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बेगूसराय सीट पर कन्हैया बना रहे चुनावी जीत की जमीन, हिंदुत्ववादी गिरिराज और राजद के तनवीर से है कड़ा मुकाबला

मिथिलेशपटना : बिहार की लेनिनग्राद माने जाने वाली बेगूसराय लोकसभा की सीट पर कन्हैया कुमार भाकपा के उम्मीदवार हैं. बेगूसराय में पिछले दो महीने से डटे जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे कन्हैया का मुकाबला यहां हिंदुत्ववादी गिरिराज सिंह और राजद के सौम्य सरल छवि वाले तनवीर हसन से है. जेएनयू की गलियारों से देशभर […]

मिथिलेश
पटना : बिहार की लेनिनग्राद माने जाने वाली बेगूसराय लोकसभा की सीट पर कन्हैया कुमार भाकपा के उम्मीदवार हैं. बेगूसराय में पिछले दो महीने से डटे जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे कन्हैया का मुकाबला यहां हिंदुत्ववादी गिरिराज सिंह और राजद के सौम्य सरल छवि वाले तनवीर हसन से है. जेएनयू की गलियारों से देशभर में पीएम मोदी और भाजपा के खिलाफ आग उगलने वाले कन्हैया फिलहाल अपने को चुनावी मुकाबले के लिए तैयार कर रहे हैं. नौ अप्रैल को उनका नामांकन होगा.

बेगूसराय में चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान होना है. आम तौर पर भाकपा के चुनावी उम्मीदवार अधेड़ उम्र के होते रहे हैं, पर शायद पहली बार पार्टी ने 32 साल के युवा कन्हैया को उतार कर वामदलों में भी बदलाव के संकेत दिये हैं. बेगूसराय से अब तक सिर्फ एक बार 2009 के गैर भूमिहार सांसद जदयू के मुनाजिर हसन हुए हैं.

वामदलों के प्रभुत्व वाला बेगूसराय अब बदल चुका है़ कहने को तो यहां का हर तीसरा आदमी वामदल का समर्थक है, पर चुनावी समर में भाकपा अब तक दो बार ही फतह पा सकी है. 1967 में पहली बार योगेंद्र शर्मा और दूसरी बार 1996 में रमेंद्र कुमार यहां से भाकपा की टिकट पर चुनाव जीते. जिले की दूसरी संसदीय सीट बलिया पर भाकपा का प्रभुत्व रहा है.

यहां भाकपा के उम्मीदवार चार बार चुनाव जीते और चार बार दूसरे स्थान पर रहे. भाकपा के लिए संतोष की बात यह है कि जिस बलिया का 2009 के परिसीमन में अस्तित्व समाप्त हो गया, उसके तीन विधानसभा क्षेत्र चेरिया बरियारपुर, बखरी और बछवाड़ा नये बेगूसराय लोकसभा का हिस्सा हैं. पुराने बेगूसराय का एकमात्र मटिहानी विस क्षेत्र इसमें शामिल हो पाया, जबकि एक नया विधानसभा क्षेत्र तेघड़ा जुटा. इसी क्षेत्र के बीहट गांव के कन्हैया मूल निवासी हैं.

1977 के आम चुनाव में पहली बार और 2004 में आखिरी बार अस्तित्व में रही बलिया लोकसभा सीट से भाकपा नेता सूर्यनारायण सिंह 1980, 1989 और 1991 में सांसद निर्वाचित हुए. 1996 बलिया से भाकपा के ही शत्रुघ्न प्रसाद सिंह चुनाव जीते, जबकि 1977,1984,1998 में दूसरे नंबर पर तथा 1999 में तीसरे व 2004 में दूसरे नंबर पर पार्टी उम्मीदवार रहे.

बेगूसराय की सीट पर पहली बार भाकपा के अख्तर हाशमी 1962 के आम चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे. इसके बाद 1971 में दूसरे, 1998 में तीसरे, 1999 में भाकपा माले दूसरे, 2004 में दूसरे,2009 में दूसरे तथा 2014 के चुनाव में तीसरे स्थान पर रही.

कन्हैया के समर्थन में गुजरात के युवा विधायक जिग्नेश मेवाणी बेगूसराय पहुंच चुके हैं. कन्हैया प्रतिदिन 10 जनसंवाद में भाग ले रहे हैं. कन्हैया के साथ फिलहाल भाकपा की टीम शामिल है. टीम को देशभर से आने वाले युवाओं की टोली का इंतजार है. इस साल चुनाव किस करवट बैठेगा, सवाल पर पूर्व सांसद रामजीवन सिंह कहते हैं, लोकशाही कमजोर हुई है. लिहाजा जनता को इसे मजबूत करने के लिए वोट करना चाहिए.

कन्हैया के पक्ष में देशभर की भाजपा विरोधी संस्थाएं, आंदोलन से जुड़े युवा और जेएनयू के पूर्व छात्रों का दल भी बेगूसराय में कैंप करने वाला है. उनके पक्ष में आंगनबाड़ी सेविका संघ भी खुल कर आया है. कन्हैया की मां आंगनबाड़ी सेविका रही हैं. भाकपा के वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह कहते हैं, पार्टी के समान कार्य-समान वेतन के संघर्ष का लाभ कन्हैया को मिलेगा.

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