हरा-भरा बांका. हरियाली की ओर बढ़ते कदम, वन विभाग संकल्पित
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किसानों में बांटे ढाई लाख पौधे
हरा-भरा बांका. हरियाली की ओर बढ़ते कदम, वन विभाग संकल्पित हरित बांका बनाने को वन विभाग कृत संकल्पित है. इसे लेकर विभाग द्वारा किसानों के बीच ढाई लाख पौधा वितरित किया गया है. वन क्षेत्र बढ़ने से प्रदूषण कम होगा. लोगों के स्वास्थ्य पर भी बेहतर असर होगा. बांका : ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर […]
हरित बांका बनाने को वन विभाग कृत संकल्पित है. इसे लेकर विभाग द्वारा किसानों के बीच ढाई लाख पौधा वितरित किया गया है. वन क्षेत्र बढ़ने से प्रदूषण कम होगा. लोगों के स्वास्थ्य पर भी बेहतर असर होगा.
बांका : ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर में पर्यावरण को संतुलित करने तथा जिले को हरित बांका बनाने के लिए बांका वन विभाग कृत संकल्पित है. विभाग द्वारा इस दिशा में लगातार कई कार्यक्रम चलाया जा रहा है. मौजूदा अवस्था में जिले में लगभग 43 हजार हेक्टेयर भूमि वन क्षेत्र है. जिसमें कटोरिया वन क्षेत्र अंतर्गत 21 हजार 690.9 हेक्टेयर, बांका के अन्तर्गत 15 हजार 106.5 हेक्टेयर एवं बौंसी वन क्षेत्र के अंतर्गत 6 हजार 760 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध है. जहां विभाग द्वारा कई वर्षों से वृक्षारोपण का कार्य संचालित किया जा रहा है. ताकि राज्य के वन क्षेत्र प्रतिशत में इजाफा कर जिला को पूर्णरूपेण हरा-भरा बनाया जा सके.
सामाजिक वानकी योजना: इस योजना के अंतर्गत 2014 से 2016 तक जिले के विभिन्न सड़कों के दोनों किनारे पौधरोपण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. वर्ष 2014 में बांका से रतनगंज तक, 2015 में बांका से ढ़ाका मोड़, जगतपुर से दौना व देवदा से पोखरिया तथा वर्ष 2016 में बांका महेशाडीह रोड, इंग्लिशमोड़ से रामपुर, समुखियामोड़ से लीलागोड़ा, एवं कटोरिया से राधानगर के बीच सड़क के दोनों किनारे करीब 4 हजार पौधा लगाया गया है. प्रति एक हजार पौधा पर विभाग का खर्च करीब 10 लाख रूपया हो रहा है.
इसके अंतर्गत लगातार दो वर्षों तक शत-प्रतिशत पौधा का रख-रखाव किया जाता है. वहीं कृषि वानकी योजना के अंतर्गत जिले के किसानों के बीच अब तक करीब 2 लाख 42 हजार पौधा का वितरण किया गया है. विभाग द्वारा किसानों को प्रोत्साहन राशि के रूप में पहला व दूसरा वर्ष प्रति पौधा 10 रुपया एवं तीसरे वर्ष में प्रति पौधा 15 रुपया दिया जाता है.
भूमि एवं जल संरक्षण कार्यक्रम: यह योजना जिला में वर्ष 2005 से ही चलाया जा रहा है. जिसके अंतर्गत जंगली व पहाड़ी क्षेत्र में चेक डेम का निर्माण कराया जा रहा है. कटोरिया, बौंसी, चांदन एवं बांका प्रखंड के पहाड़ी इलाके में पहाड़ के उपर से नीचे तक नाला का उपचारण कर करीब 300 से अधिक चेक डेम बनाया गया है. इसके निर्माण से जहां एक ओर भूमि की उर्वराशक्ति बढ़ी है वही दूसरी ओर जलस्तर में भी वृद्धि हुई है. इस योजना से पौधा का संरक्षण, किसानों का खेती कार्य, जंगली जानवर व मवेशी को आसानी से पानी उपलब्ध हो रहा है. साथ ही साथ चेक डेम के निर्माण से चान्दन नदी में बाढ़ की समस्या में भी कमी आयी है.
सौंदर्यीकरण को मिल रहा है बढ़ावा : जिले के सौंदर्यीकरण को बढ़ावा देने के लिए पूरे कांवरिया सर्किट में मार्ग के दोनों किनारे वन विभाग द्वारा आयरन गेवियन बनाकर छायादार एव फलदार वृक्ष का वृक्षारोपण किया जा रहा है ताकि कांवरियों मार्ग पर चलने वाले सभी श्रद्घालुओं को धुप से राहत के साथ-साथ प्राकृतिक सौदर्यता का भी आनंद प्राप्त हो सके.
जिले में लगभग 43 हजार हेक्टेयर भूमि वन क्षेत्र
इन पौधों की हो रही रोपाई
विभाग द्वारा हर परिसर-हरा परिसर के मद्घेनजर सभी सरकारी व गैर सरकारी कार्यालय परिसर में वृहत पैमाने पर पौधरोपण कार्य जारी है. विभाग द्वारा यहां छतवन, कदम, महौगनी, शीशम, सागवान, सेलम, गुलमोहर, यूकेलिप्टस, अर्जून, पीपल, वरगद, करंज, ग्रीनसेमल व नीम आदि का पौधा लगाया जा रहा है. जिसमें मेडिसिन वैल्यू के अर्जुन, छतवन, करंज, ग्रीनसेमल व नीम का पौधा लगाने में विभाग ने खासी दिलचस्पी दिखायी है ताकि आम लोगों को इनसे फायदा प्राप्त हो सके.
वन विभाग ने सड़क किनारे किया पौधरोपण.
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