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100 से अधिक लोग नहीं बन सके वोटर

बदहाली. वार्ड 22 में एक दर्जन परिवारों को नहीं मिल रहा सरकरी योजनाओं का लाभ औरंगाबाद सदर : नगर पर्षद चुनाव सामने है. देखा जाये, तो यह चुनाव अपने आप में एक बड़ा महत्व रखता है और इसे ही देश, राज्य व शहर के विकास की रीढ़ मानी जाती है. ऐसे में प्रत्याशी समेत मतदाताओं […]

बदहाली. वार्ड 22 में एक दर्जन परिवारों को नहीं मिल रहा सरकरी योजनाओं का लाभ

औरंगाबाद सदर : नगर पर्षद चुनाव सामने है. देखा जाये, तो यह चुनाव अपने आप में एक बड़ा महत्व रखता है और इसे ही देश, राज्य व शहर के विकास की रीढ़ मानी जाती है. ऐसे में प्रत्याशी समेत मतदाताओं की निगाह चुनाव पर टिकी है. हर तरफ नगर पर्षद के अब तक के कार्यों की चर्चा हो रही है. मंगलवार को नगर पर्षद के वार्ड संख्या 22 के लोगों से बातचीत की गयी और उनसे ही इस चुनाव के मुद्दे पूछे गये, तो लोगों ने बड़ी बेबाकी से कहा कि अबकी बार जांच-परख कर ही प्रत्याशी का चुनाव करेंगे.
इसमें योग्यता होगी और जो बिना वैशाखी के वार्ड पार्षद की भूमिका का निर्वहन करेंगे, उसी को वार्ड का नेतृत्व करने की जिम्मेवारी सौंपी जायेगी. पेयजल संकट से जूझ रहे वार्ड के लोगों ने कहा कि वार्ड के विकास योजनाओं में पेयजल को नहीं शामिल किया गया. पेयजल समस्या संकट के रूप में सामने है और इस बार के चुनाव में सबसे गंभीर मुद्दा इस वार्ड का पेयजल ही होगा. मतदाताओं ने कहा कि लगभग 80 प्रतिशत वार्ड में काम हो चुका है. 20 प्रतिशत ही काम नहीं हो सके हैं.
वार्ड में नहीं है पेयजल का कोई स्रोत : वार्ड में पेयजल आपूर्ति पर कोई काम नहीं होने के कारण लोगों को पेयजल समस्या से जूझना पड़ रहा है. वार्ड के लोगों ने बताया कि वाटर सप्लाई की नयी योजना को स्वीकृति नहीं मिलने के कारण अधिकांश हिस्सों में पेयजल आपूर्ति एक बड़ी समस्या है. पर हाल के दिनों में कुछ पुराने चापाकलों को ठीक कराया गया है. जैसे-तैसे पेयजल आपूर्ति हो पा रही है.
जल निकासी व साफ-सफाई पर भी उठे सवाल : वार्ड 22 के मतदाताओं ने सड़क व नाली के विकास पर सहमति तो जाहिर की, पर कुछ लोगों ने कहा कि वार्ड में जल निकासी, साफ-सफाई और सार्वजनिक शौचालय भी एक बड़ा मामला है. वार्ड के कनक बाला शर्मा, जूही कुमारी, मानमति देवी, समता देवी, गुड्डू कुमार, दीपा देवी, रंजन कुमार चौधरी, भूषण विश्वकर्मा, राजेश कुमार मिश्रा ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में जो काम नहीं हुए थे, वे पांच वर्षों में दिख रहे हैं. वार्ड में सड़क, नाली व अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है. दिव्यांगों को नि:शक्तता पेंशन, राशन कार्ड, वृद्धा पेंशन सहित सभी लाभ मिले हैं. इस बार भी वार्ड पार्षद का चुनाव योग्यता के आधार पर करेंगे.
वार्ड पार्षद को है नगर पर्षद का सहयोग नहीं मिलने का मलाल
गुमनामी में जी रहे महादलित परिवार
वार्ड संख्या 22 में ईदगाह के समीप नदी के किनारे झुग्गी झोपड़ी लगा कर व मकान बना कर रह रहे लगभग एक दर्जन महादलित परिवार गुमनाम जिंदगी गुजार रहे हैं. महादलित परिवार के प्रमोद राम, मनोज राम, सिकंदर राम, बिजेंद्र राम, प्रदीप राम, दीपक राम सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि पांच वर्ष से वो नदी के किनारे अपना आशियाना बना कर जीवन गुजार रहे हैं, पर इस बीच कभी भी जिला प्रशासन का कोई पदाधिकारी इनकी सुधि लेने तक नहीं पहुंचा. अब नगर पर्षद चुनाव सामने है और ऐसी स्थिति में अब तक इन महादलित परिवार के 100 से अधिक लोगों के नाम मतदाता सूची में नहीं जोड़े जा सके. इसके कारण ये नगर पर्षद क्षेत्र में रह कर भी गुमनाम की जिंदगी गुजार रहे हैं और सभी सरकारी योजनाओं के लाभ से इन्हें वंचित रखा गया है. ये सभी परिवार नगर पर्षद की सफाई व्यवस्था में अपना योगदान देते हैं. पर फिर भी नप के पदाधिकारी का ध्यान कभी भी इनके ऊपर नहीं गया.
क्या कहते हैं पार्षद
वार्ड के विकास पर लगभग दो करोड़ 32 लाख रुपये खर्च किये गये. अधूरे रह गये 20 प्रतिशत कार्यों को पूरा करने का सपना है. वार्ड की दो-तीन गलियों को सड़क और पीसीसी की जरूरत है, जिसे योजनाओं में चिह्नित कर शामिल किया गया है.
राज किरण तिवारी उर्फ सिंटू ,वार्ड पार्षद
जातिगत आधार पर वोटर लिस्ट से छेड़छाड़
जब भी चुनाव आता है, तो कुछ प्रत्याशी और राजनीतिक दल के लोग जातिगत आधार पर मतदाताओं के नाम के साथ छेड़छाड़ करना शुरू कर देते हैं. इसके चलते मतदाताओं को परेशानी होती है. वार्ड के महादलित परिवार के दर्जनों लोगों का नाम मतदाता सूची में नहीं जोड़ा जाना दुखद है. महादलितों का सम्मान करना चाहिए.
दीपिका रानी, समाजसेविका

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