औरंगाबाद/देव : बिहार का सबसे बड़ा व पवित्र महापर्व छठ को लेकर एक बार फिर औरंगाबाद के सूर्यनगरी देव में हलचल शुरू हो गया है. छठ की तैयारी में जिला प्रशासन भी लग गया है. 15 नवंबर से महापर्व छठ नहाय खाय के साथ प्रारंभ होगा. 16 को लोहरी, 17 व 18 को डूबते व उगते सूर्य को लाखों छठ व्रती अर्घ्यदान करेंगे. पूरे देश से लगभग 10 लाख छठव्रतियों के कार्तिक छठ में अर्घ्यदान करने की संभावना हैं, लेकिन सूर्यनगरी देव की जो स्थिति है वह बेहद विकराल है.
पवित्र सूर्यकुंड तालाब व रूद्रकुंड तालाब की स्थिति भयावह है. इन दोनों तालाबों के पानी से बदबू आ रही है. सूर्य कुंड तालाब की पानी का रंग भी हरा हो गया है. अगर यही स्थिति रही तो छठ व्रतियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. वैसे अभी से ही लोग तालाब में नहाने से कतरा रहे हैं. तालाब के समीप से गुजरने वाले लोग भी तालाब की ओर नजर नहीं उठाना चाहते हैं. छठ महापर्व शुरू होने में मात्र 16 दिन बचे हुए हैं.
दूसरी समस्या यहां यह है कि सूर्य नगरी में चारों तरफ कचरों का अंबार लगा हुआ है. सूर्यकुंड तालाब के समीप फैले कचरे सूर्य नगरी की ऐतिहासिकता को गंदी कर रही है. साफ-सफाई पर जरा भी ध्यान नहीं दिया जाता है. सूर्य मंदिर न्यास समिति व जिला प्रशासन साफ-सफाई के प्रति अभी जिम्मेवार नहीं दिखती है. एेतिहासिक देव किला के पास भी गंदगी का अंबार लगा हुआ है. सवाल यह है कि चार दिवसीय कार्तिक छठ मेला की तैयारी कैसे पूर्ण होगी. वर्ष में दो बार चैत व कार्तिक मास में छठ महापर्व को लेकर लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं.
अर्घ्य दान करने के उपरांत ही अपने गंतव्य स्थान की ओर प्रस्थान करते है. साफ-सफाई के अलावे सूर्यनगरी देव में कई समस्याएं है. इसका समाधान जल्द ढूंढ़ना होगा. छठ मेला में पहुंचनेवाले व्रतियों व उनके परिजनों को पेयजल की समस्या से भी जुझना पड़ता है.
प्रकाश की बेहतर व्यवस्था भी नहीं होना छठ व्रतियों को परेशानी में डालता है. हालांकि तीन दिन पहले जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने सूर्य नगरी देव में जाकर व्यवस्था का जायजा लिया था. मेला क्षेत्र के भ्रमण के दौरान विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों को कई दिशा निर्देश भी दिये थे. जिलाधिकारी की माने तो छठ पर्व में श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी. सारी तैयारी प्रारंभ कर दी गयी है.