अररिया : जिले में इस बार किसानों के धान की फसल को अचानक आये बारिश के कारण नुकसान झेलना पड़ा है. धान खरीद में हो रही देरी के कारण किसान धान को औने-पौने दामों में बेचने को विवश हो रहे हैं. जहां से किसानों को धान का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है.
धान रोपनी के साथ ही बारिश की रुसवाई झेल रहे किसानों को एक तो डीजल अनुदान की राशि ससमय नहीं मिल पायी. दूसरी तरफ धान कटाई के समय अचानक आयी बारिश ने किसानों को एक बार फिर से मायूस करने का काम किया. किसान अपने धानों को खुले बाजार में आठ सौ पचास से नौ सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचने को विवश हैं.
सही समय पर किसानों की धान की अधिप्राप्ति नहीं होने के कारण बाद में धान अधिप्राप्ति का फायदा किसानों से ज्यादा बिचौलियों को होता है. शुरुआती दौर में किसान अपने धानों को बेच चुके होते हैं.
बाद में पैक्स द्वारा बिचौलियों से धान की खरीद की जाती है जिसका फायदा किसानों को नहीं हो पाता है. बाद के दौर में किसान तंगहाल जबकि बिचौलिये मालामाल होते हैं. किसानों से सीधे व ससमय हो धान की अधिप्राप्ति 25 नवंबर से किसानों से धान अधिप्राप्ति करने की बात हर वर्ष सामने आती रही है. लेकिन ऐसा होता नहीं है.
अब तक जिला को लक्ष्य भी नहीं प्राप्त हुआ है. ऐसे में धान की खरीद को लेकर किसानों में संशय की स्थिति है. पिछले वर्ष भी किसानों से सीधे धान खरीद की प्रक्रिया को विलंब से प्रारंभ किया गया. जिसे बाद में रोक कर धान अधिप्राप्ति की जिम्मेवारी पैक्स के हाथों में सौंप दिया गया. इसका परिणाम यह हुआ कि किसानों के धान तो बिके लेकिन उन्हें वाजिब समर्थन मूल्य प्राप्त नहीं हो पाया. किसानों की स्थिति जस की तस रह गयी.
धान अधिप्राप्ति के इंतजार में रुके किसानों को बाद में अपने धान को औने-पौने भाव में बेचना पड़ा. हालांकि पिछले वर्ष कम पैक्स द्वारा की गई धान की अधिप्राप्ति के कारण भी किसानों को अपने धान को बेचने के लिए परेशानी उठानी पड़ी.
अंतिम समय में वैसे पैक्स जो क्रियाशील नहीं थे को क्रियाशील पैक्स के साथ टैग किया गया लेकिन तब तक विलंब हो चुका था. वर्ष 2014-15 में धान अधिप्राप्ति की स्थितिजिले में 218 पैक्स हैं. जबकि वर्ष 2014-15 में जिले के 101 पैक्सों से धान की खरीद की गई थी. जिला सहकारिता कार्यालय के अनुसार 2019 किसानों से दो लाख 95 हजार 418 क्विंटल धान की खरीद की गई थी. जबकि इसके लिए राज्य खाद्य निगम के द्वारा 51 करोड़ 47 लाख रुपये का भुगतान किया गया था.
जबकि इसके इतर राज्य खाद्य निगम के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार किसानों से सीधे तौर पर 2,41,808. 33 क्विंटल धान की अधिप्राप्ति कर किसानों को चालीस करोड़ 74 लाख 12 हजार 803 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया था. जबकि पैक्स के माध्यम से 2,33,064.23 क्विंटल धान की अधिप्राप्ति कर पैक्सों को चालीस करोड़ 45 लाख 47 हजार 920 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था.
कहते हैं जिला प्रबंधक एसएफसीएसएफसी के जिला प्रबंधक चंचल कुमार ने बताया कि वर्ष 2015-16 के धान अधिप्राप्ति को लेकर अभी तक तिथि के निर्धारण का निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है. लेकिन पूर्व की तैयारी पर फोकस करने का निर्देश दिया गया है. इसके तहत अभी मिलरों का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है.
धान रखे जाने वाले गोदामों की जांच पड़ताल, गोदामों का सड़क से कनेक्टिविटी, नमी मापक यंत्र की उपलब्धता, गोदाम पर उपस्कर की व्यवस्था आदि का कार्य किया जा रहा है. जिला प्रबंधक ने बताया कि धान खरीद को लेकर किसानों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी एसएफसी के वेबसाइट पर किया जा रहा है.