केंद्र व राज्य सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए लाख योजनाएं बना लें. लेकिन, योजनाओं के धरातल पर लागू नहीं होने के कारण जिले में शिक्षा की बदतर स्थिति है.
कायदे से देखा जाये तो जिले के किसी भी स्कूल में न तो ठीक से पढ़ाई होती है और न ही बच्चों को पूरी सुविधाएं उपलब्ध हो पा रही हैं. ऐसे में देश के कर्णधार कैसे होंगे, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.
निरंजन कुमार, बांका
बाराहाट अंचल के प्रोन्नत मध्य विद्यालय का हाल शिक्षा की बदतर व्यवस्था की पोल खोल रहा है. स्कूल में पढ़ाई व सुविधाओं की गुणवत्ता को बयां कर रही यहां कि स्थिति जिला प्रशासन को आईना दिखा रही है. यहां पर शिक्षा के नाम पर, बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. हालांकि, सरकार ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनायी हैं, लेकिन वह सब बेकार है. यहां पर पढ़ने वाले छात्र- छात्रएं धूप में बैठ कर अपना पठन-पाठन करते हैं. यहां पर अगर बरसात हो जाय तो बच्चे अपनी किताबें समेट कर घर निकल लेते हैं.
इस विद्यालय का भवन पूरी तरह से जजर्र हो चुका है. भवन के साथ-साथ यहां का बरामदा भी पूरी तरह से खराब हो चुका है. यहां पर अंदर घुसने में भी डर लगता है, बैठ कर पढ़ाई करना तो दूर की बात है. इस विद्यालय का कोई भी भाग नहीं बचा है, जहां से छत नहीं गिर रही हो. विद्यालय में बेंच-डेस्क के नाम पर कुछ भी नहीं है. चापाकल के समीप पेड़ के नीचे बैठ कर बच्चे पढ़ाई करते हैं. विद्यालय में वर्ग एक से लेकर आठ तक की पढ़ाई होती है और इस विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या 209 हैं. फिर भी स्कूल में व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नहीं है.
सरकारी योजना का नहीं होता है पालन : विद्यालय में एमडीएम के नाम पर प्राय: एक ही खाना मिलता है. यहां पर पढ़ने वाले छात्र राकेश कुमार, मोहन कुमार, निलेश कुमार छात्र रूबी कुमारी, संगीता कुमारी, सरस्वती कुमारी ने बताया कि मीनू के अनुसार कोई भी खाना नहीं मिलता है.