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बिजली की लचर व्यवस्था से उद्योगों पर ग्रहण

बिजली की लचर व्यवस्था से उद्योगों पर ग्रहण तसवीर 7- बदहाल विद्युत उपकेंद्र तसवीर- फोटो फोल्डर, हाल साहेबपुरकमाल प्रखंड क्षेत्र का, दो लाख आबादी प्रभावितसाहेबपुरकमाल. आजादी के सात दशक बाद भी क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति व्यवस्था बद से बदतर स्थिति में है. प्रखंड क्षेत्र की दो लाख आबादी और लगभग 12 हजार उपभोक्ता बिजली की […]

बिजली की लचर व्यवस्था से उद्योगों पर ग्रहण तसवीर 7- बदहाल विद्युत उपकेंद्र तसवीर- फोटो फोल्डर, हाल साहेबपुरकमाल प्रखंड क्षेत्र का, दो लाख आबादी प्रभावितसाहेबपुरकमाल. आजादी के सात दशक बाद भी क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति व्यवस्था बद से बदतर स्थिति में है. प्रखंड क्षेत्र की दो लाख आबादी और लगभग 12 हजार उपभोक्ता बिजली की आंखमिचौनी से त्रस्त है. बिजली की स्थिति में सुधार को लेकर कई बार जनांदोलन और अन्य प्रयास का भी विभाग पर कोई असर नहीं दिख रहा है. आदिम युग का जर्जर विद्युत तार सूखे पत्ते की तरह रोज टूट कर गिर रहा है. तार टूटने से न सिर्फ विद्युत आपूर्ति बाधित हो रहा है. बल्कि टूटे तार की चपेट में आ जाने से जानमाल का भी नुकसान हो रहा है. फिर भी जर्जर विद्युत तार को बदलने में विभाग को कोई दिलचस्पी नहीं दिख रही है. जर्जर तार के कारण बलिया विद्युत शक्ति केंद्र से आपूर्ति पर नियंत्रण रखना विवशता हो गयी है. बिजली का हाल यह हो गया कि बिजली रहने के बावजूद वोल्टेज लो रहने से वास्तविक उपयोग भी नहीं हो पाता है. कभी ब्रेक डाउन, कभी शट डाउन तो कभी फॉल्ट का भी शिकार उपभोक्ता को होना पड़ रहा है. वहीं तीन फेज, तो कहीं तो एक फेज तार की समस्या के अलावे कहीं कम शक्ति का ट्रांसफॉर्मर है, तो उपभोक्ता का भार अधिक है. फलत: कोई भी उपभोक्ता बिजली का सही उपयोग नहीं कर पाता है. साहेबपुरकमाल फीडर से करीब 12 हजार उपभोक्ता और 70 से 80 गांव जुड़ा है. परंतु इतने लंबे क्षेत्र की देखरेख के लिए सरकार ने चार नियमित सरकारी कर्मचारी को दिया है. उसमें भी दो कर्मचारी लंबे समय से गायब चल रहे हैं. दो नियमित कर्मचारी के अलावे चार ठेका विद्युत कर्मी की सहायता से विभाग का काम चल रहा है. राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना फेज दो में इस्ट इंडिया कंपनी द्वारा गांव-गांव में नया विद्युत ट्रांसफॉर्मर लगाये जाने से भी बिजली खपत अधिक हो गयी है. पहले क्षेत्र में मात्र 63 ट्रांसफॉर्मर लगा था. जो अब 155 तक पहुंच गया है. बलिया पावर हाउस द्वारा साहेबपुरकमाल फीडर को अधिकतम साढ़े चार मेगावाट बिजली मिल रही है परंतु जर्जर तार और खपत में वृद्धि के कारण पूरी बिजली नहीं मिल पा रही है. सरकार ने बजाज इलेक्ट्रिकल कंपनी को बलिया विद्युत शक्ति केंद्र की क्षमतावर्धन और क्षेत्र के जर्जर तार को बदल कर एसीएसआर रैबिट तार लगाने कार्य दिया है. कंपनी ने पावर हाउस में लगे पांच और साढ़े तीन मेगावाट ट्रांसफॉर्मर का क्षमतावर्धन करते हुए 10-10 मेगावाट लगा दिया है. परंतु जर्जर तार बदलने के कार्य को प्रारंभ करने शिथिलता बरत रही है. इससे क्षेत्र को पर्याप्त बिजली अब तक नहीं मिल पा रही है. चोर एवं असामाजिक तत्वों के आतंक और बार-बार तार चोरी कर लेने की घटना के चलते विद्युत शक्ति उपकेंद्र चौकी को चालू करने का मामला भी अधर में लटका है. क्षेत्र से विभाग को प्रतिमाह करीब 15 से 16 लाख रुपया राजस्व भी प्राप्त होता है. क्या कहते हैं अधिकारी : क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति व्यवस्था में सुधार को लेकर विभाग सक्रिय है. बलिया विद्युत शक्ति उपकेंद्र में शक्तिवर्धन का कार्य पूरा हो गया है. गांव-गांव में नया ट्रांसफार्मर और पोल गाड़ने का कार्य चल रहा है. पावर हाउस बलिया से साहेबपुरकमाल फीडर क्षेत्र का पूरा जर्जर बदलने की प्रक्रिया भी जारी है.केशव कुमार, जेइ, विद्युत विभाग, साहेबपुरकमालक्या कहते हैं उपभोक्ता: बिजली की आंखमिचौनी से हमलोग परेशान है. बिजली दिन में रहती है तो रात में गायब और जब रहती है, तो लो-वोल्टेज की समस्या के कारण कोई काम नहीं हो पाता है. निरंजन सिंह, उपभोक्ता, फुलमल्लिक: विकास में बिजली की अहम भूमिका होती है. बिजली व्यवस्था दुरुस्त रहता तो रेडियो, टीवी एवं अन्य इलेक्ट्रोनिक सामान की मरम्मत करनेवाला तकनीशियन को रोजगार मिलता. सिंचाई में बिजली का उपयोग होता है.सचिन कुमार, उपभोक्ता, कुरहा

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