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दूध की धार पर चल कर आयी थीं बभनगामा की मां दुर्गा

दूध की धार पर चल कर आयी थीं बभनगामा की मां दुर्गा फोटो 18 बांका 4 : बभनगामा गांव की दुर्गा मंदिर.प्रतिनिधि, पंजवारा क्षेत्र में मां दुर्गा की पूजा अर्चना शुरू हो गयी है. हर तरफ भक्ति में डूबे लोग माइया की आराधना में लीन हैं. वहीं क्षेत्र के बभनगामा पंचायत की दुर्गा पूजा अपने […]

दूध की धार पर चल कर आयी थीं बभनगामा की मां दुर्गा फोटो 18 बांका 4 : बभनगामा गांव की दुर्गा मंदिर.प्रतिनिधि, पंजवारा क्षेत्र में मां दुर्गा की पूजा अर्चना शुरू हो गयी है. हर तरफ भक्ति में डूबे लोग माइया की आराधना में लीन हैं. वहीं क्षेत्र के बभनगामा पंचायत की दुर्गा पूजा अपने खास अंदाज के लिये जाना जाता है. 1921 से हो रही यहां मां दुर्गा की पूजा बिना बली के ही होते आ रही है. जानकार बताते हैं कि गांव के एक वृद्ध भक्त गनोरी मंडल को जब रात में देवी मां ने स्वप्न दिया की मै मंदार पर तुम्हारा इंतजार कर रही हूं. तो कई लोगों ने उन्हें सर फिरा कह कर उनका मजाक उड़ाया, लेकिन उसने हार नहीं मानी अपने फूलधरिया के साथ वो मंदार पर्वत पर पर चले गये. स्वप्न में बताये गये देवी के स्थान पर उन्हे खोजा वो वहां नहीं मिली. थक हार कर भक्त के साथ उनका फूलधरिया व कुछ गांव वाले लौट आये. उसी रात फिर देवी ने गणोरी को स्वप्न दिया और कहा मैं तो वहीं थी तुमने खोज ही नहीं पाया हमें. सुबह फिर वो जुनूनी भक्त मंदार पर्वत पर पहुंचे और इस बार उसे देवी के रूप वाली प्रतिमा शिला पर गुदी मिली. जैसे ही ये खबर गांव तक पहुंची सभी लोग जैसे तैसे मंदार पहुंचे. पुराने बुजूर्ग बताते हैं. देवी मां की शिला को काफी नेम निष्ठा से बैल गाड़ी पर रखा गया. और गाजे बाजे के साथ आगे आगे गाय के दूध की धारा भक्त गिराते रहे और बैल गाड़ी इसी तरह बभनगामा पहुंची. लोगों ने तब से पूजा करनी शुरू कर दी. काफी दिनों बाद गांव के ही एक घर में जुड़वां बेटे का जन्म हुआ .उसी खुशी में उस दंपति ने 1935 से देवी की प्रतिमा बना कर दुर्गा पूजा करनी आरंभ की. जो वर्तमान समय में जारी है. उस स्थान पर गांव के सिकंदर पूर्वे एवं संतोष पूर्वे के सम्मिलित प्रयास ने वर्ष 2003 में एक भव्य मंदिर का निर्माण करा दिया गया. लेकिन आज भी मंदिर में मंदार पर्वत से लाई गयी शिला की दुर्गा प्रतिमा मौजूद है.पंचायत के मुखिया दिगंबर मंडल एवं मंदिर के अध्यक्ष संतोष पूर्वे बताते हैं अगर मां की पूजा दुर्गा पूजा के मौके पर किसी भक्त को करनी होती है तो इसके लिये पूजा के सारे खर्च उस व्यक्ति को वहन करना पड़ता है. इस मंदिर से भक्तों की आस्था का आलम यह है की अगर कोई भक्त दुर्गा पूजा के सभी खर्च वहन करने की बात कहे तो उसको 2040 तक इंतजार करना पड़ेगा. क्योंकि यहां पूर्व से ही कई भक्त अपने पूजा करने के लिये अग्रिम ग्यारह हजार रुपये की रसीद कटा कर कतार में हैं. भक्त बताते हैं कि यहां मनौती पुरी होने पर मइया को पांच बलि दी जाती है. जिसमें बेल,परोल,बनिया कोढ़ा, ईख प्रमुख रुप से शामिल हैं.पुजा के मौके पर ग्रामीण युवकों द्वारा नाटक के मंचन के साथ कई खेल तमाशे वाले भी यहां पहुंच कर अपनी कला दिखाते हैं.

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