परेशानी . 23 वर्ष पूर्व शुरू हुआ था साइफन बनाने का काम
अरवल ग्रामीण : जिला क्षेत्र के वंशी प्रखंड के नेनुआ नाला पर पुल और साइफन बनाने का कार्य लगभग 23 वर्ष पूर्व ही प्रारंभ हुआ था. इस नाले से करपी के दर्जनों गांवों को सिंचाई कार्य किया जाना था. नाले में साइफन का कार्य पूरा हो गया है लेकिन जमीन के दावे के कारण खेतों में उक्त नाले का पानी नहीं उपलब्ध हो रहा है. इस कारण क्षेत्र के किसानों को खेतों की सिंचाई करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. किसानों के लंबे संघर्ष के बाद उक्त कार्य का निर्माण शुरू किया गया था.
इससे पानी निकला तो क्षेत्र के दर्जनों गांव का लाभ मिलेगा. इस दौरान मुगलापुर, भगवतीपुर, अनुआ, कस्तूरीपुर, सादिकपुर, रैनाथ के अलावा क्षेत्र के कई गांवों के किसानों को सिंचाई करने में काफी सहूलियत होगी. किसानों के संघर्ष के कारण ही वर्ष 1993 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के द्वारा इस साइफन की
आधारशिला रखी गयी थी. इसके बाद कार्य भी प्रारंभ हुआ था लेकिन कुछ कार्य होने के बाद कार्य बंद हो गया. कार्य बंद हो जाने के कारण इस क्षेत्र के किसानों ने एक समिति का गठन किया व बंद किये गये कार्यों को पूरा शुरू करने के लिए समिति के सदस्यों ने संघर्ष तेज करना प्रारंभ कर दिया. 27 नवंबर, 2011 को अपनी सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लघु सिंचाई विभाग के मंत्री व आला अधिकारियों के साथ नेनुआ नाला पहुंचे व किसानों से बातचीत की. किसानों से वार्तालाप करने के बाद उपस्थित पदाधिकारियों को बंद किये गये कार्यों को पुनः चालू करने का निर्देश दिया. इस पुल तथा साइफन का कार्य इस कदर किया गया कि पुल के नीचे से पुनपुन नदी का पानी का बहाव होगा. ऊपर से सड़क मार्ग उसके समीप पुल पर नाहर बनायी गयी. इस कार्य को करने के लिए सरकार को करोड़ों रुपये खर्च करने पड़े फिर भी किसानों व आम जनों को फायदा नहीं पहुंचा. जिस उद्देश्य से इसका निर्माण कराया गया था उस उद्देश्य से कार्य नहीं किया गया. उद्देश्य के अनुकूल कार्य किया जाता तो अरवल व औरंगाबाद की दूरी भी काफी कम हो जाती व हजारों हेक्टेयर भूमि की सिंचाई भी सुगमता से किया जाता. बताते चलें कि वंशी प्रखंड के दर्जनों गांव नदी नालों से घिरे रहने के कारण किसानों को खेतों की सिंचाई करने में इंद्र भगवान पर आश्रित रहना पड़ता है. सिंचाई विभाग के पदाधिकारी का कहना है कि उत्तर दिशा में लगभग पांच सौ मीटर जमीन में नहर निर्माण का कार्य होना था लेकिन वहां के किसान अपनी समस्या के निदान के लिए न्यायालय का शरण में चले गये हैं. हालांकि मुकदमा सरकार जीत गयी है.
सरकार द्वारा कृषि भूमि की व्यवस्था कर ली जायेगी. भूमि उपलब्ध होने के बाद कार्य प्रारंभ कर बचे कार्य को शीघ्र पूरा कर दिया जायेगा.