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जानलेवा बनी स्कूल बसों की रफ्तार

बाकी वाहनों की अपेक्षा स्कूली बसों की बेलगाम चाल चिंतित करनेवाली है. इसमें देश के भविष्य सफर करते हैं. ऐसे में दुर्घटनाअों का खतरा अभिबावकों की परेशानी का सबब बना है. बांका : जिले की सड़कों पर स्कूल बसों की बेलगाम रफ्तार जानलेवा बनी हुई है. पिछले एक सप्ताह के दौरान इन स्कूल बसों की […]

बाकी वाहनों की अपेक्षा स्कूली बसों की बेलगाम चाल चिंतित करनेवाली है. इसमें देश के भविष्य सफर करते हैं. ऐसे में दुर्घटनाअों का खतरा अभिबावकों की परेशानी का सबब बना है.
बांका : जिले की सड़कों पर स्कूल बसों की बेलगाम रफ्तार जानलेवा बनी हुई है. पिछले एक सप्ताह के दौरान इन स्कूल बसों की इन्हीं बेलगाम रफ्तार की वजह से एक छात्र सहित तीन लोगों की जाने जा चुकी हैं. इनमें से विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल है. पुलिस और प्रशासन उनकी तेज रफ्तार का मुक दर्शक बने हुए हैं. पुलिस के कनीय अधिकारियों की वे सुनते नहीं और वरीय अधिकारियों को शायद इससे मतलब नहीं है.
ये स्कूल बस उन मॉडल स्कूलों के हैं जहां कई साहबों के बच्चे भी पढ़ते हैं. स्कूल संचालकों की पकड़ उपर तक होने की आशंका में कनीय पुलिस पदाधिकारी उन्हें उनकी रफ्तार पर टोकने से भी गुरेज करते हैं. लिहाजा स्कूल बसों की रफ्तार और चालकों की मनमानी लगातार बढ़ती ही चली जा रही है.
एक सप्ताह के दौरान ले ली तीन जानें : अभी एक सप्ताह पूर्व शहर के पश्चिमी छोर स्थित रेलवे ओवर ब्रिज पर एक तेज रफ्तार स्कूल बस ने एक ऑल्टो कार को रौंद दिया. फलस्वरूप इस पर सवार विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष सहित दो व्यक्ति जान से चले गये जबकि चालक गंभीर रूप से घायल होकर जीवन और मौत से जूझ रहा है. इसके ठीक दो दिन बाद अमरपुर में एक निजी स्कूल के वाहन के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से इस पर सवार एक छात्र की मौत हो गयी. जबकि दो अन्य छात्र घायल हो गये. ये पहली और अंतिम घटना नहीं है.
अपनी रफ्तार और रफ ड्राइविंग की वजह से स्कूल बसों द्वारा दुर्घटनाओं को अंजाम देने का सिलसिला लगातार जारी है. पिछले वर्ष भी अमरपुर के विशम्भरचक के समीप एक स्कूल बस ने बाइक सवार को कुचल दिया था. जख्मी पचरूखी में एक टेम्पू को एक अन्य स्कूल बस ने रौंद दिया था. दोनों घटनाओं में तीन लोग काल के गाल में समा गये थे. स्कूल बसों की वजह से छोटी – मोटी दुर्घटनाओं की फेहरिस्त तो बहुत लंबी है.इन सब के बावजूद इन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं.
स्कूल बसों पर प्रशासन का नियंत्रण नहीं : चाहे स्कूल बस हो या सामान्य सवारी वाहन, सबके लिए गति सीमा निर्धारित है. इन वाहनों की गति सीमा मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत तय की गयी है. जिनका पालन चालकों के लिए कानून बाध्यकारी है. लेकिन सवारी वाहनों के चालक चाहे मान भी जायें, स्कूल बसों के चालक मानों इन्हें नहीं मानने के लिए कृतसंकल्प है.
मुख्यालय सहित जिले भर में अनेक बड़े पब्लिक स्कूल है. जिनके दर्जनों वाहन सड़कों पर सुबह शाम उड़ते रहते हैं. लोग उन्हें देखते ही डीटीसी की ब्लू लाइन बसों की तरह उनसे खौफ खाकर रास्ता छोड़ देते हैं. लेकिन सवाल है कि यह सब कब तक चलेगा और नहीं चलेगा तो इस पर रोक कौन लगायेगा?

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