भागलपुर : जगदीशपुर से आशा मरीज को लेकर सदर अस्पताल पहुंची. यहां जांच समेत अन्य कार्य आरंभ करना था. जब तक यह कार्य आरंभ होता. आशा मरीज को डॉक्टर नहीं होने की बात कह निजी क्लिनिक में लेकर जाने लगी. विरोध अस्पताल के कर्मियों ने किया, तो आशा ने विवाद खड़ा दिया. मामले की जानकारी पर आशा को समझाने हेल्थ मैनेजर जावेद मंजूर पहुंचे.
इनको सामने देखते आशा पहले पीछे हटने लगी. मरीज को ले जाने के बाबत सवाल किया, तो सीधे आशा ने कहा मरीज यहां मर जायेगी, इसको निजी क्लिनिक में लेकर जाना है. अस्पताल में डॉक्टर उपलब्ध होने के बाद भी आशा रोकने से नहीं रुकी. मरीज को लेकर कचहरी चौक के समीप निजी क्लिनिक में लेकर चली गयी.
कहलगांव की मरीज की नौ माह तक नहीं हुई जांच : कहलगांव की गर्भवती मरीज तीन दिन से परेशान थी. आशा ने कोई जांच नहीं करायी थी. अंत में मरीज सीधे सदर अस्पताल पहुंची. सुबह आयी मरीज को जांच के लिए सदर अस्पताल से बाहर भेज दिया गया. पूरी प्रक्रिया के बाद भी अस्पताल में मरीज को भर्ती नहीं किया गया. अंत में दो बजे नर्स आयी और इसकी हालत देख भर्ती करायी. अंत में देर शाम डॉक्टर ने जांच के बाद मरीज को मायागंज अस्पताल रेफर कर दिया.
क्या था सिविल सर्जन का निर्देश : आशा के लिए सिविल सर्जन ने निर्देश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि वह सदर अस्पताल को ओटी के आसपास नहीं रहेगी. बिना मरीज के अस्पताल नहीं आयेगी. मरीज को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने के बाद इसका हाल चाल सिर्फ लेगी. सीएस का निर्देश कुछ आशा पर लागू नहीं हो रहा है. सदर अस्पताल में रात होते ही कुछ आशा कार्यकर्ता मरीज को निजी क्लिनिक में ले जाने का खेल आरंभ कर देती हैं. अस्पताल कर्मी रंगेहाथ पकड़ लेते हैं, तो इसका कोई असर आशा पर नहीं होता है. वह सीधे कहती है मरीज हमारी है, अस्पताल में कुछ हो गया, तो कौन जिम्मेदारी लेगा. बुधवार रात इसी तरह का मामला सामने आया. लाख प्रयास के बावजूद आशा मरीज को लेकर सदर अस्पताल के आसपास नये खुले क्लिनिक चली गयी.