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भागलपुर : शहर की नाली गंदी और गोदाम में सड़ रही स्मार्ट सिटी की सफाई मशीन

मिहिर, भागलपुर : नगर निगम में स्मार्ट सिटी फंड से खरीदी गयी डिसिल्टी मशीन की हवा निकल रही है. चार बड़ी और दो छोटी मशीन की खरीद 2016 में हुई थी. दो साल तक रखे-रखे मशीन के पार्ट्स में जंग लगने लगे हैं. मशीन का इस्तेमाल नहीं होने की वजह से इसके पार्ट्स खराब हो […]

मिहिर, भागलपुर : नगर निगम में स्मार्ट सिटी फंड से खरीदी गयी डिसिल्टी मशीन की हवा निकल रही है. चार बड़ी और दो छोटी मशीन की खरीद 2016 में हुई थी. दो साल तक रखे-रखे मशीन के पार्ट्स में जंग लगने लगे हैं.
मशीन का इस्तेमाल नहीं होने की वजह से इसके पार्ट्स खराब हो रहे हैं. इस बीच शहर के बड़े नाले और सीवरेज की गाद भी निकल नहीं पा रहा और न ही बेहतर सफाई की वजह से स्मार्ट सिटी की रैंकिंग में भागलपुर का ग्राफ बेहतर हो रहा.
कंपनी को नहीं हुआ भुगतान इसलिए नहीं आया कंप्रेशर मशीन
स्मार्ट सिटी फंड से साल 2016 में मशीन मंगायी गयी थी. इसकी खासियत यह है कि एक किलोमीटर लंबे नाले को भी यह एक घंटे में ही साफ कर देता है. इसके बाद गाद को टंकी में भरकर दूसरी जगह फेंक दिया जाता है, लेकिन मशीन के प्रयोग नहीं होने का कारण दिल्ली की कंपनी को पूरा भुगतान नहीं करना बताया जा रहा है.
मशीन करीब दो करोड़ में खरीदी गयी थी. इसके अलावा तीन मशीन और खरीदी गयी, जो काम कर रहा है. डिसिल्टी मशीन का कम्प्रेशर पार्ट नहीं आया.
तीन मशीन अभी कर रहा है काम
स्मार्ट सिटी फंड से जोटिग मशीन, कम्प्रेक्टर मशीन, स्वीपिंग मशीन की खरीद हुई थी. तीन मशीन निगम के काम लगा हुआ है. इसका लाभ आम लोग उठा रहे हैं. मामला डिसिल्टी मशीन पर आकर रुक गया है.
सफाई का भी स्कोर बढ़ जाता
केंद्र सरकार ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 की सूची में अपना शहर 456 वां स्थान पर है. जबकि पड़ोसी जिला कटिहार बिहार में नंबर वन है. ऐसे में अगर यह मशीन काम करता तो स्वच्छता का रैक बढ़ सकता था. इस लापरवाही के कारण लोगों को अब स्मार्ट सिटी के काम पर ही भरोसा उठने लगा है.
दो साल बाद भी नहीं किया जा सका भुगतान
नगर निगम में पिछले दो साल से मशीन खड़ी है. इसके पार्ट्स में जंग लग रही है. अभी अगर इस मशीन को सड़क पर उतारा गया, तो पहले इसे ठीक कराना होगा. करोड़ों की मशीन के बगल से रोजाना निगम के अधिकारी और जनप्रतिनिधि गुजरते हैं.
लेकिन किसी ने इसके लिए पहल तक नहीं की. निगम के लोगों की मानें तो कंपनी को मशीन की सप्लाई के लिए लिखित आदेश दिया गया था. इसलिए कंपनी को हर हाल में पेमेंट करना होगा.
कंप्रेशर मशीन नहीं आने से काम नहीं हो रहा है. भुगतान नहीं होने से कंपनी ने सिर्फ टंकी भेजा है. जरूरी मशीन अब तक नहीं आया है. इस संबंध में जब प्रभात खबर ने नगर आयुक्त से बात करनी चाही, तो उनका फोन नहीं उठा.
मशीन के लिए नहीं कराना होगा रजिस्ट्रेशन
जिला परिवहन पदाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि इस तरह की मशीन के लिए रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं होती है. आराम से लोग इसका प्रयोग जनहित में कर सकते हैं.

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