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यहां मरीजों से ज्यादा अस्पताल हुए बीमार, इलाज की जरूरत

कुव्यवस्था. जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की ‘सेहत’ खराब गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों को बाहर के अस्पतालों का सहारा डाॅक्टर व कर्मियों की भारी कमी अंबा : औरंगाबाद जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल काफी दयनीय है. गंभीर रूप से जख्मी लोगों या गंभीर रोगों से पीड़ित व्यक्ति का इलाज जिले के किसी भी अस्पताल […]

कुव्यवस्था. जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की ‘सेहत’ खराब

गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों को बाहर के अस्पतालों का सहारा
डाॅक्टर व कर्मियों की भारी कमी
अंबा : औरंगाबाद जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल काफी दयनीय है. गंभीर रूप से जख्मी लोगों या गंभीर रोगों से पीड़ित व्यक्ति का इलाज जिले के किसी भी अस्पताल में संभव नहीं हो पाता है. यहां तक कि बिच्छू व सर्प दंश पीड़ित व्यक्ति की हालत खराब होने पर मगध मेडिकल कॉलेज, गया रेफर किया जाता रहा है. 25 लाख से अधिक आबादी वाले इस जिले में शिक्षा और स्वास्थ्य की लचर स्थिति के कारण हर दिन लोग परेशान होते रहते हैं. जिले का एकमात्र सदर अस्पताल पर क्षेत्रीय दबाव इस कदर हावी है कि प्रतिदिन मरीज व डाॅक्टरों में रस्साकशी देखने को मिल जायेगी.
कुटुंबा के रेफरल अस्पताल पर है तीन लाख लोगों का भार : प्रखंडों में भी चिकित्सा सेवा की लचर व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है. अधिकतर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डाॅक्टर व कर्मियों की कमी के कारण कबाड़खाने में तब्दील हो चुके हैं. उक्त केंद्र का भवन या तो जर्जर हो गया या ध्वस्त होने के कगार पर है. कुटुंबा प्रखंड का कझपा व डुमरी स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली जिले तक गयी, पर किसी ने अति महत्वपूर्ण सुदूर क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्र को संवारने की जुर्रत नहीं की. प्रखंड में कुल 8 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व 22 उप स्वास्थ्य केंद्र की शाखाएं खोली गयी. एक-दो केंद्र पर आयुष चिकित्सक व एएनएम की तैनाती की गयी, पर वहां चिकित्सा की क्या स्थिति है यह कोई नहीं बता सकता.
जिला पर्षद व बीडीसी की बैठक में भी उठता रहा है प्रश्न : पंचायतीराज व्यवस्था के नये सत्र में लगातार जन प्रतिनिधियों ने जिले में स्वास्थ्य की लचर व्यवस्था पर लगातार सवाल खड़े किये हैं. कुटुंबा प्रखंड में बीडीसी की बैठक में प्रमुख, पंचायत समिति सदस्यों तथा मुखियागण ने लगातार स्वास्थ्य सेवा में सुधार व पर्याप्त डाक्टर की तैनाती की मांग करते आये हैं पर अब तक कुछ भी संभव नहीं हुआ.
आउटडोर में 33 व इनडोर में 132 प्रकार की दवाएं : रेफरल अस्पताल कुटुंबा में अभी 33 प्रकार की दवाएं आउटडोर में मौजूद हैं, इनडोर में भी 132 प्रकार की दवाएं होने की जानकारी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा लालदेव प्रसाद सिंह ने दी है. बिच्छू व सर्प दंश की कुछ दवा उपलब्ध होने की बात बतायी है. एंटीरैबीज एवं अन्य प्रकार की दवाओं की कमी अस्पताल में है. लगभग 200 से 300 रोगी अस्पताल पहुंच रहे है.खासकर बदलते मौसम में खांसी ,सर्दी, निमोनिया आदि घातक बीमारी से ग्रसित लोग अस्पताल पहुंच रहे है.
तकनीशियन की कमी से बंद है अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे : अस्पताल में लगभग डेढ़ वर्षों से अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नहीं है. रोगी चौगुनी दर पर निजी केंद्र की ओर रुख करते हैं. पिछले कई माह से एक्स-रे का भी कुछ यही हाल है. महत्वपूर्ण जांच के लिए लोग भटक रहे हैं. डाॅक्टर के लिए 23 सृजित पद में महज पांच कार्यरत, रेफरल अस्पताल में कुल 23 डाॅक्टर का पद सृजित है, पर वर्तमान में मात्र पांच डाॅक्टर तैनात हैं. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ लालदेव सिंह, डाॅ श्री राम प्रसाद, डाॅ आशीष रंजन, डाॅ लालमोहन चौधरी व डाॅ बिनोद कुमार. इनमें डाॅ बिनोद कुमार कई माह से अस्पताल में सेवा नहीं दे रहे हैं. प्रभारी बताते हैं कि रोगियों की संख्या को देखते हुए कम से कम 10 डाक्टर की तत्काल
आवश्यकता है. चार तकनीशियन हैं. हालांकि एएनएम ग्रेड ए के लिए तीन पद सृजित हैं, जिनमें दो ही कार्यरत हैं. एएनएम का कुल पद 70 है, जिनमें 39 रेगुलर कार्यरत हैं. 17 को अनुबंध पर रखा गया है.
प्रसव रोगियों की संख्या पिछले माह 300 से 325 : डाॅ लालदेव सिंह ने बताया कि प्रसव पीड़ित महिलाओं की संख्या में रेकार्ड वृद्धि हुई है. संख्या को देखते हुए सुविधा बजाये जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है. हालांकि यह भी स्वीकारते हैं कि अभी प्रसव के लिए संसाधन व कर्मी हैं. कुल 30 बेड के अस्पताल में बेड की कमी साफ दिखती है. प्रभारी का कहना है कि आवश्यकता अनुसार बेड बढ़ा कर कार्य किया जाता है.

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