किसानों को सरकारी स्तर पर धान बेचना मुश्किल पूर्वजों के नाम खतियान किसानों के लिए बनी फजीहत देना पड़ रहा है कोर्ट का शपथ पत्रफोटो नंबर-6,परिचय- खलिहानो में पड़ा धान की ढ़ेरऔरंगाबाद (ग्रामीण) सरकारी स्तर पर धान बेचना किसानों के लिए मुश्किल दिख रहा है. खलिहान में धान तैयार होने के बाद किसान पैक्स की दौड़ लगाते-लगाते थक गये हैं. पैक्स अध्यक्ष खरीदारी के पहले जो नियम बता रहे हैं उसे सुनकर वे अवाक रह जा रहे हैं और औने-पौने दाम पर व्यवसायी के हाथों धान बचेने को मजबूर हो रहे. सबसे अधिक परेशानी तो उन किसानों को है जिनकी जमीन का डिमांड पूर्वजों के नाम पर है, या फिर संयुक्त परिवार होने के कारण किसी एक व्यक्ति के नाम पर है. ऐसे किसान को वंशावली के अनुसार अपने हिस्से की जमीन की कोर्ट से शपथ पत्र की आवश्यक्ता पड़ रही है. यदि किसी परिवार में चार भाई हैं तो उन्हें चार अलग-अलग एफडिविट की जरूरत है तभी उनका धान पैक्स में खरीद होगा. एक एफडिविट करवाने में दो से ढ़ाई सौ रुपया खर्च होते हैं. किसान ब्रजकिशोर कुमार सिंह, उमेश राय, सत्येंद्र सिंह, अजीत कुमार बताते हैं कि चार-पांच भागों में जमीन को बांटने पर मात्र एक-दो एकड़ जमीन ही एक के हिस्से में पड़ रहा है. एक एकड़ भूमि पर मात्र 15 क्विंटल धान की खरीदारी की जा रही है. ऐसे में तकरीबन 20 रुपये प्रति क्विंटल एफडिविट पर खर्च पड़ रहे हैं. इतना ही नहीं सभी का नाम डाटाबेस में इंट्री होना चाहिए. जिन किसानों का नाम डाटावेस में नहीं होगा उनसे धान की खरीदारी नहीं की जानी है. पिछले दिनों कुटुंबा प्रखंड के पैक्सों के साथ हुई अधिकारियों की बैठक में डिमांड की समस्या उभर कर सामने आया था.रसीद के लिए दौड़ लगा रहे किसान : पैक्स में धान बेचने के लिए किसानों के पास 2015-016 का मालगुजारी रसीद होना चाहिए. पुराने रसीद पर धान की खरीदारी नहीं की जानी है. रसीद कटवाने के लिए किसान राजस्व कर्मचारी के पास दौड़ लगा रहे. किसान बताते हैं कि पहले तो उनसे मुलाकात ही नहीं होती है जब मुलाकात भी हो रही है तो कर्मचारी रसीद का भॉलूम नहीं होने की बात बताते हैं ऐसे में किसानों को धान बिक्री करना संभव नहीं है.किसानों का बिक गया धान : पैक्स द्वारा धान की खरीदारी शुरू तो की गयी है, पर अधिकतर किसान औने-पौने दामों पर धान बेच चुके हैं या बेच रहे हैं. औने-पौन दाम पर धान बेचना उनकी शौक नहीं बल्कि मजबूरी है. बच्चों की पढ़ाई, शादी-विवाह, दैनिक खर्च की पूर्ति व रबी फसल की बुआई पर खर्च के लिए उन्हें पैसे की जरूरत है. धान बेचने के सिवा उनके पास कोई चारा भी नहीं है. वैसे जानकारी मिल रही है कि अब मात्र 35 प्रतिशत किसानों के पास ही खलिहान में धान है. 1़ 35 लाख मीटरिक टन धान खरीद का लक्ष्य : हैरत की बात तो यह है कि किसानों से धान की खरीदारी के लिए प्रखंड स्तर पर क्रय केंद्र भी नहीं खोला गया है. जिले में मात्र औरंगाबाद व दाउदनगर में ही क्रय केंद्र शुरू है. इन दोनों केंद्रों पर किसान धान बेच सकते हैं. विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दोनों केंद्रों पर 15 हजार 100 मीटरिक टन धान की खरीदारी की जानी है. वैसे किसान जिनसे पैक्स या व्यापार मंडल धान नहीं खरीद रही है, उनसे क्रय केंद्र पर खरीदारी की जानी है. इधर जानकारी के अनुसार 1 लाख 35 हजार 900 मीटरिक टन धान खरीद करने का लक्ष्य पैक्स व व्यापार मंडल को निर्धारित किया गया है.अधिकारियों की टीम गठित : धान की खरीदारी के संबंध में एसएफसी के जिला प्रबंधक कामेश्वर सिंह ने बताया कि किसानों को किसी तरह की परेशानी न हो इस पर नजर रखी जा रही है. प्रवेक्षण करने के लिए अधिकारियों की टीम गठित की गयी है. उन्होंने बताया कि जिले में अब तक पैक्स द्वारा सात हजार एमटी धान की खरीदारी हुई है. जबकि व्यापार मंडल व क्रय केंद्र पर खरीदारी शून्य है. एसएफसी डीएम ने बताया कि जिले में 62 राइस मिलों को रजिस्ट्रर्ड किया गया है.
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किसानों को सरकारी स्तर पर धान बेचना मुश्किल
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