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हॉस्टल का हाल: बाबा भीमराव अंबेडकर आवासीय उवि में सुविधा दुरुस्त नहीं ,बहता है पसीना, छात्रों का जीना मुश्किल

भागलपुर: बाबा भीमराव अांबेडकर आवासीय उच्च विद्यालय में चार सौ छात्र नामांकित हैं. सभी छात्र स्कूल परिसर स्थित होस्टल में रहते हैं. इन्हें शुद्ध पेयजल के लिए नगर निगम का एक कनेक्शन मिला हुआ है. दूसरी ओर इस गरमी में भी हॉस्टल के कई कमरे बगैर पंखे के हैं. परिसर में बिजली तार की वायरिंग […]

भागलपुर: बाबा भीमराव अांबेडकर आवासीय उच्च विद्यालय में चार सौ छात्र नामांकित हैं. सभी छात्र स्कूल परिसर स्थित होस्टल में रहते हैं. इन्हें शुद्ध पेयजल के लिए नगर निगम का एक कनेक्शन मिला हुआ है. दूसरी ओर इस गरमी में भी हॉस्टल के कई कमरे बगैर पंखे के हैं. परिसर में बिजली तार की वायरिंग व बिजली उपकरणों की सेटिंग ऐसी कि कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है. बावजूद इसके जिले के आर्थिक रूप से कमजोर व मेधावी उक्त छात्रों काे 10 वीं के बाद 12 वीं तक की पढ़ाई शुरू कराने की मांग कर रहे हैं, जिसकी व्यवस्था प्रशासन नहीं करा पा रहा है. छात्रों का कहना है कि गरीबी के चलते वे दूसरे बड़े संस्थानों में एडमिशन नहीं ले पाते हैं.
12वीं की पढ़ाई के लिए किया था हंगामा : बता दें कि सोमवार को इस स्कूल के छात्र बड़ी संख्या में समाहरणालय पहुंचे थे. 12वीं तक की पढ़ाई की सुविधा देने की मांग के दौरान वे उग्र हो गये. समाहरणालय का गेट तक उखाड़ लिया. काफी मुश्किल से छात्रों को संभाला गया. समझाने के बाद छात्र स्कूल लौटे थे. यह भी डाल रहा पढ़ाई पर असर: विद्यालय की स्थापना के समय 10 वीं तक 240 छात्र थे. वर्ष 2010 में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ा कर 400 कर दी गयी , मगर उसके हिसाब से शिक्षकों का पद सृजित नहीं किया गया. इस कारण पढ़ाई की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है.
पंखे के नीचे रात में लग जाती है कई बिस्तर
होस्टल में रात के समय अगर किसी कमरे में पंखा है तो उसके नीचे कई बिस्तर लग जाते हैं. जिन कमरे में पंखा नहीं है, वहां खिड़की की ओर बिस्तर लगाने की होड़ मची रहती है.
खुली वायरिंग से कई बच्चों को लग चुका करंट
कमरे व परिसर में खुली बिजली वायरिंग की चपेट में बच्चे आ चुके हैं. रात के अंधेरे में स्विच चालू करने के चक्कर में बच्चे बिजली का झटका खाते रहते हैं.
सुबह पांच बजे नल के सामने लग जाती है लाइन
निगम का एक पानी कनेक्शन होने पर होस्टल के नल पर सुबह पांच बजे बच्चों की लाइन लग जाती है. सुबह छह बजे से आठ बजे तक पानी सप्लाई में सभी अपने बोतल में पानी भरते हैं. होस्टल के टंकी का पानी पीने लायक नहीं है. कनेक्शन बढ़ाने को लेकर कई बार पत्र लिखा चुका है.
क्रिकेट का सामान है, मैदान नहीं है
होस्टल में रहनेवाले छात्रों में कई को क्रिकेट खेलने की ललक है. उनके पास सामान भी है, मगर मैदान नहीं है. होस्टल के सामने ग्राउंड पर क्रिकेट खेलने में खिड़की के शीशे भी टूट गये, इस कारण खेल बंद कर दिया गया है. अब चोरी-छिपे क्रिकेट खेलने पड़ते हैं.
चार वर्ष पहले के डाइट दर के कारण रसोइया ने छोड़ने का दिया पत्र
होस्टल में रहनेवाले बच्चों को तीन समय का भोजन मेन्यू के हिसाब से नहीं दिया जा रहा है. फिलहाल होस्टल अधीक्षक भोजन की देखरेख करते हैं. भूगोल शिक्षक रामलोचन प्रसाद यादव ने कहा कि वर्ष 2013 की डाइट दर से भोजन का हिसाब-किताब चलनेवाला नहीं है. मिडिल स्तर पर 1210 रुपये व हाइस्कूल स्तर पर 1610 रुपये प्रति माह एक छात्र के डाइट के लिए मिलता है. अभी के समय में 3000 रुपये प्रति छात्र होने पर ही तीन समय का भोजन देना संभव होगा. उन्होंने प्राचार्य को भोजन के भार से मुक्त करने का पत्र दे रखा है.
हाई स्कूल के मास्टर मिडिल की भी संभाल रहे शिक्षा
विद्यालय में मिडिल स्तर पर छह शिक्षकों का पद खाली है. इस कारण हाइस्कूल के नौ शिक्षक ही मिडिल की भी पढ़ाई संभाल रहे हैं. शिक्षकों की कमी के कारण मिडिल के विद्यार्थी को नियमित क्लास नहीं होता है.

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