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12 दिन में 520 वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट

– 50 से 60 प्रतिशत धुआं उगलनेवाले वाहन को नहीं मिलेगा प्रमाणपत्र प्रतिनिधिसबौर : एक सप्ताह पहले एनएच -80 के किनारे सबौर बाबूपुर मोड़ स्थित वाहन प्रदूषण जांच स्टेशन पर रोज तीन दर्जन से अधिक वाहन जांच के लिए पहुंच रहे थे, वह अब घट कर दर्जन भर हो गया है. वाहन प्रदूषण जांच स्टेशन […]

– 50 से 60 प्रतिशत धुआं उगलनेवाले वाहन को नहीं मिलेगा प्रमाणपत्र प्रतिनिधिसबौर : एक सप्ताह पहले एनएच -80 के किनारे सबौर बाबूपुर मोड़ स्थित वाहन प्रदूषण जांच स्टेशन पर रोज तीन दर्जन से अधिक वाहन जांच के लिए पहुंच रहे थे, वह अब घट कर दर्जन भर हो गया है. वाहन प्रदूषण जांच स्टेशन के पदाधिकारी हीरा प्रसाद ने बताया कि 24 नवंबर को प्रशासन द्वारा वाहन प्रदूषण फिटनेस जांच के लिए चलाये गये अभियान का परिणाम है कि अब तक 12 दिन में लगभग 520 छोटे बड़े वाहनों के मालिकों ने अपने वाहन की जांच करवायी. इनमें 410 चारपहिया व तिनपहिया वाहन और 110 मोटरसाइकिल की जांच की गयी. अभियान के पहले स्टेशन पर रोजाना औसतन पांच और एक माह में 125 वाहन ही जांच करवाने पहुंचते थे. उन्होंने बताया कि हमलोग वाहन के इंजन से निकलने वाले कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा की जांच करते हैं. यदि यह मात्रा 25-30 प्रतिशत होती है, तो ऐसे इंजन वाले वाहन को फिटनेस का प्रमाणपत्र दिया जाता है. यदि 50 से 60 प्रतिशत धुआं निकलता है तो उसे फिटनेस का प्रमाणपत्र नहीं दिया जाता है. भागलपुर में बाल्टी कारखाना के पास व सबौर में बाबूपुर मोड़ के पास एक एक और बिहपुर में एक जांच स्टेशन है. सरकारी वाहनों की जांच क्यों नहींकुछ वाहन मालिकों का कहना है कि पब्लिक गाड़ी को प्रशासन जांच कराने कह रहा है. लेकिन खुद प्रशासन के कई विभागों के गाडि़यों से जहरीला धुआं निकलता है. सरकारी बस, जुगाड़ गाड़ी और पुलिस की गाड़ी को कोई जांच कराने के लिए क्यों नहीं कहता है. जब तक इसके लिए लोगों के बीच जागरूकता नहीं फैलायी जायेगी, तब इसी तरह की स्थिति रहेगी.

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