं. इसमें अधिकांश 100 एवं 200 केवीए का ट्रांसफारमरहैं. उन्होंने बताया कि एक ट्रांसफारमर की कीमत डेढ़ से ढ़ाई लाख रुपये तक है.