सुखद भागलपुर की सात बेटियां गयी सात समंदर पार
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बाबुल की पहली पसंद बेटियां
सुखद भागलपुर की सात बेटियां गयी सात समंदर पार भागलपुर : बाबुल की पहली पसंद बन रही हैं बेटियां. बेटियों को बोझ समझकर जन्म लेते ही इनके मां-बाप ने इन्हें ठुकरा दिया हो मगर इन्हें गले लगाने वालों की कमी नहीं है. सात बेटियां तो सात समुंदर पार चली गयी हैं. विदेशी माता-पिता ने कानूनी […]
भागलपुर : बाबुल की पहली पसंद बन रही हैं बेटियां. बेटियों को बोझ समझकर जन्म लेते ही इनके मां-बाप ने इन्हें ठुकरा दिया हो मगर इन्हें गले लगाने वालों की कमी नहीं है. सात बेटियां तो सात समुंदर पार चली गयी हैं. विदेशी माता-पिता ने कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद इन्हें गोद ले लिया है. वित्तीय वर्ष 2015-16 से अब तक 61 अनाथों को ममता की छांव मिल चुकी है. इसमें 11 बेटा तो 50 बेटियां हैं. 2015-16 में 30, 2016-17 में 15 तो 2017-18 में छह बेटियों को बाबुल का प्यार मिला है.
बेटियों की कर रहे मांग : समाज कल्याण विभाग की ओर से दत्तक ग्रहण स्थान के जरिये नि:संतान दंपत्ति बच्चों को गोद ले सकते हैं. इसके लिए दत्तक ग्रहण संस्थान खोले गये हैं. इसका संचालन संस्थाओं द्वारा किया जाता है. इन संस्थानों में शून्य से आठ, चार से आठ और आठ से अठारह आयु वर्ग के बच्चों को रखा जाता है. राज्य सरकार एजेंसी में रह रहे बच्चे को खाने-पीने को पैसे भी देती है. वेबसाइट पर अॉनलाइन रजिस्ट्रेशन के दौरान बेटियों को गोद लेने की मांग रखते हैं.
50 बेटियों को मिला मां-बाप का प्यार, ममता की छांव
61 अनाथों
को लिया गया है गोद तीन सालों में
कैसे ले सकते हैं गोद
बच्चों को गोद लेने के लिए वेबसाइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन (डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू. सीएआरए.एनआइसी.इन) कर सकते हैं. सिंगल या मैरेड कोइ भी रजिस्ट्रेशन कर सकता है. इसमें स्टेट प्रीफ्रेंस देना होगा. इसके अलावा लड़का चाहिए या लड़की इसका भी डिमांड कर सकते हैं.
अब नहीं कर सकते सेलेक्ट : ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद च्वाइस और एज ग्रुप के बाद पहले दो-तीन बच्चों की तसवीर दिखायी जाती थी. इनमें एक सेलेक्ट करना होता था. मगर अब एक ही बच्चा अॉनलाइन दिखेगा और उसे ही गोद लेना होगा. गोद लेने वालों को फीस भी देनी होती है. एनजीओ के माध्यम से उनकी पड़ताल भी करवायी जाती है. फैमिली कोर्ट में कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद उनके गोद में बच्चा होता है.
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