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नयी सरकार, नयी उम्मीद : जल्द चालू हो अनुमंडलीय अस्पताल

लोगों को इलाज कराने के लिए शहर से करीब पांच किमी दूर स्थित सदर अस्पताल जाना पड़ता है. वहां जाने के लिए शहर के मरीजों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. सबसे बड़ी समस्या तो रात के वक्त होती है जब वहां तक पहुंचने के लिए कोई साधन नहीं मिलता है. जिले के […]

लोगों को इलाज कराने के लिए शहर से करीब पांच किमी दूर स्थित सदर अस्पताल जाना पड़ता है. वहां जाने के लिए शहर के मरीजों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. सबसे बड़ी समस्या तो रात के वक्त होती है जब वहां तक पहुंचने के लिए कोई साधन नहीं मिलता है. जिले के प्रतिनिधियों के द्वारा बार-बार यह घोषणा की जाती रही है कि जल्द ही अनुमंडल अस्पताल को चालू करवा दिया जायेगा जिससे की शहर के लोगों को इलाज कराने में आसानी हो.
बांका : अस्पताल के आरंभ होने के साथ ही बाजार में चल रहे अनुमंडल अस्पताल को बंद कर दिया गया था. जनप्रतिनिधियों के द्वारा बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए बाजार से करीब पांच किमी की दूरी पर सौ शैया वाला जिला अस्पताल बनवाया गया था. हालांकि की जनप्रतिनिधि द्वारा अनुमंडल अस्पताल को चालू रखने की घोषणा की गयी थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने कर्मियों की कमी के कारण इसको बंद कर दिया.
क्या होती है परेशानी
अनुमंडल अस्पताल के बंद होने से बाजारवासियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. दूर होने की वजह से करहरिया और नेहरू कॉलोनी के लोगों को और भी अधिक परेशानी होती है. दूर होने की वजह से वहां का भाड़ा भी अधिक लगता है. दिन में तो रिक्शा और ऑटो मिल जाता है लेकिन सबसे अधिक परेशानी रात के वक्त होती है जब अस्पताल तक पहुंचने के लिए कोई साधन नहीं मिलता है. रिक्शे से गांधी चौक से अस्पताल का भाड़ा करीब 30 रुपया है जबकि ऑटो से पांच रुपया है.
अनुमंडल अस्पताल में चलता है कार्यालय
अनुमंडल अस्पताल के भवन में इस वक्त स्वास्थ्य विभाग के कई कार्यालय चलते है. यूनिसेफ, यक्ष्मा, कालाजार, ड्रग्स कार्यालय, खाद्य जांच कार्यालय, एसीएमओ कार्यालय चलता है.
क्या कहते हैं लोग
बाजार के लोगों का कहना है कि अब नयी सरकार बनी है तो नयी पहल करते हुए अनुमंडल अस्पताल में कम से कम प्राथमिक उपचार की व्यवस्था होनी चाहिए. ताकि गंभीर रुप से जख्मी या बीमारी वाले मरीज सदर अस्पताल पहुंचे और अन्य का इलाज यहां पर संभव हो.

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